28 से 30 अक्टूबर के बीच ग्र्रेटर नोएडा के बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर होने वाली फॉर्मूला-1 रेस भले ही इंडिया की पहली ऑफिशियल रेस हो लेकिन यह शुरुआत कतई नहीं है. इंडिया में रेसिंग का इतिहास 107 साल पुराना है. अगर यकीं नहीं तो हमारी इस खास रिपोर्ट पर गौर फरमाइए.


107 साल पुराना है इंडियन मोटरस्पोट्र्स का इतिहासइंडियन मोटरस्पोर्टस की शुरुआत इंडिया में किसी भी तरह का पहला मोटरस्पोर्ट इवेंट 1904 में मोटर यूनियन ऑफ वेस्टर्न इंडिया द्वारा आयोजित किया गया था। 1300 किमी। लंबी इस रेस की शुरुआत दिल्ली से हुई, जबकि इसका समापन बांबे (मुंबई) में हुआ। इस रेस में फोड्र्स और रोल्स रॉयस जैसी कारें शामिल हुईं। रेस को तत्कालीन वायसराय लॉड कर्जन ने हरी झंडी दिखाई थी। इसके बाद यूनियन ने कई अन्य सिटीज में इस तरह की रेसेज को ऑर्गनाइज किया।अस्तित्व में आया शोलावरम ट्रैक 


शुरुआत में ये रेसेज बिना किसी रूल्स और रेगुलेशंस के होती थीं, जबकि इनका दायरा बांबे, कलकत्ता, मद्रास, दिल्ली और बैंगलोर जैसे बड़े शहरों तक ही सीमित था। हालांकि दूसरे वल्र्ड वॉर के बाद इस तरह की रेसेज के लिए जुहू (मुंबई), बैरकपुर (कोलकाता), शोलावरम (चेन्नई) और येलाहंका (बेंगलुरू) में इस्तेमाल न की जाने वाली हवाई पïट्टी को रेस ट्रैक में तब्दील कर दिया गया। पुणे के डेक्कन मोटर स्पोट्र्स क्लब ने 1940 में शोलावरम के इसी ट्रैक पर एक रेस कराई थी, जो बहुत पॉपुलर भी रही। पहली ऑर्गनाइज्ड रेस 

इंडिया में ऑर्गनाइज्ड तरीके से पहली बार यह इवेंट 25 अक्टूबर 1953 को कराया गया और इस बार भी शोलावरम के ट्रैक को ही चुना गया। प्रोग्र्राम के मुताबिक इस रेस में स्पोट्र्स कारों को 5 लैप्स में रेस पूरी करनी थी। एल शेप के लैप वाले इस ट्रैक पर जॉन डाई ने फास्टेस्ट और एवरेज 72 मील पर ऑवर की रफ्तार के साथ जीत दर्ज की थी।  पहली ऑल इंडिया मीट7 फरवरी 1957 को शोलावरम ट्रैक पर पहली बार ऑल इंडिया मीट ऑर्गनाइज की गई। जैसे-जैसे यह इवेंट पॉपुलर होता गया, इसमें सिट्रोइन, शेवरले, एमजी और जैगुआर जैसे बड़े और ग्लोबल ब्रांड्स भी शामिल हो गए। यूबी ग्र्रुप के चेयरमैन और मौजूदा टीम फोर्स इंडिया के ओनर विजय माल्या ने भी जवानी के दिनों में एक इम्पोर्टेड फॉर्मूला-1 कार के साथ यहां पार्टिसिपेट किया था। एफएमएससीआई का गठनइसके बाद ही 1971 में एफएमएससीआई का फॉर्मेशन हुआ, जिसे 1973 में एक प्राइवेट कंपनी के तौर पर रजिस्ट्रेशन मिला। 1979 में एफएमएससीआई को एफआईए से एफिलिएशन मिल गया, जबकि 1986 में वह एफआई से जुड़ गया। श्रीपेरंबदूर में बना नया ट्रैक

1990 में श्रीपेरंबुदूर में नया ट्रैक बनने के बाद रेस के आयोजन को शोलावरम से शिफ्ट कर दिया गया। इसी बीच क्रिकेटर से रेसर बने अकबर इब्राहिम ने ब्रिटिश फॉर्मूला-3 सिरीज में शामिल होने वाले पहले इंडियन रेसर होने का क्रेडिट हासिल किया। उन्हीं के नक्शेकदम पर चलकर नारायण कार्तिकेयन ने 2005 में पहला फॉर्मूला-1 ड्राइवर होने का गौरव हासिल किया। इसके बाद पिछले साल करुण चंडोक ने भी एफ-1 में डेब्यू किया।

Posted By: Inextlive