PATNA : तीन घंटे तक चली मैराथन बातचीत फेल हो गई. जूनियर डॉक्टर्स को गवर्नमेंट की रिटेन हामी चाहिए जबकि सरकार सिर्फ बात से मनवाना चाह रही है. नतीजतन 31 जनवरी से जूनियर डॉक्टर्स स्ट्राइक पर जा रहे हैं.


पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर्स स्ट्राइक पर जाने को डटे हैं, तो हेल्थ डिपार्टमेंट प्रिंसिपल के सहारे अपनी बातों को मनवाने में लगा है। वैसे, जूनियर डॉक्टर्स प्रिंसिपल के बयान पर झुकने वाले नहीं हैं। उन्हें गवर्नमेंट की ओर से रिटेन डॉक्यूमेंट चाहिए। जूनियर डॉक्टर्स सचिवालय नहीं जाना चाहते और सचिवालय के लोग कैंपस में आ नहीं रहे। फिलहाल पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन जूनियर डॉक्टर के मान-मनौव्वल में लगा है। फिर से परेशानी भरी पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन और हेल्थ डिपार्टमेंट के पास 24 घंटे से कम का वक्त है। अगर इस दरौन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है, तो 31 जनवरी की सुबह पेशेंट के लिए फिर से परेशानी भरी रहेगी। लगातार चली बैठक के बाद जेडीए मेंबर डॉ। संत सेवी ने बताया कि मीटिंग से कुछ नहीं होने वाला है। जब तक रिटेन डॉक्यूमेंट नहीं मिलता है, तब तक स्ट्राइक से हटने की बात सोची भी नहीं जा सकती।


जमकर चली जूनियर्स की 'क्लास'
जेडीए के स्ट्राइक पर जाने की वजह से दोपहर 12 बजे से पीएमसी प्रिंसिपल चैंबर में तमाम डिपार्टमेंट के एचओडी सहित सुपरिंटेंडेंट मौजूद थे। जेडीए मेंबर के साथ लगातार तीन घंटे की मैराथन बातचीत हुई। इस दौरान एचओडी से लेकर प्रिंसिपल तक ने जूनियर डॉक्टर्स को समझाने की कोशिश की। पर, बात बिगड़ गई

प्रिंसिपल डॉ। एनपी यादव ने जेडीए को गवर्नमेंट का संदेश सुनाते हुए कहा कि सरकार दो महीने की मोहलत मांग रहीं है। दो महीने के भीतर मांगें पूरी कर ली जाएंगी। हालांकि काफी हद तक मामला निपट चुका था, पर जैसे ही जेडीए ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी की ओर से रीटेन डॉक्यूमेंट मांगा, बात बिगड़ गई। फिर से स्ट्राइक पर जाने की तैयारी शुरू हो गई।राजस्थान जैसी सख्ती यहां क्यों नहीं?एक महीने पहले की बात है। राजस्थान पर पूरे देश की नजर थी। पूरे स्टेट के डॉक्टर्स ने डायनैमिक एसीपी को लेकर एक साथ स्ट्राइक कर दी। इस कारण सैकड़ों पेशेंट्स की मौत हो गई थी। इस हालात से बौखलाए सीएम ने राजस्थान स्वास्थ्य सेवा के पांच सौ डॉक्टर्स पर एसमा लगा दिया था। तीस साल से प्रमोशन नहीं

दरअसल, राजस्थान के डॉक्टर्स का तीस साल से प्रमोशन नहीं हुआ है। कम स्केल में काम करने की वजह से डॉक्टरों ने स्ट्राइक की थी। फिलहाल पांच सौ डॉक्टर्स पर से एसमा हटा दिया गया है और सरकार ने मांगें भी मान ली हैं। जब राजस्थान सरकार ऐसा सख्त कदम उठा सकती है, तो फिर बिहार सरकार क्यों नहीं? क्योंकि इस तू-तू, मैं-मैं में पिसना आखिरकार पेशेंट्स को ही है।

Posted By: Inextlive