आगरा। सेक्स डिटर्मिनेशन (लिंग निर्धारण) करते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया बीकानेर पुलिस ने डाक्टर को जेल भेज दिया है। यहां भी उसके सेंटर पर ताला लटका रहा। वहीं दूसरे राज्य की पुलिस द्वारा कार्रवाई करने के बाद भी सीएमओ ने ऐसे अल्ट्रासाउंड केन्द्रों के खिलाफ सीधे कार्रवाई करने की जगह डीएम को लैटर लिखा है। सीएमओ ने कार्रवाई के लिए दिशा निर्देश मांगे हैं।

यह है मामला

एमजी रोड पर स्थित अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग सेंटर पर मंगलवार दोपहर को बीकानेर की पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने स्ट्रिंग आपरेशन में लिंग निर्धारण करते हुए रंगे हाथ पकड़ा था।

कई स्टेट में नेटवर्किंग

शहर के कई अल्ट्रासाउंड केन्द्रों पर चोरी छिपे लिंग परीक्षण हो रहा है। मध्य प्रदेश और राजस्थान तक इनका नेटवर्क फैला हुआ है। मध्य प्रदेश के पोरसा, मुरैना जबकि तांतपुर, खेरागढ़, फतेहपुर सीकरी सीमा से सटे राजस्थान क्षेत्र में इनकी जड़ें बड़ी गहरी हैं। कमीशन एजेंट तक रखे गए हैं।

तो क्या समुचित प्रधिकारी सक्रिय नहीं

पीसीपीएनडीटी को प्रभावी रूप से लागू करने की जिम्मेदारी समुचित प्रधिकारी पर है। 30 नवंबर 2007 के शासनादेश के तहत डीएम को समुचित प्रधिकारी नियुक्त किया गया है। इस दायित्व को पहले सीएमओ निभा रहे थे। समुचित प्रधिकारी की डयूटी है कि वह केन्द्रों के नियमित निरीक्षण की व्यवस्था कर नियम के उल्लंघन न होने देने का निर्धारण करें। वह खुद भी समय समय पर निरीक्षण करें। आगरा में नियमों का पालन हो रहा होता तो बीकानेर पुलिस से पहले आगरा प्रशासन कार्रवाई कर चुका होता।

समिति से अक्सर मिल रहा अभयदान

प्रसव पूर्व, गर्भधारण पूर्व एवं निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) समिति कार्रवाई की जगह अभयदान दे रही है। क्राइम ब्रांच व स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 26 मार्च को स्टिंग ऑपरेशन में एक एजेंट को गिरफ्तार किया था। उसने शहर और उससे सटे क्षेत्र में आधा दर्जन सेंटर पर लिंग परीक्षण कराने की बात स्वीकारी थी। तीन सेंटरों को सील कर दिया गया। पीसीपीएनडीटी समिति ने इनके संचालकों पर कार्रवाई नहीं की।

कमिश्नर के आदेश पर भी अमल नहीं

लिंग परीक्षण करने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटरों और स्वास्थ्य विभाग का आपसी तालमेल कमिश्नर भी नहीं तोड़ पाए। पिछले दिनों कमिश्नर ने आदेश दिए थे कि स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की संयुक्त टीम अभियान चलाए। कमिश्नर का यह आदेश प्रभावी नहीं हुआ।

Posted By: Inextlive