Jamshedpur: आप सिटी के किसी मेडिकल स्टोर में मेडिसीन लेने गए हों. आपको परेशान देख मेडिकल स्टोर में बैठा शख्स यह कहे कि आपकी डिजीज का सबसे अच्छा ट्रीटमेंट उनके मेडिकल स्टोर में बैठा डॉक्टर कर सकता है तो आश्चर्य मत कीजिएगा.

हर एरिया में वैसा ही दिखा

जब आप उस डॉक्टर के पास जाएंगे तो हो सकता है कि वहां बैठने की भी प्रॉपर व्यवस्था न हो। फीस लेने के बाद डॉक्टर आपको उसी मेडिकल स्टोर से मेडिसीन लेने के लिए कहेगा। आपको शायद न पता हो पर यह क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट का पूरी तरह से उल्लंघन है। इस एक्ट में एक क्लिनिक के लिए जो प्रॉपर फैसिलिटीज की बात की गई है वह यहां तो मिलने से रही। सिटी के लगभग सभी एरियाज में मेडिकल स्टोर में डॉक्टर के बैठने की बात आम है। हमने बिष्टुपुर, साकची और मानगो के मेडिकल स्टोर्स का जायजा लिया। इन तीनों ही जगह के 10-10 मेडिकल स्टोर में विजिट किया। बिष्टुपुर के 10 मेडिकल स्टोर्स में से 6 में डॉक्टर का क्लिनिक मिला। साकची के 10 में से 8 मेडिकल स्टोर्स में डॉक्टर के बैठने की व्यवस्था मिली। मानगो में भी 10 में से 7 मेडिकल स्टोर्स में डॉक्टर मिले। ऐसी जगहों पर पेशेंट के ट्रीटमेंट का प्रॉपर अरेंजमेंट नहीं होता। यह सरासर क्लिनिकल स्टेब्लिशमेंट्स एक्ट का उल्लंघन है।

जहां डॉक्टर नहीं बैठते वहां भी अवेलबल हो जाएगा नंबर

डॉक्टर्स-मेडिकल स्टोर्स और पेथोलॉजी का नेक्सस कितना स्ट्रांग है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सिटी के जिन मेडिकल स्टोर में डॉक्टर्स बैठते नहीं वहां पर आप किसी डॉक्टर से दिखाने की बात करें तो वे तुरंत आपको किसी खास डॉक्टर का नाम बता देंगे। बिष्टुपुर स्थित राजा मेडिकल स्टोर में आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने किसी डॉक्टर से दिखाने की बात कही तो वहां बैठे एक शख्स ने तुरंत दो डॉक्टर्स आरके मिश्रा और डॉ जे त्रिपाठी का न सिर्फ नाम बताया, बल्कि उनका नंबर भी दे दिया। इसी तरह साकची स्थित जीवन दीप डायगनॉस्टिक सेंटर में भी लाइफलाइन हॉस्पिटल के डॉक्टर परवेज आलम का नाम बताकर वहां जाने सलाह दी। ओल्ड पुरुलिया रोड स्थित प्रतिमा जांच घर में भी इसी नाम के मेडिकल स्टोर में बैठने वाले डॉ जे प्रसाद से दिखाने की सलाह दे डाली।

सिर्फ कहने को एक्ट लागू हुआ है

क्लिनिक में बेसिक फेसिलिटीज को लेकर पार्लियामेंट से पास होने के
बाद मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस ने 2010 में क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट्स (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) एक्ट लागू किया। 2012 में इंडियन कंस्टीट्यूशन के आर्टिकल-252 (1) के तहत इस एक्ट को झारखंड में भी लागू किया गया। इस एक्ट के प्रॉपर इंप्लीमेंटेशन के लिए स्टेट, डिस्ट्रिक्ट और ब्लॉक लेवल पर गवर्नमेंट द्वारा एक टीम बनाई जानी थी, जिसका काम यह देखना था कि इस एक्ट का प्रॉपर इंप्लीमेंटेशन हो रहा है या नहीं। ईस्ट सिंहभूम के ड्रग इंस्पेक्टर एके तिवारी का कहना है कि झारखंड में इस एक्ट के इंप्लीमेंटेशन के लिए अभी तक किसी भी लेवल पर कोई कमिटी नहीं बनाई है।

मेडिकल स्टोर में डॉक्टर्स बैठते हैं तो दोनों को इससे फायदा है। डॉक्टर्स प्रिस्क्राइब्ड मेडिसिन उसी मेडिकल हॉल से लेना होता है और एमआर से मिलने वाले फिजिशियन सैम्पल भी वहां सेल किए जाते हैं। यह तो क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट्स एक्ट का उल्लंघन है।
- एसके तिवारी, ड्रग इंस्पेक्टर ईस्ट सिंहभूम

Report by: amit.choudhary@inext.co.in

Posted By: Inextlive