Dussehra 2021: दशहरा का दिन राक्षस रावण पर भगवान राम की जीत का प्रतीक है। भारत के अलावा यह त्योहार नेपाल भूटान और म्यांमार के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है। आइए जानें दशहरा के तिथि उसके समय इतिहास और महत्व के बारे में...

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। विजयादशमी, जिसे दशहरा के रूप में भी जाना जाता है। यह हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है क्योंकि यह राक्षस रावण पर भगवान राम की जीत का प्रतीक है। इसके अलावा, यह भैंस राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह शुभ पर्व नवरात्रि के बाद यानी पवित्र पर्व के दसवें दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से उत्तर भारतीय पहाड़ियों, पश्चिम और मध्य भारत में मनाया जाता है। इसके अलावा, नेपाल, भूटान और म्यांमार के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। इस साल दशहरा 15 अक्टूबर 2021 को मनाया जाएगा। शमी पूजा, अपराजिता पूजा और सीमा हिमस्खलन कुछ ऐसे अनुष्ठान हैं, जो दशहरा के दिन किए जाते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार अपराहन के समय इन अनुष्ठानों को करना चाहिए।

दशहरा 2021: महत्व
दशैन का अर्थ है बुराई पर अच्छाई की जीत। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, असुर महिषासुर ने देवताओं के बीच आतंक पैदा किया था। इस पर देवताओं ने भगवान महादेव की मदद मांगी, जिन्होंने तब देवी पार्वती को प्रबुद्ध किया कि उनके पास असुर को समाप्त करने की शक्ति है। यह नवरात्रि के आखिरी दिन था, देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और देवताओं को बचाया। वहीं एक अन्य मान्यता है कि यह दिन रावण पर भगवान राम की जीत का प्रतीक है, जैसा कि पवित्र पुस्तक रामायण में वर्णित है।

दशहरा 2021: समारोह
विजयादशमी की पूर्व संध्या पर, भक्त एक टीका बनाने के लिए चावल, दही और सिंदूर मिलाकर परिवार के युवा सदस्यों के माथे पर लगाते हैं। यह आने वाले वर्षों में उन्हें बहुतायत से आशीर्वाद देने का एक तरीका है। साथ ही, टीका में लाल रंग उस रक्त का प्रतीक है जो परिवार को एक साथ जोड़ता है। इस दिन बड़े-बुजुर्ग छोटों को दक्षिणा देकर उनके सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

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Posted By: Shweta Mishra