नशे के अंधेरे गर्त में समाती जिंदगी
इंटरनेशनल डे अगेंस्ट ड्रग एब्यूज
-इलाहाबाद में तेजी से बढ़ रहे हैं नशे के मरीज -स्मैक, कोकीन, गांजा के चक्कर में बर्बाद कर रहे लाइफ ALLAHABAD: खुशियों पर किसी का कब्जा हो जाए तो आप उसके गुलाम हो जाएंगे। नशे के साथ भी ठीक ऐसा ही होता है। वह आपके ब्रेन के रिवार्ड सर्किट को कैप्चर कर लेता है। इसके बाद आप अपने अच्छे पलों को सगे-संबंधियों की जगह नशे के साथ शेयर और सेलिब्रेट करने लगते हैं और उसकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। यही कारण है कि यंगस्टर्स तेजी से ड्रग्स के शिकार होते जा रहे हैं। उनके इलाज के लिए शहर में अलग से रिहेबिलिटेशन सेंटर्स खोले जा रहे हैं, जहां उनका पूरा ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। रिवॉर्ड सर्किट पर होता है अटैककोकीन, चरस, भांग, अफीम, स्मैक, मॉर्फीन आदि एडिक्ट के ब्रेन के रिवार्ड सर्किट पर अटैक करते हैं। यह ब्रेन का वह पार्ट है जो हमें खुशी के पलों के बारे में बताता है। इससे हमें सुख और खुशी का अहसास होता है। लेकिन, नशे की लपेट में आने के बाद हमारी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है।
सामान्य लक्षण - रात में नींद नहीं आना - आंखें लाल होना - शरीर में थकान- भोजन कम खाना
ड्रग्स के अवैध कारोबार को रोकने के लिए पुलिस कार्रवाई कर रही है। हर माह करोड़ों रुपए की बरामदगी हो रही है। जल्द भी हम पूरी तरह से ड्रग्स कारोबार को खत्म कर देंगे। राजेश यादव एसपी सिटी- चिड़चिड़ापन
- कमजोरी महसूस करना - एकाग्रता की कमी - कार्यक्षमता में कमी - नशा करने की व्याकुलता नशे के प्रकार ओपाइड - अफीम, मॉर्फीन, कोकीन, स्मैक, हेरोइन, कोकीन ड्रग्स एंड सब्सटेंट-नाइट्रोजिटफार्म, डाइनिफार्म, डाक्सोप्रोफार्म, पेट्राजोसीन कैनाबिस - चरस, गांजा, भांग, हशीश सोल्यूशन - थिनर, स्प्रिट, ईथर, पेट्रोल, नेल पॉलिश, इंक रिमूवर नशे से होने वाले नुकसान 1. अफीम, चरस, हेरोइन तथा स्मैक आदि से व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है तथा सुप्तावस्था में आ जाता है। 2. कोकीन, चरस, अफीम से उत्तेजना लाने वाले पदार्थ है, कई बार इसके प्रभाव में व्यक्ति अपराध कर बैठता है। 3. कोल्ड ड्रिंक,चाय और कॉफी -दिल की धड़कन, दांतों के रोग, गले के रोग, बदहजमी आदि रोग बढ़ जाते हैं। कोल्ड ड्रिंक जैसे पेय घातक हैं कभी न पीएं। दो सेंटर्स पर होता है इलाजएमएलएन मेडिकल कॉलेज में नशे से छुटकारा दिलाने के लिए प्रदेश का पहला ओएसटी (आपिमाइड सब्स्टीट्यूशन थेरेपी) सेंटर खोला गया था। फिलहाल यहां पर सौ मरीज इनरोल्ड हैं। इनका तीन फेज में इलाज किया जा रहा है। पहले फेज में इनके शरीर से नशे को निकाला जाता है, दूसरे फेज में बॉडी में हुए नुकसान का मेंटेनेंस होता है और तीसरे फेज में रिहेबिलिटेशन दिया जाता है। यहां पर एडिक्ट को आईवी मॉरफीन इंजेक्शन दिया जाता है जो नशे की लत को छुड़ाता है। हाल ही में कॉल्विन हॉस्पिटल में शहर का दूसरा ओएसटी सेंटर खोला गया है।
बॉक्स रोजाना आते हैं दस नए मरीज शहर में नशेडि़यों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। गली-मोहल्लों में तेजी से इनकी संख्या बढ़ रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ओएसटी सेंटर की ओपीडी में रोजाना दस फीसदी मरीज स्मैक, गांजा, चरस, कोकीन के आते हैं। इनमें से कई अपना सबकुछ गवां चुके होते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि जरूरत पड़ने पर इन मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जाता है। अपराध करने से भी नहीं चूकतेनशे की लत कई बार इस कदर हावी हो जाती है कि इसके लिए एडिक्ट पर्सन क्राइम करने से भी नहीं चूकता है। नशे का सामान खरीदने के लिए रकम का इंतजाम करना भी कई बार मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यह लोग छोटी-मोटी चोरी भी कर लेते हैं। मेनहोल के ढक्कन, घरों के बाहर लगी ग्रिल, ट्री गार्ड इनके लिए सॉफ्ट टारगेट होते हैं। पूर्व में कई बार पुलिस ऐसे लोगों को पकड़ भी चुकी है जो नशेबाजी के लिए ऐसी घटनाओं को अंजाम देते थे।
दस करोड़ का है कारोबार सोर्सेज के मुताबिक, शहर में ड्रग्स का कारोबार लगभग दस करोड़ रुपए का है। यहां बाराबंकी डिस्ट्रिक्ट और पड़ोसी देश नेपाल से अफीम, चरस, स्मैक और गांजे की आमद होती है। आएदिन पुलिस ड्रग रैकेट से जुड़े अपराधियों पर कार्रवाई करती है, लेकिन फिर इन पर पूरी तरह से लगाम नहीं लग पा रह है। वर्जन ड्रग्स का सेवन करने से व्यक्ति का शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक, फैमिलियर आदि का नुकसान होता है। इसकी वजह से समाज में अपराध की टेंडेंसी भी बढ़ रही है। इसको रोकने के लिए हमारे सेंटर में मरीजों का हर तरह से इलाज किया जाता है। नशेडि़यों की संख्या बढ़ रही है। -डॉ। पुष्कर निगम, कंसल्टेंट, ओएसटी सेंटर एमएलएन मेडिकल कॉलेज इस तरह के नशे ब्रेन में डोपामिन हार्मोस बढ़ाने का काम करते हैं। यह हार्मोन हमें खुशी का अहसास कराता है। यही कारण है कि लोग अवसाद, तनाव आदि को छिपाने के लिए ड्रग्स का सेवन करने लगते हैं। यह खुशी पलभर के लिए होती है लेकिन ड्रग्स इंसान का पूरा जीवन बर्बाद कर देती है। -डाॅ। अभिनव टंडन, साइकायट्रिस्ट वर्जन:::