प्रिंसिपल ने दिये मशीनों के खराब होने के मामलों की जांच के आदेश

कहा- मशीनों को खराब करने में किसी कर्मचारी का हो सकता है हाथ

देहरादून,

राजकीय दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में आए दिन खराब हो रही मशीनों की जांच होगी. जांच का फोकस इस बात पर होगा कि कहीं हॉस्पिटल की इमेज को खराब करने के लिए कोई स्टाफ या कर्मचारी साजिश तो नहीं रच रहा है. कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष सयाना ने इस बाबत हॉस्पिटल के एमएस डॉ. केके टम्टा को जांच के आदेश दिए हैं.

तीन मशीनें ठप

दून हॉस्पिटल में होरिजेंटल ऑटोक्लेव मशीन खराब होने के बाद हॉस्पिटल प्रबंधन अब विभिन्न मशीनों के बार-बार खराब होने के कारणों की जांच करेगा. मशीनों के ठप हो जाने से हॉस्पिटल प्रबंधन की इमेज पर भी बुरा असर पड़ रहा है. ऐसे में अब मशीनों के खराब होने में साजिश को लेकर जांच की जाएगी. हॉस्पिटल प्रबंधन को इस बात का भी शक है कि हॉस्पिटल का इस मामले में हॉस्पिटल के ही किसी कर्मचारी का हाथ हो सकता है, जो जान-बूझकर पिछले लम्बे समय से दून हॉस्पिटल की कई मशीनों में आए दिन खराबी आ रही है. ऐसे में दून हॉस्पिटल प्रबंधन पर भी सवाल खड़े हो गए हैं. जिनमें ऑटोक्लेव मशीन, सीटी स्कैन मशीन, ईको मशीन खराब है. इसके अलावा डायलिसिस, एमआरआई और अन्य रेडियोलॉजी की मशीनों में आए दिन कुछ न कुछ तकनीकी दिक्कत आती रहती हैं.

कमीशन का खेल तो नहीं

दून हॉस्पिटल की मशीनें अब बूढ़ी हो गई हैं. सभी मशीनें 15 वर्ष से भी पुरानी हैं. कुछ मशीनों की कीमत करोड़ों में है. ऐसे में जब भी मशीनें खराब होती हैं, नई मशीनों की डिमांड शुरू हो जाती है. नई मशीन लगवाने के लिए कमीशन का भी खेल होना तय है. जिससे हॉस्पिटल के कुछ कर्मचारियों को सीधे-सीधे फायदा हो सकता है. हॉस्पिटल की बूढ़ी मशीनों के बार-बार खराब होने पर सीधे हॉस्पिटल की इमेज पर बुरा असर पड़ता है. ऐसे में कमीशन के चक्कर में नई मशीनों को खरीदने का प्रेशर बनाया जा रहा है.

ये मशीनें हैं खराब

ऑटोक्लेव मशीन- बीते ट्यूजडे को हॉस्पिटल में इंस्ट्रूमेंट की सफाई करने वाली हॉरिजॉन्टल आटोक्लेव मशीन खराब हो गई. हॉस्पिटल में तीन आटोक्लेव मशीन हैं. इनमें से दो मशीन कई दिनों से खराब पड़ी हैं. तीसरी मशीन भी ट्यूजडे को खराब हो गई. जो 15 वर्ष पुरानी है. अब वर्टिकल मशीन से काम चलाया जा रहा है.

ईको मशीन

हार्ट संबंधी जांच करने वाली 20 वर्ष पुरानी ईको मशीन एक महीने से खराब है. इस मशीन को हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा 7 माह पहले ही रिपेयर कराया गया था. मशीन की रिपेयरिंग पर 3 लाख रुपए का खर्चा आया था. एक बार फिर मशीन के खराब हो जाने से हॉस्पिटल प्रबंधन ने एक कमेटी बनाकर मशीन की रिपेयर करने को लेकर जांच बिठाई है.

सीटी स्कैन मशीन- बीते 25 फरवरी से हॉस्पिटल की सीटी स्कैन मशीन खराब पड़ी है, जिससे एमआरआई मशीन पर लोड पड़ गया है. सीटी स्कैन मशीन 15 वर्ष पुरानी है, जिसके बदले नई मशीन खरीदने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा एमआरआई मशीन भी पुरानी हो गई है, जिसके विकल्प के तौर पर नई मशीन खरीदने का प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है.

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मशीनों के खराब होने में किसी की शरारत या जानबूझकर करने की भी कम्पलेन है. इसकी जांच करने के लिए एमएस को निर्देश दिए गए हैं. जो भी कर्मचारी इसमें लिप्त होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

डॉ. आशुतोष सयाना, प्रिंसिपल

Posted By: Ravi Pal