-गवर्नमेंट एनालिस्ट पोस्ट साल भर से वैकेंट

-एनालिस्ट बहाल करने वाले ही एड-हॉक पर कर रहे हैं काम

- पेंडिंग में सर्टिफिकेट का काम

PATNA: हेल्थ डिपार्टमेंट में सबसे पिछड़ा विंग है ड्रग कंट्रोलर ऑफिस। यहां करीब एक साल से अधिक समय से गवर्नमेंट एनालिस्ट की बहाली नहीं हुई है। नई दवाओं को लाइसेंस देना, दवा की जांच कर सर्टिफिकेट इश्यू करना व अन्य कई महत्वपूर्ण काम गवर्नमेंट एनालिस्ट के जिम्मे आता है। सवाल है कि करोड़ों के दवा कारोबार के रेग्यूलेशन को लेकर सरकार उदासीन है। ड्रग डिपार्टमेंट के डिजिटाइजेशन की बात भी पिछले डेढ़ साल से कागजों में ही सिमटी है। ड्रग कंट्रोलर हेमंत कुमार सिन्हा के ऑफिस में ही प्रयास शुरू किया गया था। अब इसकी फाइल धूल चाट रही है। कारण हर डिस्ट्रिक में डिपार्टमेंट के न तो ढंग का ऑफिस व इंफ्रास्ट्रक्चर है और न ही काम लायक स्टाफ।

ये पद पड़े हैं वैकेंट

15 दिसंबर, 2014 तक डायरेक्टर कम गवर्नमेंट एनालिस्ट, जूनियर साइंटिफिक ऑफिसर (टेक्निकल) और लैब असिस्टेंट के पदों पर अप्लीकेशन मंगाया गया था। बड़ी संख्या में अप्लीकेशन भी आया। लेकिन अभी राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से सलेक्शन कमेटी बनेगी। सूत्रों ने बताया कि फिलहाल इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है। एक लंबे अर्से से इसे लेकर मीटिंग तक नहीं हुई है।

नियुक्ति करने वाले ही एड-हॉक पर

ड्रग डिपार्टमेंट में ड्रग कंट्रोलर का पद अभी एडहॉक पर है। पते की बात यह है कि सलेक्शन टीम में ये भी शामिल हैं। लेकिन पेंच यह है कि इनकी सर्विस रेग्यूलराइजेशन के बाद ही डायरेक्टर कम गवर्नमेंट एनालिस्ट, जूनियर साइंटिफिक ऑफिसर (टेक्निकल) और लैब असिस्टेंट पदों पर सलेक्शन का काम किया जाएगा। फिलहाल इसके लिए कोई नोटिफिकेशन नहीं आया है।

ये लोचा है एनालिस्ट पोस्ट में

गवर्नमेंट एनालिस्ट की बहाली के लिए जो नियम, शर्ते रखी गई है वह ऐसी है कि इस पोस्ट को ज्वाइन करने की बजाय प्राइवेट में काम करना ज्यादा लाभप्रद है। सूत्रों ने बताया कि प्राइवेट दवा कंपनियां एनालिस्ट को एक लाख रुपए हर माह या उससे भी अधिक पे करती है। लेकिन गवर्नमेंट में इतना वेतन नहीं है। इसके अलावा नियम-शर्तो में उल्लेख किया गया है कि उसे कम से कम 15 साल तक किसी सरकारी संस्थान में काम करने का अनुभव होना चाहिए। ऐसे लोग विरले ही मिलते हैं। कई कैंडिडेट के पास डिग्री तो है लेकिन इतना एक्सपीरिएंस नहीं। ऐसे में इस पोस्ट के लिए बहुत कम ही सुटेबल कैंडिडेट मिलते हैं।

लाइसेंस के लिए चक्कर से राहत नहीं

डिजिटाइजेश प्रोग्राम के तहत लक्ष्य रखा गया था कि ड्रग मैन्यूफैक्चरर व इसकी बिक्री के लिए लाइसेंस ऑनलाइन की जाएगी। अभी स्थिति यह है कि इसके लिए कम से कम एक महीने से अधिक का समय लगता है। इसकी प्रॉसेस ऑनलाइन होने से हर हाल में एक महीने से कम समय में लाइसेंट इश्यू कर दिया जाता। सूत्रों ने बताया कि इसका कारण था कि इसकी कंट्रोलिंग संबंधित जिले के ड्रग कंट्रोलर के पास होती। इसमें सिस्टम ऐसा बनाया जाना था कि देरी करने के बाद इसमें लॉग इन ही नहीं होता। लेकिन यह सिर्फ प्लान मात्र रहा। कोई काम नहीं हो सका।

Highlights

पद संख्या

डायरेक्टर कम गवर्नमेंट एनालिस्ट- क्

गवर्नमेंट एनालिस्ट - क्

जूनियर साइंटिफिक ऑफिसर (टेक्निकल) - म्

लैब असिस्टेंट - भ्

Posted By: Inextlive