इस वर्ष दशहरा यानि विजयादशमी का पर्व 25 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। तब से हर साल रावण का पुतला दहन किया जाता है। इस बार कोरोना के चलते कुछ पाबंदियां हैं। फिर भी त्यौहार मनाया जाना है। आइए जानें विजयादशमी पर पूजा मुहुर्त।।

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। "विजया दशमी" आश्विन शुक्ल दशमी को अपराह्न व्यापिनी में मनाई जाती है परंतु इस वर्ष 25 अक्टूबर 2020,रविवार को अनुदया दशमी अपराह्न व्यापिनी है और अगले दिन त्रिमुहूर्ता है परंतु अपराह्न व्यापिनी नहीं है।अतः 25 अक्टूबर 2020,रविवार को ही विजयादशमी मनाना चाहिए। स्कन्द पुराण के अनुसार इस पर्व के लिए श्रवण नक्षत्र युक्त, प्रदोष व्यापनी, नवमी विद्धा दशमी प्रशस्त होती है। अपरान्ह काल, श्रवण नक्षत्र तथा दशमी का आरम्भ ही विजय योग माना गया है...

दशहरा पर अति शुभ अमृत योग
इस वर्ष आश्विन शुक्ल दशमी अनुदया तिथि 25 अक्टूबर 2020,रविवार को प्रातः 7:42 बजे के बाद आरम्भ होकर 26 अक्टूबर 2020 प्रातः 9:00 बजे तक रहेगी। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा,गंड योग पूरे दिन रहेगा।चंद्र मकर राशि में अपराह्न 3:26 बजे तक रहेंगे तत्पश्चात कुम्भ राशि में होंगे।मध्यान्ह काल प्रातः 10:38 बजे से अपराह्न 12:27 बजे तक रहेगा।इस दिन अभिजित मुहूर्त पूर्वाह्न 11:42 से अपराह्न 12:27 बजे तक रहेगा।इस दिन अति शुभ अमृत योग प्रातः 7:42 से सम्पूर्ण रात्रि रहेगा।

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दशमी में विजय मुहुर्त का ही विशेष महत्व
निर्णय सिंधु ग्रंथ* के अनुसार विजय मुहुर्त 25 अक्टूबर 2020 को दोपहर में है। इस पर्व के प्रमुख कर्म में दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय-प्रयाण, शमी पूजन तथा नवरात्रा पारण है। आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी में विजय मुहुर्त का ही विशेष महत्व है, इस दिन स्वयं सिद्ध मुहुर्त में विजय मुहुर्त दोपहर 01:10 बजे से अपरान्ह 01:53 बजे तक रहेगा। स्वयं सिद्ध मुहुर्त में लग्न शुद्धि का विचार नहीं माना जाता है। इस दिन प्रात: 09:16 बजे से मध्यान्ह 12:03 बजे तक लाभ, अमृत का चौघडिय़ा मुहुर्त एवं वृश्चिक लग्न भी रहेगी। इसके बाद दोपहर 1:27 बजे से 02:50 बजे तक शुभ का चौघडिय़ा भी रहेगा।

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वाहन खरीदना होगा शुभ
इस मुहूर्त में खाता बसना कुबेर आदि का पूजन करना शुभ रहेगा।इस दिन स्वयं सिद्ध मुहुर्त होने के कारण नवीन उद्योगों का आरम्भ, वाहन खरीदना, समस्त कार्यों का शुभारम्भ सफलतादायक एवं लाभदायक रहेगा। अत: उपरोक्त चौघडिय़ा मुहुर्त एवं स्थिर लग्न में खाता पूजन आदि करना अत्यन्त शुभ रहेगा।दशहरा जहां बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है, वहीं यह दिन विजय की प्राप्ति हेतु पूजा उपासना के लिए बहुत शुभ है।
ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari