फैक्ट एंड फिगर

282 ड्राइवर हैं चारों डिपो में रेग्यूलर

861 ड्राइवर संविदा पर रखे गए हैं

4 डिपो हैं बरेली रीजन में

659 बसें है बरेली रीजन में

300 किलोमीटर से अधिक दूरी पर जाने वाली बसों में होने चाहिए दो ड्राइवर

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लॉन्ग रूट की बसें

24 बसें रुहेलखंड डिपो में

32 बसें हैं बरेली डिपो में

57 बसें हैं पीलीभीत डिपो में

21 बसें है बदायूं डिपो में

डिपो में बसों की स्थित

बरेली डिपो

71 निगम की है बरेली डिपो की जिसमें 3 बसें जनरथ

28 अनुबंधित बसें हैं जिसमें से 7 बसें शताब्दी हैं

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रुहेलखंड डिपो

60 बसें निगम की हैं जिसमें से 3 जनरथ

29 बसें अनुबंधित बसें हैं जिसमें 9 शताब्दी

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पीलीभीत डिपो

92 बसें हैं निगम की

19 बसें अनुबंधित हैं। इसमें से 12 बसें शताब्दी

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बदायूं डिपो

26 बसें निगम की हैं

37 बसें हैं अनुबंधित

-ड्राइवरों की झपकी लेने से होने वाले हादसों को देखते हुए उठाया कदम

-वर्दी और शूज में दिखेंगे ड्राइवर, पहचाने में नहीं होगी कोई दिक्कत

बरेली: ड्राइवर को नींद तो नहीं आ रही, पता नहीं सही से चलाएगा बस कि नहीं, यह तो हर जगह बस रोक दे रहा। ऐसे ही कई बातें हम रोडवेज बसों में सफर के दौरान अक्सर सोचते हैं, लेकिन अब आप बेफिक्र होकर रोडवेज बसों में सफर कर सकते हैं और सुकून से सो भी सकते हैं। क्योंकि लखनऊ स्थित परिवहन विभाग के मुख्यालय के आदेश पर सभी लॉन्ग रूट की बसों में दो ड्राइवरों की तैनाती की जाएगी। ड्राइवरों की झपकी से होने वाले हादसों को रोकने के मकसद से यह कदम उठाया गया है। साथ ही इससे ड्राइवरों को भी रिलीफ मिलेगी। रोडवेज अफसरों ने आदेश को फॉलो कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द ही सभी लॉन्ग रूट की बसों में दो ड्राइवरों की तैनाती कर दी जाएगी।

हादसे के बाद लिया सबक

ड्राइवरों की झपकी की वजह से पहले कई हादसे हो चुके हैं, जिनमें काफी पैसेंजर्स की जान तक चली गई है। ज्ञात हो पिछले दिनों परिवहन निगम की लॉन्ग रूट की एक बस के ड्राइवर की झपकी से 29 पैसेंजर्स की जान चली गई थी। हादसा नौ जुलाई को एत्मादपुर के पास हुआ। अवध डिपो की जनरथ बस आलमबाग टर्मिनल से कानपुर होकर गाजीपुर होते हुए दिल्ली जाना था। जिस समय हादसा हुआ उस समय बस में 52 पैसेंजर्स सवार थे। लॉन्ग रूट होने के चलते बस ड्राइवर को झपकी आना बताया गया था।

ओवरटाइम करना मजबूरी

परिवहन निगम के बरेली, रुहेलखंड, बदायूं और पीलीभीत डिपो की कुल 134 बसें लांग रूट की है। इन सभी बसों में एक ही ड्राइवर की तैनाती है। जिससे ड्राइवर को न चाहते हुए भी बस को ड्राइव करना पड़ता था। कई बार नींद की झपकी भी आने का खतरा रहता था, लेकिन इसके बाद भी मजबूरी में ड्राइवर को ही बस को ड्राइव करना पड़ता था। इससे कई बार हादसे भी हुए, जिसमें पैसेंजर्स की जानें भी गई और बस भी कंडम हो गई।

दो गुना करते थे ओवरटाइम

-रोडवेज बसों में ड्राइवर की आठ घंटे ड्यूटी का नियम है।

-ड्राइवरों की कमी के चलते 16 घंटे तक चलानी पड़ती है बस।

-250 किलोमीटर की दूरी तय करने में 7 घंटा लगता है।

-रिलैक्स करने के लिए ड्राइवर लगभग हर 100 किमी पर लेता है स्टॉप।

यह होगा फायदा

-हादसों में कमी आएगी।

-ड्राइवर रिलैक्स कर सकेगा।

-सफर के टाइम में कमी आएगी।

-ड्राइवर ज्यादा अलर्ट होकर बस चलाएगा।

वर्दी में नजर आएंगे ड्राइवर

अक्सर देखा जाता है कि रोडवेज बस के ड्राइवर और कंडक्टर वर्दी नहीं पहनते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सभी ड्राइवर और कंडक्टर को शूज और वर्दी पहनाना कंपलसरी होगा। क्योंकि इससे पैसेंजर्स को अक्सर पहचानने में भी दिक्कत होती थी।

वर्जन

-हादसों की स्थिति शून्य करने और शासन के रूल्स का फॉलो करने के लिए लॉन्ग रूट की बसों में दो ड्राइवर्स की तैनाती की जा रही है। शासन की अच्छी पहल है। इससे ड्राइवर्स को भी फायदा होगा।

एसके बनर्जी, आरएम, बरेली रीजन

Posted By: Inextlive