दवा की दुकानों पर खुलेआम बिक रहीं नशीली गोलियां

सीएमओ के पास रोजना पहुंचती हैं तीन से चार शिकायतें

ड्रग विभाग के पास पेंडिंग पड़ी हैं करीब 30 शिकायतें

>Meerut। नारकोटिक्स ड्रग्स या नशीली दवाओं पर प्रतिबंध होने के बावजूद यह दवाइयां शहर में धड़ल्ले से बिक रही हैं। इसका खुलासा सीएमओ ऑफिस में पहुंचे करीब 150 शिकायती-पत्रों से हुआ है। शहर के कई छोटे दवाघरों में यह दवाइयां बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिपशन आसानी से बेची जा रही है।

पेंडिंग पड़ी शिकायतें

पिछले साल जुलाई से देखें तो विभाग की ओर से सिर्फ 3 मेडिकल स्टोरों पर ही कार्यवाही की गई है। इनमें मवाना, लिसाड़ी गेट, रोहटा रोड के मेडिकल स्टोर शामिल हैं। जबकि ड्रग विभाग के पास करीब 30 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हैं।

कोड से कारोबार

मेडिकल स्टोरों पर नशीली व प्रतिबंधित दवाइयों की खरीद-फरोख्त के लिए बकायदा कोड भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। कोड के मुताबिक प्रॉक्सीवॉन कैप्सूल को नाला बादाम, पेट दर्द के कैप्सूल व एल्प्रेक्स, एलप्राजोलम को दस रूपये का रिचार्ज कूपन व डायजीपॉम को सिरदर्द की दवाई कोड दिया गया है।

यह है नियम

नारकोटिक्स दवाएं बेचने के लिए विभाग से साधारण लाइसेंस शेड्यूल-एच लेना होता है। साथ ही बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिपशन और बिना रिकार्ड या इंवेंटरी के इन्हें नहीं बेचा जा सकता है। बिना लाइसेंस नारकोटिक्स ड्रग्स या दवाएं बेचने पर आजीवन कारावास की सजा का भी प्रावधान है।

यहां करें शिकायत

मेडिकल कॉलेज में बने ड्रग विभाग के अधिकारियों को लिखित में, फोन पर या मौखिक तौर पर या आईजीआरएस पोर्टल पर आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा आप सीधे सीएमओ से भी शिकायत कर सकते हैं।

हमें जो भी सूचना मिलती है, उस पर हम कार्यवाही करते हैं। चूंकि हमारे पास मैनपॉवर कम हैं इसलिए कई बार कार्यवाही करने में देर हो जाती है। इस मामले में श्याम नगर व लिसाड़ी गेट हमारे टारगेट पर हैं।

पवन शाक्य, ड्रग इंस्पेक्टर

मेरे पास रोजाना तीन से चार शिकायत नशीली दवाओं की बिक्री की आती हैं। हम इन शिकायतों को ड्रग विभाग को भेज देते हैं।

डॉ। राजकुमार, सीएमओ

स्लीपिंग पिल या नारकोटिक्स ड्रग बेचने के लिए विभाग से लाइसेंस लेना पड़ता है। मुनाफे के लिए छोटे मेडिकल स्टोर यह दवाई बिना लाइसेंस बेचते हैं।

रजनीश कौशल, महामंत्री, ड्रग एंड केमिस्ट एसोसिएशन

यह दवाइयां पूरी तरह से बैन हैं। बिना डॉक्टर के लिखें हुए इन दवाओं को बेचा ही नहीं जा सकते हैं। हमने भी कई शिकायत की हैं लेकिन कार्रवाई नहीं होती है।

मनोज अग्रवाल, फार्मेसिस्ट

Posted By: Inextlive