भारत में पहले से ही शिकारियों का निशाना बन रहे बाघों के सामने एक और नया ख़तरा पैदा हो गया है. बाघों को ख़तरा अब कुत्तों से भी है.


जी हां, कुत्तों से ही क्योंकि कुत्तों से फैलने वाला एक वाइरस, कैनाइन डिस्टेम्पर वाइरस, बाघों के लिए ख़तरा बन गया है.बीते एक साल में कैनाइन डिस्टेम्पर वाइरस से कम से कम एक बाघ की मौत की पुष्टि हुई है. ये वाइरस टाइगर रिज़र्व के आसपास के इलाक़े में मिलने वाले आवारा कुत्तों की त्वचा में होता है. अगर बाघ इस इलाक़े में घूम रहे किसी कुत्ते पर हमला करे और अगर कुत्ता संक्रमित हो तो ये वाइरस बाघ में चला जाता है.भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान यानी आईवीआरआई के निदेशक गया प्रसाद का कहना है कि केन्या के सेरेंगेती और मसाई मारा में 20% से 30% शेरों की मौत ऐसे ही एक वाइरस की वजह से हुई थी.


मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व के फ़ील्ड डायरेक्टर आर एस मूर्ति कहते हैं, "हमने वेटनरी कॉलेज के साथ मिलकर बीमारी निगरानी परियोजना शुरू की है क्योंकि हमारे यहां एक बाघ की मौत संदिग्ध हालत में हुई थी. उसमें कीड़े काफ़ी ज़्यादा थे."कुत्तों का टीकाकरण

डॉक्टर गया प्रसाद ने कहा, "एक सैंपल हमारे पास दुधवा नेशनल पार्क से था और दूसरा सैंपल पश्चिम बंगाल से एक पांडा का था. दोनों में वाइरस पाया गया. ये वाइरस इतना ख़तरनाक है कि अगर ये वाइल्ड लाइफ़ रिज़र्व में अगर फैल जाए तो बाघों के संरक्षण पर गंभीर असर पड़ सकता है."प्रसाद कहते हैं, "हमारा तो यही सुझाव है कि टाइगर रिज़र्व के आसपास जितने कुत्ते घूम रहे हैं उन्हें टीके लगाए जाएं. वो अगर इम्यून हैं तो बीमारी नहीं फैला पाएंगे. चिड़ियाघरों में टीकाकरण किया जा सकता है."सिमटते जंगलसमस्या सिर्फ़ यहीं तक नहीं है. जंगल सिमट रहे हैं और ऐसे में बाघों के सामने शिकार की समस्या भी खड़ी हो रही है.डॉक्टर प्रसाद कहते हैं, "बाघों को जब जंगल में कुछ खाने को नहीं मिलता तो वो बाहर निकलते हैं और कुत्ते मिले तो उन्हें भी मार देते हैं."बाघों में संक्रमण फैलने के बाद उनका इलाज बहुत मुश्किल है."बाघों को जब जंगल में कुछ खाने को नहीं मिलता तो वो बाहर निकलते हैं और कुत्ते मिलें तो उन्हें भी मार देते हैं."-डॉक्टर गया प्रसाद, डायरेक्टर, आईवीआरआईडॉक्टर प्रसाद के मुताबिक़ ये वाइरस बाघों के नर्वस सिस्टम पर असर डालता है. वो कहते हैं, "बाघ कई बार रास्ता भूल जाते हैं, जंगल में जाने की जगह खेतों में चले जाते हैं. भटक जाते हैं."

तो क्या बाघों के आदमख़ोर होने के पीछे ये वाइरस भी वजह हो सकता है?डॉक्टर प्रसाद कहते हैं कि ये भी एक वजह हो सकती है. वो कहते हैं, "मेरे पास कोई सबूत नहीं है लेकिन दिमाग़ में जो बदलाव होते हैं उनकी वजह से भी हो सकता है कि वो जंगल से निकलकर गांवों की ओर चल पड़े."वजह चाहे जो हो लेकिन इतना साफ़ है कि अगर जल्दी ही बाघों को बचाने के लिए क़दम नहीं उठाए गए तो उनके अस्तित्व पर सवालिया निशान लग सकता है.

Posted By: Subhesh Sharma