- संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ। सतपाल मलिक रहे मौजूद

- वक्ताओं ने अपने वक्तव्य रखे और उनके जीवन पर प्रकाश डाला

Meerut: सीसीएस यूनिवर्सिटी में मंगलवार को बृहस्पति भवन में डॉ। भीमराव अम्बेडकर जयंती के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इससे पहले यूनिवर्सिटी कैंपस में सुबह करीब साढ़े नौ बजे वीसी और सभी यूनिवर्सिटी प्रशासन के लोगों द्वारा शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया। फिर साहित्यिक और सांस्कृतिक परिषद् द्वारा बृहस्पति भवन में संगोष्ठी के दौरान भारत में 'दलित नेतृत्व' पर विचार रखे गए। जिसमें मुख्य अतिथि और विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए।

यह रही संगोष्ठी

संगोष्ठी में मुख्य अथिति के रूप में बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा कि समाज तीन बातों से प्रभावित होता है, शिक्षा, कानून और अध्यात्म। कानून के क्षेत्र में डॉ। अम्बेडकर का योगदान अविस्मरणीय है। कांग्रेस ने चुनाव में उन्हें दो बार हराया, जबकि उस समय के नेताओं में डॉ। अम्बेडकर का कद सबसे बड़ा था। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि डॉ। अम्बेडकर को केवल दलित नेता बनाकर रख दिया गया। नेता किसी एक वर्ग का नही होता है। डॉ। अम्बेडकर केवल संविधान निर्माता नही थे बल्कि राष्ट्र निर्माता भी थे। डॉ। अम्बेडकर ने भाषाई आधार पर राज्यों के बंटवारे का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि देश इसिलए गुलाम हुआ क्योंकि हम जातियों, धमरें और भाषाओं में बंटे रहे।

इन्होंने भी रखे विचार

कार्यक्रम में अध्यक्ष के रूप में बोलते हुए वीसी विक्रम चन्द्र गोयल ने कहा कि डॉ। अम्बेडकर महात्मा बुद्ध के नजदीक हैं और बुद्ध व अम्बेडकर दोनों ही भेदभाव को समाप्त करने पर, छुआछूत को समाप्त करने पर जोर देते है। कुलपति ने कहा कि आरक्षण को केवल एक साधन के रूप में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए तथा जो लोग इस सहारे का इस्तेमाल करके सफलता प्राप्त कर चुके उन्हें स्वेच्छा से इसे छोड़ देना चाहिए। समाज के सभी वर्गो में संवाद होना चाहिए और वह संवाद दिल से होना चाहिए। स्वार्थ को छोड़कर ही समाज का भला किया जा सकता है। संवेदनशीलता और समरसता के बिना समाज को आगे नही बढ़ाया जा सकता।

अविस्मरणीय योगदान

मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रो। आबिद ने कहा कि जाति के विरुद्ध लादे बिना देश को एक किया जाना सम्भव नही था, जो डॉ। अम्बेडकर ने किया। उन्होंने दलित स्वतंत्रता के साथ-साथ नारी अधिकारों के लिए भी अविस्मर्णीय योगदान किया। वह सच्चे अथरें में महात्मा थे। दिल्ली से आए डॉ। नेत्रपाल ने कहा कि बड़े पदों पर बैठे लोगों को दलित नही माना जा सकता। व्यस्क मताधिकार में डॉ। अम्बेडकर ने सर्वाधिक योगदान दिया। सिर्फ पढ़ने से अम्बेडकर को नही समझा जा सकता बल्कि अम्बेडकर को जीकर उन्हें समझा जा सकता है। डॉ। अम्बेडकर ने राजनीतिक सहभागिता के साथ साथ सामाजिक बदलाव पर बात की।

ये रहे शामिल

इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्षा डॉ। के के शर्मा ने कहा कि डॉ। अम्बेडकर ने पूरे समाज को मनोवैज्ञानिक रूप से परिवर्तित किया और सामाजिक ढांचे पर सोचने को मजबूर किया। साहित्यिक और सांस्कृतिक परिषद् की अध्यक्ष प्रो। अर्चना शर्मा ने अतिथियों का परिचय दिया और सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रति कुलपति प्रो। एच एस सिंह, प्रो। जेके पुंडीर, प्रभाष दिवेदी, डॉ। जमाल अहमद सिद्दीकी, डॉ। योगेन्द्र विकल, डॉ। धर्मेन्द्र, डॉ। वीरसेन, डॉ। जयवीर राना, डॉ। धनपाल, गौरव सिंह, प्रशांत गौतम, नरेंद्र मोरल मुख्य रूप से उपस्थित रहे। संचालन डॉ। अलका तिवारी ने किया।

Posted By: Inextlive