- स्मैक तस्करी में जेल जा चुका

- जमानत मिली तो फिर तस्करी

देहरादून

दून में नशाखोरी ही नहीं तस्करी की लत के मामले भी सामने आ रहे हैं। एसटीएफ ने दून में एक युवक को स्मैक तस्करी में पकड़ा तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। इस वर्ष ही वह दूसरी बार स्मैक तस्करी करते हुए पकड़ा गया। एसटीएफ की एंटी ड्रग टास्क फोर्स उस पर निगरानी रख रही थी।

मार्च में जमानत, फिर गिरफ्तार

एसटीएफ के मुताबित एंटी ड्रग टास्क फोर्स ने नशे की तस्करी के खिलाफ अभियान थाना नेहरू कॉलोनी एरिया से 51 ग्राम स्मैक के साथ ललिता प्रसाद राठौर को गिरफ्तार किया। उसे एसटीएफ ने 7 जनवरी को भी 63.5 ग्राम स्मैक के साथ कोतवाली एरिया से गिरफ्तार किया था। पूछताछ में उसने बताया कि वह दूसरी बार स्मैक तस्करी में पकड़ा गया है। पहली बार जनवरी में जेल गया था, मार्च में जमानत हो गई। एनडीपीएस एक्ट में गिरफ्तारी और जमानत में उसके लाखों रुपए खर्च हो गए। कंगाली की हालत में उसने गलत रास्ते से कमाई का प्लान किया और फिर नशा तस्करी स्टार्ट कर दी। वह बरेली के फतेजगंज से सलीम नामक सप्लायर से स्मैक लाकर देहरादून के रेसकोर्स एरिया में युवाओं को बेचता था।

हर दूसरे तस्कर का यही हाल

बिना मेहनत गलत रास्ते से मोटी कमाई करने का चस्का कई युवाओं को गलत रास्ते पर ले जा रहा है। दून में स्मैक, चरस और अवैध शराब की तस्करी करने वाले हर दूसरे शख्स के खिलाफ एक से अधिक मामले दर्ज है। एसटीएफ ने जिसे पकड़ा वह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी क्लेमेंट टाउन, पटेल नगर थाना पुलिस भी कई ऐसे नशा तस्करों को पकड़ चुकी है ,जो एक से अधिक बार नशा तस्करी में पकड़े गए।

शराब तस्कर तो दर्जनों बार पकड़े

दून, ऋषिकेश और विकासनगर में शराब तस्करों का भी यही हाल है। हाल ही में शहर के बीच कथित जहरीली शराब बेचने के मामले में गिरफ्तार पूर्व पार्षद अजय सोनकर उर्फ घोंचू के खिलाफ तो दस से अधिक मामले शराब तस्करी के दर्ज हैं। उसके खिलाफ गैंगस्टर भी लगाई जा चुकी है। घोंचू के शागिर्दो के खिलाफ भी एक से अधिक मामले दर्ज हैं। ऋषिकेश में तो महिला शराब तस्करों ने पुलिस की नाक में दम कर रखा है। कोतवाली इलाके में एक दर्जन से अधिक महिलाएं शराब तस्करी के लिए कुख्यात है, पुलिस पकड़कर जेल भेजती है, जमानत पर बाहर आकर वे फिर तस्करी में जुट जाती हैं।

सुधार के लिए हो प्रयास:

नशाखोरों को तो नशा मुक्ति केंद्र भेजकर उनकी आदत सुधारने की कोशिश की जाती है, लेकिन नशा तस्करों को सुधार के रास्ते पर लाने के लिए कोई प्रयास नहीं होता। सरकार को चाहिए कि जो लोग नशा तस्करी में लिप्त है, उन्हें सुधारने के लिए भी किसी स्तर पर प्रयास किया जाए। पुलिस उन पर क्रिमिनल का ठप्पा लगा देते हैं, सुधार की दिशा में कोई प्रयास नहीं होता, वरना ऐसे तस्करों को सुधारकर हजारों युवाओं को जीवन संवारा जा सकता है।

Posted By: Inextlive