ज्यादातर सरकारी बैंकों के एटीएम में कैश नहीं, मशीन-सर्वर खराब होने का बहाना

प्राइवेट बैंकों ने भी फिक्स कर दी लिमिट, लगन के सीजन में बढ़ी परेशानी

ALLAHABAD: नोटबंदी के बाद से बनी कैश क्राइसिस ने एक बार फिर से विकराल रूप धारण कर लिया है। सरकारी बैंकों के ज्यादातर एटीएम या तो खाली हैं या फिर वहां सर्वर-मशीन खराब होने का बोर्ड लग गया है। कई स्थानों पर शटर ही गिरा दिया गया है। प्राइवेट बैंकों पर प्रेशर बना तो उन्होंने अपने यहां हर ट्रांजैक्शन की लिमिट फिक्स कर दी है। लगन और एडमिशन के सीजन में आई इस समस्या ने प्रत्येक व्यक्ति पर प्रभाव डाला है।

कहीं शटर गिरा, कहीं कैश क्राइसिस

चकिया, राजरूपपुर, खुल्दाबाद, लूकरगंज, कीडगंज, चौक, मुट्ठीगंज, स्टैनली रोड के लगभग सभी एटीएम में मंगलवार को कैश नही था। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने चेक किया तो पता चला कि या तो शटर गिरा दिया गया है या गार्ड बता रहा है कि सर्वर डाउन है, मशीन खराब है। वर्तमान समय में एडमिशन और लगन का सीजन है। एडमिशन के लिए एमाउंट तो स्कूल चेक से ले ले रहे हैं लेकिन किताब-कापी, ड्रेस, बैग और ट्रांसपोर्टेशन चार्ज कैश ही पे करना है। लगन के सीजन में दुकानदार भी कैश के अलावा किसी दूसरे मोड में ट्रांजैक्शन से साफ इंकार कर रहे हैं। इसी के चलते पब्लिक को कैश की जरूरत है।

एसबीआई को नहीं मिल रहे तीन करोड़

एसबीआई अफसरों का कहना है कि शहर में उनके 72 एटीएम में एक दिन में तीन करोड़ कैश डाला जाता था। अब एक करोड़ भी डालना मुश्किल है। आरबीआई से करेंसी न मिलने से यह संकट है। ग्राहकों से कैश कलेक्ट होता है उसी से एटीएम को चार्ज किया जाता है।

शहर में एटीएम में कैश नही बचा है। काफी ढूंढने के बाद एकाध जगह पैसे मिल जाते हैं। कई बार सिविल लाइंस तक जाना पड़ जाता है।

मोहित

एटीएम में अगर कैश है भी तो वह 500 रुपए की मल्टीप्लाई में मिलता है। 100 और 2000 के नोट तो लगभग गायब हो चुके हैं।

सुमन

एटीएम में कैश की लिमिट तय हो गई है। यहां से एक बार में ढाई हजार रुपए ही निकाले जा सकते हैं। अगर दस हजार निकालना है तो चार ट्रांजेक्शन करने होंगे।

हिमांशी

कई महीनों से शहर के कई एटीएम बिना कैश बंद पड़े हैं। इनकी जिम्मेदारी किसकी है। यह सरकार को तय करना होगा। आखिर कब तक लोग कैश के लिए भटकते रहेंगे।

रामबाबू तिवारी

Posted By: Inextlive