- पांच करोड़ रुपए की लागत से निगम ने तैयार किया है बजट

- फाइटो रेमेडिएशन तकनीक से होगी तीन प्रमुख नालों की सफाई

- एक एमएलडी पानी साफ करने में आएगा 30 लाख का खर्च

Meerut । शहर के गंदे नालों को साफ करने के लिए नगर निगम अब पौधों का सहारा लेगा। कुछ खास पौधों के माध्यम से निगम नाले के गंदे पानी को साफ करके उसको दोबारा सिचाई के योग्य बनाएगा। हालांकि, इस प्रोजेक्ट को दिल्ली में शुरु किया जा चुका है। इसलिए अब दिल्ली की तर्ज पर मेरठ नगर निगम इस प्रोजेक्ट का ट्रायल करेगा। इसके लिए करीब पांच करोड़ रुपए का निगम ने बजट तैयार किया है।

क्या है फाइटो रेमेडिएशन तकनीक

गौरतलब है कि पौधों से पानी को साफ करने की विधि को फाइटो रेमेडिएशन तकनीक कहते हैं। इस तकनीक के तहत शहर के गंदे नालों में थोड़ी-थोड़ी जगह छोड़कर पत्थर की लेयर बना दी जाती है। इस छोड़े गए स्थान पर जलीय पौधे जैसे केटटेल, छोटा बैबू, कोलेशिया को लगा दिया जाता है। ये जलीय पौधे होते हैं इनके लिए पानी जरुरी होता है। इन पौधों की जड़ें पानी के अंदर जाल की तरह फैलती है। इस जाल में पानी के साथ बहकर आने वाली गंदगी रूक जाती है। जैसे ही पानी पत्थरों की लेयर से गुजरेगा पौधों की जड़ों के जाल में सारी गंदगी रुक जाएगी। इस प्रक्रिया के साथ ही साथ ही कोयला व फिटकरी भी इस पानी में डाला जाएगा ताकि पानी में गंदगी की बदबू भी खत्म की जा सके।

तीन नालों मे होगा ट्रॉयल

इस प्रक्रिया का शहर के तीन प्रमुख नालों में ट्रायल होगा। इसमें आबू नाला 1, आबू नाला 2 और ओडियन नाले का चयन किया गया है। इन तीन नालों से शहर का 60 प्रतिशत गंदा पानी निकलता है। ऐसे में इन तीनों नालों में यदि यह प्रयोग सफल रहा तो गंदे पानी की समस्या से काफी हद तक निजात मिल जाएगी। इसके बाद शहर के अन्य छोटे नालों में यह तकनीक लगाई जाएगी।

पांच करोड़ से साफ होगा पानी

निगम के अनुसार इन तीन नालों के प्रोजेक्ट पर लगभग पांच करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। इसके तहत एक एमएलडी पानी के साफ होने में करीब 10 लाख रुपए का खर्च आएगा।

वर्जन-

इस प्रोजेक्ट के लिए निगम के अधिकारियों को ट्रेनिंग के लिए दिल्ली भेजा गया है। दिल्ली से इस तकनीक की पूरी जानकारी लेने के बाद मेरठ में यह व्यवस्था लागू की जाएगी।

- ब्रजपाल सिंह, सहायक नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive