RANCHI: झारखंड के प्राकृतिक सौन्दर्य और इसकी छटाओं की चर्चा तो होती है, लेकिन सुन्दरता का करीब से मूल्यांकन बहुत मुश्किल से हो पाता है। ऐसे में थर्ड आई डिजिटल स्टूडियो के संजय बोस ने रिडिस्कवर झारखंड के नाम से यूट्यूब चैनल पर सुतियाम्बे गढ़ मुंडाओं की गौरवगाथा की डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाकर इतिहास रचने की कोशिश की और उन्हें सफलता भी मिल रही है। झारखंड के वैभवशाली इतिहास और पुरातात्विक धरोहर से पूरी दुनिया वाकिफ हो, इसके लिए रिडिस्कवर झारखंड की पहल एक मील का पत्थर है। सुतियांबे गढ़ रांची से मात्र 16 किमी की दूरी पर पिठोरिया के पास है, जो पर्यटकों के आकर्षण का भी केंद्र है।

बीपी केसरी से मिली प्रेरणा

सुतियाम्बे गढ़ मुंडाओं की गौरवगाथा डॉक्यूमेंट्री को फिल्म की शक्ल में फिल्मांकन करने वाले संजय बोस का कहना है कि इस फिल्म के निर्माण की प्रेरणा उन्हें स्व। बीपी केसरी जी से ही मिली थी और उनकी किताबों को ही फिल्म का मुख्य आधार बनाया। उन्होंने बताया कि रिडिस्कवरी यूट्यूब चैनल का उद्देश्य झारखंड की धरोहरों, व्यक्ति विशेष, प्राकृतिक सौन्दर्य और इतिहास को नए कलेवर में प्रस्तुत करना है। थर्ड आई डिजिटल स्टूडियो ने अपने व्यावसायिक कार्यो के साथ-साथ इस चैनल को सामाजिक जिम्मेदारी मानकर शुरू किया है, ताकि समृद्ध झारखंड के निवासी और टूरिस्ट यहां की सुन्दरता को करीब से देख सकें। बोस ने बताया कि इस गौरवगाथा में माधोलाल मुंडा और अन्य साथियों ने तथ्यों की जानकारी देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इनका रहा सहयोग

लेखिका रत्ना राय का कहना है कि सुतियाम्बे गढ़ की गौरवगाथा लिखते हुए ये महसूस हुआ कि हमारे इतने करीब देखने-जानने के लिए बहुत कुछ बिखरा पड़ा है, लेकिन जानकारी के अभाव में स्थान वस्तु और इतिहास उपेक्षित हो रहे हैं और विकास चक्र में विलीन हो रहे हैं। इस फिल्म निर्माण में मुख्य भूमिका आलोका कुजूर, मनोज गोराई, रंथू मिश्रा, एतवा मुंडा और गरूड़पीढ़ी ग्रामवासियों का विशेष सहयोग रहा है।

Posted By: Inextlive