RANCHI: झारखंड सरकार ने डेंटल काउंसिल आफ इंडिया(डीसीआई) के मेंबरशिप के लिए ऐसे व्यक्ति का चुनाव किया है, जिसका झारखंड में रजिस्ट्रेशन डेंटिस्ट एक्ट क्9ब्8 के अनुसार अवैध है। इसकी पुष्टि झारखंड के रजिस्ट्रार ने की है। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी। ऐसे में डेंटल काउंसिल आफिस इंडिया से एनओसी लिए बिना ही झारखंड में डॉ। वीके प्रजापति का रजिस्ट्रेशन कर दिया गया। जबकि बिहार सरकार से एनओसी मिलने के बाद झारखंड में रजिस्ट्रेशन के लिए डेंटल काउंसिल आफ इंडिया से भी एनओसी लेना जरूरी है। ऐसे में डॉ। प्रजापति ने बिहार के रजिस्ट्रेशन पर ही डीसीआइ झारखंड की सदस्यता ग्रहण कर ली। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए डीसीआइ में डॉ। प्रजापति के रजिस्ट्रेशन पर सवाल उठाया है। इस वजह से केंद्र से अब तक उनका नोटिफिकेशन नहीं हुआ है।

मनोनयन के क्भ् दिन बाद एनओसी

बिहार से झारखंड ट्रांसफर के लिए डॉ। प्रजापति ने बिहार सरकार से एनओसी ले लिया था। लेकिन, डीसीआइ से एनओसी लिए बिना ही उन्होंने डीसीआइ के मेंबर के लिए नामिनेशन कर दिया। भ् फरवरी ख्0क्म् को डॉ। वीके प्रजापति को डीसीआइ का मेंबर मनोनीत कर दिया गया। जबकि डीसीआइ ने ख्0 फरवरी ख्0क्म् को उन्हें एनओसी दिया।

रजिस्ट्रार पर भी कार्रवाई नहीं

इंडियन डेंटल एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉ। सुशील कुमार ने जोर देते हुए कहा कि जब रजिस्ट्रार को ही रजिस्ट्रेशन के बारे में जानकारी नहीं है, तो उनके पद पर बने रहने का कोई औचित्य ही नहीं है। इस बारे में कई बार स्वास्थ्य विभाग को भी जानकारी दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

Posted By: Inextlive