अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को अंतरिक्ष कमान स्पेसकॉम की स्थापना के साथ ही अंतरिक्ष बल की नींव रख दी है। बता दें कि अंतरिक्ष बल स्पेसकॉम मिशन के लिए सैनिकों को प्रशिक्षित करने के साथ ही साजो-सामान मुहैया कराएगा।


वाशिंगटन (आईएएनएस)। अंतरिक्ष में अमेरिका की धाक जमाने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को अंतरिक्ष कमान स्पेसकॉम की स्थापना के साथ ही अंतरिक्ष बल की नींव रख दी। उन्होंने अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए एकीकृत ईकाई की जरूरत बताते हुए कहा कि अंतरिक्ष ही अगला युद्ध क्षेत्र होगा। बता दें कि स्पेसकॉम कमान अंतरिक्ष बल (स्पेस फोर्स) की स्थापना की राह तैयार करेगी, जो अमेरिकी सेना की छठी ईकाई होगी। व्हाइट हाउस में इस कमान की आधिकारिक शुरुआत करते हुए ट्रंप ने कहा, 'अंतरिक्ष बल स्पेसकॉम मिशन के लिए सैनिकों को प्रशिक्षित करने के साथ ही साजो-सामान मुहैया कराएगा। यह अंतरिक्ष में अमेरिकियों के प्रभाव को मजबूत करेगा क्योंकि हम यह जानते हैं कि जीत की तैयारी के लिए संघर्ष से बचना अच्छा तरीका होता है।'अमेरिका की खुफिया एजेंसी ने चीन और रूस को लेकर दी थी चेतावनी
हालांकि, स्पेस फोर्स का गठन अभी भी अमेरिकी संसद की स्वीकृति पर टिका है। उसकी मंजूरी मिलने के बाद ही नए सैनिकों की भर्ती होगी और उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। वे चीन और रूस से अमेरिकी सेटेलाइट की रक्षा का काम करेंगे। ये दोनों देश सेटेलाइट रोधी हथियार विकसित कर रहे हैं। अमेरिका की एक खुफिया एजेंसी ने पिछले साल चेताया था कि था कि दोनों देश आने वाले दो-तीन साल में अमेरिकी सेटेलाइट को नष्ट करने में सक्षम हो जाएंगे।अमेरिका : कश्मीर मसले पर बोले भारतवंशी सांसद, यह भारत का आंतरिक मामला, इमरान खान की बयानबाजी हास्यास्पददुशमनों के बारे में जानकारी हासिल कर लेते हैं ख़ुफ़िया अधिकारीअमेरिकी वायुसेना के परमाणु और अंतरिक्ष अभियान के पूर्व अधिकारी ब्रायन वेडन ने कहा, 'आगे चलकर किसी भी लड़ाई में अंतरिक्ष की अहम भूमिका होगी क्योंकि अंतरिक्ष आधारित तकनीक और क्षमताएं अहम भूमिका निभा रही हैं और तेजी से सैन्य लक्ष्य बन रही हैं।' बता दें कि अमेरिका को लगता है कि रूस और चीन जैसे देशों से उसके हितों को खतरा पैदा हो गया है क्योंकि वे अंतरिक्ष में उसके सेटेलाइट को निशाना बना सकते हैं। दरअसल, ये सेटेलाइट उत्तरी अरब सागर और फारस की खाड़ी समेत दुनिया के अन्य हिस्सों में तैनात अमेरिकी युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों को गाइड करने में मदद करते हैं। इन सेटेलाइट की मदद से ही खुफिया अधिकारी दुश्मनों के बारे में जानकारी आसानी से हासिल कर लेते हैं।

Posted By: Mukul Kumar