RANCHI: रांची को देशभर में चार हजार स्वच्छ शहरों की लिस्ट में अवार्ड के लिए चुना गया है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। स्थिति यह है कि इधर रांची को स्वच्छता के लिए अवार्ड मिला है जबकि दूसरी ओर शहर में कचरे का अंबार लगा है। वहीं डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन भी पूरी तरह से ठप हो चुका है। सफाई करने वाली एजेंसी ने बकाया का हवाला देते हुए अब कचरा कलेक्शन से हाथ खड़े कर लिए हैं। इससे शहर की स्थिति नर्क जैसी हो गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अवार्ड लेने के लिए ही शहर को चमकाया जाता है?

दो-तीन शिफ्टों में कराई थी सफाई

4 जनवरी से 31 जनवरी तक देशभर के 4,237 शहरों में स्वच्छता सर्वे शुरू हुआ था। इस दौरान टीम के इंस्पेक्शन को लेकर डेट भी फाइनल नहीं थी। ऐसे में सरप्राइज विजिट को लेकर नगर निगम और आरएमएसडब्ल्यू की टीम रेगुलर सफाई करा रही थी। वहीं मुख्य इलाकों में दो से तीन शिफ्ट में सफाई का दौर चालू था। इतना ही नहीं, टीम के विजिट वाली जगहों पर तो ढूंढने से भी कचरा नहीं दिख रहा था। वहीं सफाई के बाद ब्लीचिंग का भी छिड़काव कराया जा रहा था।

वेस्ट प्रोसेसिंग में नहीं बढ़े कदम

स्वच्छ भारत मिशन के तहत अलग-अलग कैटेगरी में मा‌र्क्स तय किए गए थे। लेकिन आंकड़ों पर नजर डालें तो रांची के लिए यह एक-दो जगहों को छोड़ फिट नहीं बैठता। चूंकि रांची में डोर टू डोर कलेक्शन की स्थिति पहले से काफी खराब है। वहीं वेस्ट का सेग्रीगेशन तो शायद ही कहीं देखने को मिल जाए। इसका उदाहरण नगर निगम की कलेक्शन वाली गाडि़यों में भी देखा जा सकता है। वहीं वेस्ट का सोर्स सेग्रीगेशन भी शहर में तो अभी ढंग से शुरू नहीं हो पाया है। और जहां तक प्रोसेसिंग की बात है तो नगर निगम इस मामले में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है।

देशभर के शहरों का आंकड़ा एक नजर में

इंडीविजुअल हाउसहोल्ड लैट्रीन : 94 परसेंट

कम्युनिटी, पब्लिक टॉयलेट : 100 परसेंट

डोर टू डोर कलेक्शन : 89 परसेंट

वेस्ट सोर्स सेग्रीगेशन : 60

वेस्ट प्रोसेसिंग : 52

Posted By: Inextlive