Dussehra 2022 : दशहरे पर क्षत्रियों द्वारा शस्त्र पूजन ब्राह्मणों द्वारा सरस्वती पूजन एवं वैश्यों द्वारा वही पूजन करने का विधान है। यहां पढ़ें पूजन की विधियां...

पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Dussehra 2022 : दशहरा जहां बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है, वहीं यह दिन विजय की प्राप्ति हेतु पूजा उपासना के लिए बहुत शुभ है। इस पर्व को भगवती के विजया नाम के कारण भी विजयादशमी कहते हैं। आज के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए भी शमी वृक्ष के पास जाकर विधिवत् शमीदेवी का पूजन करना चाहिए। इस दिन क्षत्रियों द्वारा शस्त्र पूजन, ब्राह्मणों द्वारा सरस्वती पूजन एवं वैश्यों द्वारा वही पूजन करने का विधान है।

कैसे मनाये विजयादशमी
इस दिन घरों में दशहरा पूजन के लिए आटे अथवा गेरू से दशहरा मांडकर उसके ऊपर जल, रोली, चावल, मोली, गुड़, दक्षिण, फूल, जौ के झंवारे अथवा मूली चढ़ायें तथा दीपक, धूप बत्ती लगाकर आरती करें, परिक्रमा करें। इसके बाद दण्डवत् प्रणाम करके पूजा के बाद हाण्डी में से रूपये निकालकर उस पर जल, रोली, चावल चढ़ाकर अलमारी में रख लें। वहियों पर नवरात्र का नवांकुर भी चढ़ायें एवं कलम-दवात का पूजन भी करें। शस्त्र, शास्त्र एवं पुस्तक पूजन भी करें।

इन देवियों की होगी पूजा
एक थाली में चन्दन से मध्य में अपराजिता देवी, बाईं ओर उमादेवी और दायीं ओर जया देवी का चित्र बनायें, इन तीनों देवियों की पूजा करें।

पहली पूजा जया देवी की
निम्न मंत्र से आवाहन करें
।। ऊँ क्रियाशक्त्यै नम:।।
इस मंत्र से पूजा करें
।। ऊँ जयाये नम:।।

दूसरी पूजा उमा देवी की
निम्न मंत्र से आवाहन कर करें
।।ऊँ उपाये नम:।।
इस मंत्र से पूजन करें
।।ऊँ विजयाये नम:।।

प्रधान पूजा
प्रधान पूजा में अपराजिता देवी की पूजा की जाती है। अपराजिता देवी यात्रा, कार्यों में सफलता और युद्ध प्रतिस्पद्र्धा में विजय दिलाने वाली देवी हैं। विजयदशमी पर इसकी पूजा सायंकाल की जाती है। अपराजिता देवी का आवाहन एवं पूजन निम्न मंत्र से करें। ।
।ऊँ अपराजितायै नम:।।
अन्त में तीनों देवियों की प्रार्थना निम्न मंत्र से करें
इमां पूजा मया देवि यथाशक्ति निवेदिताम्, रक्षार्थ तु समादाय व्रज स्वस्थानपुत्तमम्।।

शमी पूजन
अमंगल, पाप नाश हेतु, विजय एवं कल्याण के लिए शमी के वृक्ष की पूजा की जाती है। (शमी पापों का शमन करती है, शमी के कांटे तांबे के रंग के होते हैं, यह अर्जुन के बाणों को धारण करती हैं। हे शमी, राम ने तुम्हारी पूजा की है, मैं यथा काल विजय यात्रा पर निकलूंगा तो मेरी इस यात्रा को निर्विघ्नकारक व सुखकारक करो) इसके पश्चात शमी वृक्ष के नीचे चावल, सुपारी व तांबे का सिक्का रखें फिर वृक्ष की परिक्रमा कर उसके जड़ के पास की मिट्टी व कुछ पत्ते घर ले आयें।
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Posted By: Shweta Mishra