- एक शताब्दी बाद दिखी व्हाइट रंप्ड मुनिया और रेड बुलबुल

- ग्राफिक एरा हिल युनिवर्सिटी के प्रोफेसर की रिसर्च में प्रमाण

DEHRADUN : उत्तराखंड की वादियों में एक शताब्दी बाद नन्ही मुनिया की व्हाइट रंप्ड मुनिया और बुलबुल की खास प्रजाति रेड व्हिस्की रेड बुलबुल दिखाई दी। ग्राफिक एरा हिल युनिवर्सिटी के डा। कमलकांत जोशी को अपनी रिसर्च प्रोजेक्ट के दौरान इन दोनों ब्रीड की ब‌र्ड्स की मौजूदगी के प्रमाण मिले। इनमें एक चिडि़या चमोली जनपद के कई इलाकों में पाई गई है।

सौ साल बाद दिखी प्रजाति

युनिवर्सिटी के एनवॉयमेंट डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डा। कमलकान्त जोशी ने बताया कि मुनिया प्रजाति की व्हाइट रंप्ड मुनिया को साल क्900 में फेमस पक्षी विज्ञानी वॉल्टन ने कुमाऊं क्षेत्र में देखा था। उन्हाेंने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया था। इसके बाद कभी मुनिया प्रजाति की इस चिडि़या की उत्तराखण्ड क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज नहीं हुई। मूलत: दक्षिण भारत की यह छोटी चिडि़या देहरादून और नारायण बगड़, थराली और कर्णप्रयाग एरिया में पाई गई है।

रेड बुलबुल के प्रमाण भी मिले

इसके अलावा बुलबुल प्रजाति की रेड व्हिस्की रेड बुलबुल के भी प्रमाण मिले शोध परियोजना के दौरान डा। जोशी ने दून घाटी में जनवरी और मार्च महीने में प्रजाति की क्0 बुलबुल देखी हैं। बुलबुल की अन्य प्रजातियों रेड वेन्टेड बुलबुल और हिमालयन बुलबुल के साथ इन चिडि़यों को देखा गया है। उत्तराखण्ड जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोजेक्ट के तहत यह शोध परियोजना चलाई जा रही है। गुरूकुल कांगड़ी युनिवर्सिटी की पक्षी विविधता एवं पक्षी सम्वाद प्रयोगशाला के प्रमुख व पक्षी वैज्ञानिक डा। दिनेश भट्ट ने भी इस पर हामी भरी। उन्होंने माना कि व्हाइट रंप्ड मुनिया चिडि़या और बुलबुल प्रजाति की रेड व्हिस्की रेड बुलबुल दूनघाटी और चमोली जनपद में मिलने के डा। जोशी ने प्रमाण दिए है।

Posted By: Inextlive