PATNA : सूबे में स्वास्थ्य के हालात पर हाईकोर्ट तक अपनी फटकार लगाता रहा है. स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरे भी तो कैसे. राज्य में नियमित डॉक्टर से कहीं अधिक सरकारी अस्पताल जो कार्यरत हैं. सात सौ अस्पताल समेत दो हजार से अधिक स्वास्थ्य केन्द्र के विरुद्ध सोलह सौ डॉक्टर ही नियमित सेवा में हैं. बिहार को 11400 नियमित डॉक्टर की दरकार है. बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ ने इसका खुलासा करते हुए कहा है कि डॉक्टरों और दवाओं की कमी अस्पताल में रोगियों को होने वाली परेशानी की सबसे बड़ी वजह है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से सरकारी अस्पतालों की खराब स्वास्थ्य सेवा के लिए डॉक्टरों को जिम्मेवार ठहराए जाने पर संघ ने अपना एतराज जताते हुए यह कहा है.

 

संघ ने दी चेतावनी

संघ ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि सरकार अपनी कमियों को छुपाने के लिए डॉक्टरों की निष्ठा पर सवाल उठा रही है। यह अनुचित है। संघ के महासचिव डॉ। रंजीत कुमार ने कहा कि बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा 1950 मूल कोटि और 500 विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए अनुशंसा की गई लेकिन हालत ये है कि 200 डॉक्टर, विभाग की काउंसिलिंग से अनुपस्थिति रहे। शेष में 1600 स्वास्थ्य सेवा एवं 200 मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में पहले से ही संविदा पर कार्यरत हैं।

 

नहीं मिल रहा नियमित वेतन

संघ ने कहा कि पदस्थापना नीति में गंभीरता से विचार नहीं किया जा रहा नतीजा ये है कि डॉक्टर योगदान नहीं करेंगे। कहा कि विधि परामर्श के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने कई बार मेधा सूची में नीचे रहने वाले संविदा पर काम करने वाले डॉक्टरों की सेवा को नियमित करने की घोषणा की थी लेकिन लगभग चार सौ डॉक्टरों के मामले पर सरकार चुप है। विभाग के अनुसार राज्य में सोलह हजार डॉक्टर होने चाहिए, जबकि 11400 पद ही स्वीकृत हैं, इनमें से सोलह सौ ही नियमित सेवा में हैं। इस तरह अस्पताल की संख्या के हिसाब से नियमित डॉक्टर नहीं हैं, ऐसे में बेहतर इलाज कैसे संभव है, वह भी तब जब दवाएं न हों। कहा कि कमियों को दूर करने के बजाए राज्य सरकार सारा ठीकरा डॉक्टरों पर फोडऩे पर लगी है। राज्य सरकार के रोगियों की उपेक्षा करके प्राइवेट पै्रक्टिस करने के आरोप को गलत करार देते हुए कहा कि संघ ने तो अंडरटेकिंग दे रखी है। डॉक्टरों को नियमित रूप से वेतन भी नहीं मिल रहा है। डॉक्टरों को गैर व्यावसायिक भत्ते का भुगतान दिया जाए तो प्राइवेट पै्रक्टिस की समस्या खुद ही खत्म हो जाएगी।

 

पटना में दवा दुकानों की हड़ताल

ड्रग कंट्रोलर व इंस्पेक्टरों द्वारा रिटेल दवा कारोबारियों को परेशान किए जाने के खिलाफ दवा दुकानदारों ने फ्राइडे को दुकान बंद रखा। इससे पेशेंट व उनके गार्जियंस को खासा परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके बाद अपराह्न में दवा के रिटेल कारोबारियों ने मीटिंग कर आगे की रणनीति तय करते हुए संस्था का गठन किया। ड्रग इंस्पेक्टरों की टीम ने गुजरी बाजार के बावली पर स्थित एक दुकान की जांच के बाद दवा खरीद के कागजात पेश नहीं करने पर दुकान को सील कर दिया गया। इसी के विरोध में सिटी के अंग्रेजी दवा के दुकानदारों ने दवा की दुकान को पूरी तरह से बंद रहा। पूर्व घोषणा नहीं होने के कारण लोगों को परेशानी हुई।  गवर्नमेंट, निजी डॉक्टरों से सलाह लेने के बाद लोगों को दवा के लिए भटकना पड़ा। एनएमसीएच रोड में पेशेंट खासा परेशान हुए। एनएमसीएच रोड, अगमकुआं, चैली टाल, पश्चिम दरवाजा, नवाब बहादुर रोड, गुजरी बाजार, गुरहट्टा, सदर गली, चौक, पूरब दरवाजा आदि में दवा दुकान पूरी तरह से बंद रहीं। दवा दुकानदारों की मीटिंग नून की चौराहा में संजीव मेहता की प्रेसिडेंटशिप में हुई। इसमें इसमें पटना साहिब केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन का गठन किया गया। अध्यक्ष संजीव मेहता व सचिव शशिकांत गुप्ता बनाए और 11 लोगों की कमेटी गठित की गई. 

Posted By: Inextlive