- ड्रंक एंड ड्राइव और ओवर स्पीडिंग के कारण हुए कई हादसे

- पुलिस नहीं लगा पा रही दोनों मामलों पर लगाम

- ओवर स्पीड वाहनों पर नकेल कसने के लिए नहीं हैं पुलिस के पास पर्याप्त संसाधन

देहरादून, दून की सड़कों पर नशा और तेज रफ्तार ने कई घरों के चिराग बुझा दिए हैं, हालांकि पुलिस शराब पीकर तेज वाहन चलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के बड़े - बड़े दावे करती आई है, लेकिन जब भी तेज रफ्तार और नशा किसी के जिगर के टुकड़े को उससे छींन लेती है, तो पुलिस के दावे खोखले साबित हो जाते हैं। आएआपको बताते हैं दून में उन बडे़ हादसों की हकीकत।

9 दिसंबर 2018

थाना राजपुर इलाके के साईं मंदिर के पास तड़के साढ़े चार बजे एक बलेनो कार अनियंत्रित होकर पलट गई थी, कार में पांच लोग सवार थे। हादसे में दो युवक अनिल कुमार पुत्र चन्द्र सिंह और नीरज पुत्र रूप सिंह की मौत हो गई थी। जबकि एक युवती समेत दो युवक घायल हुए थे। बताया गया कि कार की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा से ज्यादा थी और कार सवार नशे में थे।

14 सितंबर 2018

थाना डोईवाला इलाके में एक तेज रफ्तार सिटी बस अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पलट गई थी। हादसे में बस सवार 15 लोग घायल हो गए थे। सभी घायलों को उपचार के लिए हॉस्पिटैलाइज करना पड़ा। हादसे का कारण बस का तेज रफ्तार होना बताया गया।

17 जून 2018

थाना प्रेमनगर इलाके के झाझरा में तेज रफ्तार पावर बाइक सवार दो स्टूडेंट्स ट्रैक्टर ट्रॉली से टकरा गए थे। दोनों की हादसे में मौत हो गई। इनमें से स्टूडेंट जोशी आर जॉनसन पुत्र जे आर जॉनसन निवासी केरल और ओलेकेंदू राहा पुत्र अतानू राहा निवासी पश्चिम बंगाल शामिल थे। हादसे की वजह तेज रफ्तार बताई गई, जिसकी सीसीटीवी फुटेज से पुष्टि भी हुई।

28 दिसंबर 2017

थाना राजपुर इलाके के साईं मंदिर के पास तेज रफ्तार स्कॉर्पियो कार पेड़ से टकरा गई थी। हादसे में रिटायर्ड सचिव के बेटे धनंजय की मौत हो गई थी। कार इतनी ज्यादा स्पीड में थी कि वह ड्राइविंग सीट से उछलकर बराबर की सीट में जा गिरा और उसका सिर शीशे से कटकर धड़ से अलग हो गया था। धनंजय अपने घर का इकलौता बेटा था।

कहीं भी नहीं लगे साइन बोर्ड

दून पुलिस ड्रंक एंड ड्राइव को लेकर लगाताक वाहन चालकों को अवेयर करने के दावे करती रही है। लेकिन, शहर की सड़कों पर कहीं भी इस तरह की चेतावनी बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। पुलिस पेट्रोलिंग पर भी सवाल खड़े होते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने शहर की सबसे बिजी राजपुर रोड और आईएसबीटी टू घंटाघर रोड का जायजा लिया तो कहीं भी ड्रंक एंड ड्राइव को सचेत करते हुए कोई बोर्ड कहीं चस्पा नहीं मिला। कई सड़कों पर वाहनों की स्पीड लिमिट की जानकारियों के बोर्ड भी नहीं मिले।

सिर्फ एक इंटरसेप्टर पुलिस के पास

वाहनों की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए दून पुलिस के पास सिर्फ एक इंटरसेप्टर मौजूद है। जो पूरे शहर के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा शहर में 20 थाने हैं, जबकि पुलिस के पास सिर्फ 5 पोर्टेबल स्पीड गन हैं। जाहिर है इतने कम संसाधनों से तेज रफ्तार वाहनों पर लगाम लगाना मुश्किल है।

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अधिकांश एक्सीडेंट देर रात 12 बजे से सुबह 4 बजे के बीच हुए हैं। पुलिस चेकिंग करती है, लेकिन पुलिस से बचने के लिए चालक तेज ड़्राइविंग करता है और हादसे का शिकार हो जाता है।

लोकेश्वर सिंह, एसपी ट्रैफिक

Posted By: Inextlive