- अब नारकोटिक्स डिपार्टमेंट को देनी होगी नशीली दवाओं के खरीद-फरोख्त की रिपोर्ट

- एनडीपीएस एक्ट के विरोध में लामबंद हुए दवा व्यापारी

- सुसाइड केसेज में नशीली दवाओं के कई मामले आते हैं सामने

ALLAHABAD: कितनी अजीब बात है। जो दवाएं जान बचाने के लिए यूज होती हैं, वह अब जान लेने के काम आ रही हैं। हम बात कर रहे हैं उन ड्रग्स की जिन्हें नशीली दवाएं कहा जाता है। आमतौर पर ऐसी दवाओं का यूज खांसी, कफ, ब्रेन, पागलपन और घबराहट के इलाज में किया जाता है लेकिन कुछ लोग इसके एडिक्ट होते जा रहे हैं। मार्केट में इन दवाओं का आसानी से अवेलेबल होना चिंता की बात है। फिलहाल नारकोटिक्स डिपार्टमेंट ने इन दवाओं की सेलिंग पर लगाम लगाने की कोशिश की है, जिसका जमकर विरोध हो रहा है। दवा व्यापारियों को एक्ट से परहेज नहीं है, वह केवल इसके इम्प्लीमेंटेशन को लेकर परेशान हैं।

अब रोजाना भेजनी होगी रिपोर्ट

अब ऐसी दवाओं को बेचना और खरीदना आसान नहीं होगा। एनडीपीएस एक्ट के तहत सेंट्रल गवर्नमेंट ने इन दवाओं की खरीद-फरोख्त के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की शर्त रखी है। होल सेल और रिटेल दवा व्यापारियों को इस एक्ट के घेरे में ले लिया गया है। इसके अलावा रोजाना का सेलिंग और परचेजिंग का रिकार्ड नारकोटिक्स डिपार्टमेंट को अवेलेबल कराना होगा। यह सब ऑनलाइन होगा। यह एक्ट एक मार्च ख्0क्ब् से लागू हो गया है।

क्यों पड़ी जरूरत

एनडीपीएस एक्ट में बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी? ये एक बड़ा सवाल है। आंकड़े बताते हैं कि केवल इलाहाबाद में पर ईयर दो सौ से अधिक सुसाइड के मामले सामने आते हैं। इनमें नशीली दवाओं के खाने से होने वाली मौतों की संख्या भ्0 फीसदी के आसपास है। इसके अलावा मार्केट में नियमों का उल्लंघन करते हुए मेडिकल स्टोर्स पर आसानी से ये दवाएं अवेलेबल हैं। खासकर यूथ इन दवाओं के एडिक्ट होते जा रहे हैं। इनमें मार्जिन भी बहुत ज्यादा होता है। कुछ दवाओं की एमआरपी क्ब्0 रुपए है लेकिन डिमांड अधिक होने की वजह से इन्हें भ्00 रुपए तक सेल किया जा रहा है। ये चिंता का विषय है और इसीलिए नारकोटिक्स डिपार्टमेंट और गवर्नमेंट ने लगाम लगाने की कोशिश की है।

इनकी हो रही अधिक बिक्री

एनडीपीएस एक्ट के तहत कुछ दवाओं की बिक्री पर बैन लगा हुआ है। बावजूद इसके इन्हें खुलेआम बेचा जा रहा है। गवर्नमेंट की हिदायत है कि ब्रेन, घबराहट, स्लीप एप्निया, कफ या खांसी के इलाज के लिए यूज होने वाली दवाओं या सिरप को डॉक्टरी पर्चे पर ही बेचा जाए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। एल्प्राजोलम, फैल्साड्रिल, कोडीन सिरप, डायजापाम सहित कई ऐसी दवाएं हैं, जिनको नशे के तौर पर यूज किया जा रहा है। इनकी पर मंथ बिक्री करोड़ों रुपए में है। सोर्सेज बताते हैं कि दवाओं का एक बड़ा लॉट नार्थ-ईस्ट में भी बड़ी मात्रा में सप्लाई होता है। यहां से इन्हें दूसरे देशों में भी सप्लाई किया जाता है।

फिर विरोध किस बात का

पब्लिक के फायदे के लिए बनाए गए इस रूल को लेकर दवा व्यापारी खुश नहीं हैं। जिसके चलते उन्होंने ख्8 मार्च को यूपी में मेडिकल स्टोर्स की बंदी का ऐलान किया था। वह इस आंदोलन को आगे ले जाना चाहते हैं। व्यापारियों का कहना है कि गवर्नमेंट अगर इस ऐक्ट को लागू करना चाहती है तो पहले सुविधाएं देनी होंगी। एसोसिएशंस की मानें तो रूरल और शहरी क्षेत्रों में दुकानदार कम्प्यूटर फ्रेंडली नहीं हैं और लाइट की भी प्रॉब्लम रहती है। ऐसे में रोजाना ऑनलाइन रिपोर्ट भेजना आसान नहीं है। ऐसी दवाएं बिना डॉक्टरी पर्चे के किसी को नहीं बेची जा रही हैं।

-अक्सर मेडिकल स्टोर्स पर बिना डॉक्टरी पर्चे पर प्रतिबंधित दवाएं बेचने के मामले सामने आते हैं। जिस पर जांच करके कार्रवाई की जाती है। इसी के चलते गवर्नमेंट ने एनडीपीएस एक्ट में कुछ नए नियम लागू किए गए हैं। अब डेली परचेजिंग-सेलिंग का रिकार्ड नारकोटिक्स डिपार्टमेंट को भेजना होगा।

एसके चौरसिया, ड्रग इंस्पेक्टर

-दवा व्यापारियों के साथ जबरदस्ती की जा रही है। आखिर बिना सुविधाओं के वह कैसे रोजाना दवाओं की खरीद-फरोख्त का हिसाब किताब भेज पाएंगे। एक दुकानदार अगर दिनभर यही करेगा तो उसका बिजनेस चौपट हो जाएगा। एनडीपीएस एक्ट के तहत आने वाली दवाओं की खुलेआम बिक्री किसी कीमत पर नहीं हो रही है।

परमजीत सिंह, महासचिव, इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन

Posted By: Inextlive