RANCHI:आइएमए भवन में मंगलवार को झासा की बैठक हुई। इसमें डॉक्टरों ने निषेधाज्ञा के उल्लंघन मामले में बेल लेने से इनकार कर दिया है। डॉक्टर्स ने एक स्वर में अपनी आवाज बुलंद करते हुए कहा कि जब उन्होंने कोई कानून का उल्लंघन ही नहीं किया है, तो वे बेल क्यों लें। बताते चलें कि रविवार को राजभवन के सामने प्रदर्शन के दौरान 250 डॉक्टरों पर निषेधाज्ञा उल्लंघन का मामला कोतवाली थाने में दर्ज कराया गया था।

सेक्रेटरी के साथ वार्ता आज

डॉ। विमलेश ने बताया कि बुधवार को हेल्थ सेक्रेटरी ने डॉक्टरों को वार्ता के लिए बुलाया है। जहां बातचीत के बाद डॉक्टर्स आगे की रणनीति तय करेंगे। अगर हमारी मांग नहीं मानी जाती है, तो 2 नवंबर को राज्यभर के डॉक्टर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। इसके बाद पांच नवंबर से सामूहिक इस्तीफा कलेक्ट करने का काम होगा। 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस पर सामूहिक इस्तीफा सरकार को सौंप दिया जाएगा।

यह है मामला

सरकार द्वारा मुखिया, प्रमुख और जिला परिषद के अध्यक्ष को डॉक्टर्स का सीएल देने का अधिकार दिया गया है। पंचायती राज संस्थाओं को यह अधिकार दिए जाने का राज्यभर के डॉक्टर्स लगातार विरोध करते आ रहे हैं। इसे लेकर सोमवार को डॉक्टरों ने राजभवन मार्च किया था। इसके अलावा वे मुख्यमंत्री से मिलने की भी मांग पर अड़े हुए थे। विरोध मार्च के दौरान उनकी पुलिस के साथ धक्का मुक्की हुई थी। इसे लेकर कोतवाली थाना में 250 डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

सामूहिक इस्तीफे की दी है धमकी

पंचायती राज संस्थाओं से सीएल देने का अधिकार अगर सरकार वापस नहीं लेती है तो डॉक्टरों ने पांच नवंबर को सामूहिक इस्तीफा देने की चेतावनी दी है। डॉक्टरों ने इसे लेकर दो नवंबर को हड़ताल पर रहने की घोषणा की है। वे सरकार से लगातार पंचायती राज संस्थाओं को सीएल दिए जाने के अधिकार को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं।

Posted By: Inextlive