RANCHI: झारखंड पब्लिक सर्विस कमिशन(जेपीएससी) की पांचवीं सिविल सेवा परीक्षा को लेकर इन दिनों सड़क से लेकर सदन तक हंगामा मचा हुआ है। सरकार से लेकर जेपीएससी के क्रियाकलापों तक पर उंगली उठाई जा रही है। जबकि नियुक्ति में हुई गड़बडि़यों को लेकर जेपीएससी ने पहले ही अपना पक्ष रख दिया है। इसके बावजूद जेपीएससी की ओर से यह बताया गया है कि जो भी नियुक्ति हुई है, वो सरकार द्वारा जो नियमावली दी गई है। उसी के आधार पर हुई है।

दिव्यांग कोटा फॉलो हुआ

जेपीएससी की ओर से बताया गया है कि परीक्षा में दिव्यांग कोटा में जो सीट खाली रह गई हैं। वो आरक्षण के नियमों के अनुसार रखी गई हैं। आरक्षण के अनुसार, तीन प्रतिशत दिव्यांग को लाभ मिलना है। इसमें पहले नंबर पर टोटली ब्लाइंड, दूसरे नंबर पर डम्ब एंड डीफ और तीसरे नंबर पर टेलीपेड जो पैर से नि:शक्त होते हैं, उनको आरक्षण का लाभ मिलना है। अगर शुरू के कोटा के अनुसार, कोई ब्लाइंड स्टूडेंट परीक्षा में नहीं बैठता है, तो उसकी सीट खाली रह जाएगी। उसके स्थान पर दूसरे दिव्यांग को नहीं लिया जा सकता है। दूसरे को सेकेंड कोटा में ही लिया जाएगा। अगर वो भी परीक्षा में नहीं आए, तो वो सीट भी खाली रह जाएगी। यह आरक्षण प्रावधान के नियम में है।

कोर्ट ने कमिशन को सही माना

जेपीएससी की ओर से बताया गया कि छात्रों के पीटी और मेंस का जो मामला हाईकोर्ट में चल रहा था, उस पर कोर्ट ने भी कहा है कि अगर छात्रों ने ओएमआर सीट में सही से नहीं फील किया है, तो उन्हें रिजेक्ट किया जा सकता है। जेपीएससी के अनुसार, पीटी परीक्षा के बाद करीब 7 हजार छात्रों का रिजल्ट ओएमआर सीट में पूरा डिटेल्स नहीं भरने के कारण जारी नहीं किया गया। इसको लेकर छात्र हाईकोर्ट गए, लेकिन कोर्ट ने जेपीएससी के निर्णय को सही माना। मेंस परीक्षा में भी करीब भ्00 से अधिक छात्रों ने ओएमआर सीट में सही जानकारी नहीं दी। इसकारण उनका रिजल्ट भी जारी नहीं किया गया।

झारखंड के ख्0क् कैंडिडेट्स

छात्रों का आरोप है कि बहाली में सामान्य वर्ग व अनारक्षित कोटा में बड़ी संख्या में राज्य के बाहर के विद्यार्थियों का चयन हुआ है। इसमें झारखंड में रहनेवालों, अनारक्षित के हितों की अनदेखी की गई है। इस पर जेपीएससी का कहना है कि यह राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है। इसमें भारतीय संविधान के मुताबिक देश के दूसरे राज्य के उम्मीदवार परीक्षा दे सकते हैं, उन्हें कानूनन रोका नहीं जा सकता है। देश के अन्य राज्यों में भी ऐसा ही होता है। यहां तक कि झारखंड के भी छात्र अन्य राज्यों में इसी प्रावधान के तहत ऐसी परीक्षा में शामिल होते हैं। सफ ल होकर नौकरी भी कर रहे हैं। आरक्षित कोटा पर कोई विवाद नहीं है। झारखंड में ख्7ख् पदों के एवज में ख्म्9 पदों का रिजल्ट निकला। इसमें आरक्षण के प्रावधान के तहत क्0भ् पद एसटी के भ्भ्, एससी के ख्फ्, बीसी वन के क्9, बीसी टू के 8 पद आरक्षित थे। कुल क्म्ब् पद अनारक्षित थे। इनमें 9म् उम्मीदवार चयनित हुए। म्8 अन्य राज्यों के उम्मीदवारों में बिहार के म्ख् हैं। यानी ख्0क् उम्मीदवार झारखंड के हैं।

Posted By: Inextlive