एक्सपर्ट्स बोले, दिल की बीमारी के साथ पैदा हो रहे एक हजार में 10 बच्चे
-दिलकॉन-2018 कार्यक्रम में पहुंचे हार्ट स्पेशलिस्ट ने दी जानकारी
-कॉन्फ्रेंस में बरेली सहित मंडल के सभी डॉक्टर्स ने लिया था भागBAREILLY : बदलते परिवेश और बिजी लाइफ शेड्यूल में हार्ट संबंधी रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है बस जरूरत है थोड़ी सावधानी की। इसके साथ ही बिजी लाइफ स्टाइल को रेस्ट देकर और डेली एक्टिविटी में बदलाव कर इससे बचा जा सकता है। इसके बाद भी हार्ट संबंधी प्रॉब्लम होने पर लापरवाही नहीं करनी चाहिए। यह बात आईएमए हॉल में दिलकॉन-2018 कार्यक्रम के दौरान संडे को डॉक्टर्स ने अपने दिए विचारों में कही। जिसमें फोर्टिस हॉस्पिटल के कई हार्ट स्पेशलिस्ट ने विभिन्न शोधों पर व्याख्यान दिया। कॉन्फ्रेंस का आयोजन सरन हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंस की तरफ से किया गया। कॉन्फ्रेंस में बरेली मंडल के कई डॉक्टर्स ने भी भाग लिया।गर्भवती हो तो बरतें सावधानी
डॉ। एस राधाकृष्णनन, डायरेक्टर बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजीकिसी को जिन्दा रखना ही काफी नहीं उसकी क्वालिटी लाइफ इम्प्रूव भी करे। यह बात फोर्टिस हॉस्पिटल के डॉक्टर एस राधा कृष्ण ने कही। उन्होंने कहा कि एक एक हजार में 10-12 बच्चे जन्म से ही दिल की बीमारी लेकर पैदा होते हैं। इसे ठीक किया जा सकता है बस जरूरत है समय से उसे सही हॉस्पिटल में इलाज मिलने की। इस बीमारी का पता भी 12 सप्ताह से ऊपर के गर्भ होने पर भी जांच के माध्यम से पता चला जाता है।
इन वजहों से गर्भ में होती है दिल की बीमारी -गर्भ के समय एक्स-रे कराने से-गर्भ के समय बीपी की दवा लेने से-एल्कोहल या धूम्रपान करने से-क्रोमोजोन की कमी होने सेदिल की बीमारी से बचने के लिए ले प्रॉपर रेस्टडॉ। अनिल सक्सेना निदेशक पेसिंग इलेक्ट्रोफिजियोलॉजीआप दिनचर्या में प्रॉपर रेस्ट नहीं ले पा रहे है और लगातार काम में ही लगे रहते हैं तो आप दिल के रोगी बन सकते हैं। इसके लिए प्रॉपर आराम लेना और एक्सरसाइज करना आदि जरूरी है। लाइफ स्टाइल गड़बड़ होने से हार्ट बीट बढ़ जाती है और इससे बीपी लो या हाई की बीमारी होने लगती है। डॉक्टर इसको पेसमेकर लगाकर कंट्रोल करते हैं। उन्होंने बताया कि धूल के कण एक धीमा जहर है। इससे बचाना चाहिए। डस्ट से होता है ब्लड कैंसर-धूल के कण 2.5 एमएम से कम के हैं तो ब्लड में चले जाते हैं
- धूल स्लो प्लाइजन की तरह है जो आगे चलकर ब्लड कैंसर जैसी बीमारी पैदा कर सकता है
-लाइफ स्टाइल को रखे मेंटेन-साइकलिंग करें-दौड़े नहीं, टहलें-हार्ड एक्सरसाइज करने से बचें सीने में दर्द के साथ आए पसीना तो रहें सतर्क डॉ। निशीथ चन्द्रा निदेशक इंटरवेशनल कार्डियोलॉजीबीपी लो-हाई के साथ कभी सीने में तेज दर्द हो और साथ में पसीना भी आए तो इसे हल्के में न लें। यह हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसे वक्त में बगैर देर किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय रहते ध्यान नहीं दिया तो यह बीमारी घातक स्टेज में पहुंच जाती है। किसी को भी अटैक पड़ने पर समय पर और सही डॉक्टर के पास पहुंचाने के लिए 90 मिनट का गोल्डन पीरियड होता है। अटैक पड़े ताे क्या करें-अटैक पड़ने पर आधा गिलास पानी में डिस्प्रिन टेबलेट को घोल कर पीना चाहिए, इससे ब्लड पतला होता है-डॉक्टर के पास 90 मिनट के अंदर पहुंच जाना चाहिए, तो रिकवरी के चांस अधिक होता है-अटैक होने पर हार्ट प्रति मिनट होता है डैमेज, डॉक्टर के पास जाने में देरी न करे-हल्दी, प्याज, लहसुन और अनार खाते रहें, रिफाइंड और तली हुई चीजों से बचें.
छह घंटे में हार्ट को करना होता है ट्रांसप्लांट डॉ। जेड एस मेहरवाल निर्देशक हार्ट शल्य चिकित्सकडोनेट किए गए हार्ट को ट्रांसप्लांट करने के लिए मात्र छह घंटे ही होते हैं। इससे अधिक देरी होने पर ट्रांसप्लांट करने पर रिस्क बढ़ जाता है। इंडिया में हार्ट डोनर आज भी बहुत कम हैं। लोगों को पता ही नहीं कि हम जिन्दगी के बाद भी किसी का जीवन अपना हार्ट डोनेट कर बचा सकते हैं। इसीलिए प्रति वर्ष हार्ट डोनेट करने वालों की संख्या 4 से 4.5 हजार से ऊपर नहीं पहुंच पाती है। हार्ट डोनर भी हो अवेयर-किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसका हार्ट डोनेट किया गया है तो छह घंटे से पहले निकालना होता है-हार्ट डोनर बढ़ें इसके लिए अवेयरनेस होना जरूरी-हार्ट डोनेट कर किसी का जीवन बचाया जा सकता है. मंडल भर के डॉक्टर्स रहे मौजूदआईएमए हॉल में हुए कार्यक्रम के दौरान बरेली मंडल के कई डॉक्टर्स ने भी भाग लिया। कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर सुदीप सरन, डॉक्टर भारती सरन रही। इस मौके पर डॉक्टर गिरीश अग्रवाल, डॉ। शरद अग्रवाल, डॉ। रवि खन्ना, डॉ। पंकज बंसल, डॉ। प्रमेन्द्र महेश्वरी, डॉ। विमल भारद्वाज और डॉ। अनूप आर्या आदि मौजूद रहे।