दुर्व्यवस्थाओं के पंच से बॉक्सिंग पस्त
इलाहाबाद में प्रतिभाओं का ढेर, उपेक्षा से नहीं बढ़ पा रहे आगे
चार साल से देश में बॉक्सिंग फेडरेशन का वजूद ही नहीं दो साल से खाली कोच का पद आरक्षण के चक्कर में भरा नहीं जा रहा Allahabad: ओलंपिक गेम्स में शामिल बाक्सिंग की अपनी अलग धाक है। जिले के युवक व युवतियों में बाक्सिंग के प्रति चाहत है और जोश भी। कमी है तो सिर्फ व्यवस्था की। विगत चार वर्ष से इंडिया में बाक्सिंग फेडरेशन नहीं है। इसकी वजह से यहां की प्रतिभाओं को मौके नहीं मिल रहे। इलाहाबाद में दो वर्ष से बाक्सिंग कोच का पद खाली है। इस पर नियुक्ति इस वजह से नहीं हो पा रही है कि यहां आरक्षण के तहत जिस वर्ग के कोच की नियुक्ति होनी है वह मिल नहीं पा रहा है। बाक्सिंग फेडरेशन में विवादइलाहाबाद में वर्ष 1978 से बाक्सिंग की शुरुआत हुई। शुरुआती दौर से ही यूपी बॉक्सिंग में इलाहाबाद का दबदबा रहा। वर्ष 2010 में बाक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया विवाद शुरू हुआ। इसके बाद इस खेल से जुड़ी प्रतिभाओं के सीधे आगे बढ़ने का मौका खत्म हो गया। अब आल इंडिया यूनिवर्सिटी प्रतियोगिताएं या फिर विभागीय जैसे रेलवे, सेना आदि से जुड़े प्लेयर्स को ही आगे बढ़ने का मौका मिल पा रहा है। फेडरेशन नहीं होने से देश में बड़ी प्रतियोगिताएं नहीं हो पा रही जिससे प्रतिभाएं अपने क्षेत्र में सिमटी हुई हैं।
हास्टल चयन में राजनीति हॉस्टलों में चयन के वक्त राजनीति हावी हो जाने से उन प्रतिभाओं को प्रवेश नहीं मिल पाता जो असली हकदार होती हैं। हॉस्टलों में प्रवेश के लिए नेताओं या अफसरों के प्रभाव का विशेष महत्व होता है। बॉक्सिंग से जुड़े लोगों की मानें तो देश लेवल पर खेलने वाले खिलाडि़यों के चयन में मीडिया का भी अहम रोल होता है। जो प्लेयर मीडिया की नजर में चढ़ जाता है, वह यदि कुछ मुकाबले हार भी जाता है तो सिलेक्टर्स उसे निग्लेक्ट नहीं कर पाते और मजबूरी में उनका चयन करना पड़ता है। मदद की बात करें तो सरकार की तरफ से प्लेयर्स को कोई मदद नहीं मिलती। न तो यहां खेलने के लिए उपकरण उपलब्ध हो पाते हैं और न ही कोई आर्थिक मदद मिलती है। बाक्स प्रयाग में संचालित बाक्सिंग सेंटर्स स्कूल का नाम कोच ----------------------------- -विष्णु भगवान पब्लिक स्कूल अतुल सिद्धार्थ -इलाहाबाद यूनिवर्सिटी मैदान युवराज मिश्र, अखिल कुमार-गुरू माधव इंटर कॉलेज आदित्य पाल
-खेलगांव पब्लिक स्कूल अभय कुमार सिंह -विशभ जांसन इंटर कॉलेज अभय कुशवाहा -भारत भूषण बाक्सिंग एकेडमी भारत भूषण सिंह -बृजबिहारी सहाय इंटर कॉलेज आरती शर्मा बाक्स ये रहे बाक्सिंग के बादशाह वर्ष 1983 में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में इलाहाबाद के उमेश चंद्रा ने जीता था ब्रांज सब जूनियर नेशनल बाक्सिंग प्रतियोगिता में अभिषेक मालवीया ने जीता था गोल्ड मेडल नेशनल आल इंडिया यूनिवर्सिटी बाक्सिंग प्रतियोगिता में अभिज्ञान मालवीया ने सिल्वर जीता जूनियर चैंपियनशिप बाक्सिंग प्रतियोगिता में मनीष जायसवाल ने सिल्वर मेडल जीता आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी बाक्सिंग प्रतियोगिता में विकास श्रीवास्तव ने गोल्ड मेडल जीता नेशनल बाक्सिंग गेम में अतुल सिद्धार्थ ने ब्रांजमेडल दिला कर इलाहाबाद का नाम रोशन किया। देवांशु जायसवाल ने जब तक स्टेट स्तर की बाक्सिंग प्रतियोगिताओं में भाग लिया हर बार गोल्ड जीता। अब वह सेना के लिए खेलता है। बाक्स वर्ष 2012 से गर्ल्स बाक्सिंग शुरूइलाहाबाद में वर्ष 2012 में गर्ल्स बाक्सिंग के प्रशिक्षण की शुरुआत हुई। मीना गोस्वामी को कोच बनाया गया। इसी वर्ष स्टेट चैंपियनशिप में इलाहाबाद चैंपियन बना। नेशनल बाक्सिंग चैंपियनशिप में इलाहाबाद की अर्पिता सिंह यादव ने कांस्य जीता। वर्ष 2015 में उन्हें हटा दिया गया।
वर्जन दुर्व्यवस्थाओं की वजह से बाक्सिंग से युवाओं का मन उचट रहा है। सरकारें इस ओर ध्यान नहीं दे रही हैं। किसी तरह स्थानीय स्तर पर इस विधा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कुछ कॉलेजों में युवाओं को मोटिवेट कर उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आगे बढ़ने का कोई बेहतर रास्ता नहीं होने से बाक्सिंग में प्रशिक्षण ले रहे युवाओं को बड़ी प्रतियोगिताओं में जाने का मौका नहीं मिल रहा। भारत भूषण सिंह, नेशनल रेफरी जज व कमेंटेटर, महासचिव जिला बाक्सिंग संघ