31 मार्च के बाद रद्द हो जाएगा स्टेट ई-वे बिल

15 अप्रैल तक राज्य के अंदर माल परिवहन के लिए ई-वे बिल जेनरेट करना नहीं होगा आवश्यक

ALLAHABAD: एक अप्रैल से एक बार फिर उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों में ई-वे बिल की व्यवस्था बदलने जा रही है। दूसरे राज्यों से माल मंगाने व भेजने के लिए व्यापारियों को जहां सेंट्रल का ई-वे बिल जेनरेट करना होगा। वहीं 31 मार्च के बाद स्टेट ई-वे बिल कैंसिल हो जाएगा। एक अप्रैल से 15 अप्रैल तक राज्य के अंदर बगैर ई-वे बिल के माल का परिवहन किया जा सकेगा। 15 अप्रैल के बाद इंट्रा स्टेट यानी ई-वे बिल लागू होने पर व्यापारियों को इंट्रा स्टेट ई-वे बिल जेनरेट करना होगा।

व्यापारियों का दूर किया कंफ्यूजन

इंट्रा और इंटर स्टेट ई-वे बिल को लेकर व्यापारियों के कंफ्यूजन को दूर करने के लिए टीपी नगर और मुट्ठीगंज स्थित हटिया चौराहे पर सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से कार्यशाला आयोजित की गई। टीपी नगर में ज्वाइंट कमिश्नर एसपी अग्रवाल, सीटीओ एसपी उमराव व मुट्ठीगंज में असिस्टेंट कमिश्नर एसबी उपाध्याय व डीसीएस आईबी मुकेश कुमार सिंह ने व्यापारियों को इंटर व इंट्रा स्टेट ई-वे बिल के बारे में बताया। मुट्ठीगंज में उत्तर प्रदेश व्यापार उद्योग व्यापार कल्याण समिति के संयोजक संतोष पनामा के नेतृत्व में आयोजित कार्यशाला में व्यापारियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। व्यापारियों को बताया गया कि राज्य के अंदर ही स्टॉक ट्रांसपोर्ट करने के लिए इंट्रा स्टेट ई-वे बिल बनेगा, जबकि एक राज्य से दूसरे राज्य में स्टॉक भेजने या मंगाने के लिए इंटर स्टेट ई-वे बिल बनेगा।

क्या है ई-वे बिल?

ई-वे बिल के तहत 50 हजार रुपए से ज्यादा के अमाउंट के प्रोडक्ट की राज्य या राज्य से बाहर ट्रांसपोर्टेशन या डिलीवरी के लिए सरकार को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए पहले ही बताना होगा। इसके तहत ई-वे बिल जनरेट करना होगा जो 1 से 20 दिन तक वैलिड होगा। यह वैलिडिटी प्रोडक्ट ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगी। जैसे 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-वे बिल बनेगा, जबकि 1,000 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी के लिए 20 दिन का ई-वे बिल बनेगा।

एक फरवरी को होना था लागू

जीएसटी काउंसिल ने एक फरवरी 2018 से ही अंतरराज्यीय वस्तु व्यापार के लिए ई-वे बिल लागू करने का निर्णय लिया था, लेकिन पहले ही दिन जीएसटी नेटवर्क फेल हो जाने से टाल दिया गया था। अब एनआईसी ने ई-वे बिल पोर्टल को अपग्रेड किया है। जीएसटी काउंसिल का दावा है कि ई-वे बिल पोर्टल से अब 50 से 75 लाख ई-वे बिल प्रतिदिन जेनरेट किए जा सकेंगे। ई-वे बिल पोर्टल पर पूरे देश में अब तक 9.5 लाख से अधिक करदाता और 8,500 से अधिक ट्रांसपोर्टर पंजीकृत हो चुके हैं।

जो व्यापारी दूसरे राज्य में माल भेजते हैं, उन्हें जल्द से जल्द ई-वे बिल के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। स्टेट का ई-वे बिल 31 मार्च के बाद रद्द हो जाएगा। 15 अप्रैल से इंट्रा स्टेट ई-वे बिल लागू होगा।

राम प्रसाद

एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-2

सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट

बार-बार नियम बदल कर व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है। इंटर व इंट्रा स्टेट ई-वे बिल अलग-अलग करने की बजाय एक ई-वे बिल लागू करना चाहिए। पंद्रह दिन तक स्टेट का ई-वे बिल जेनरेट नहीं किया जा सकेगा। इस दौरान व्यापारियों को परेशान किया जाएगा तो फिर जिम्मेदार कौन होगा।

संतोष पनामा

संयोजक

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति

इंटर स्टेट ई-वे बिल लागू होने के बाद कम से कम 45 दिन तक व्यापारियों को छूट के साथ सुविधा प्रदान की जाए। यानी अगर किसी व्यापारी ने ई-वे बिल जेनरेट नहीं किया है तो जांच के बाद अधिकारियों द्वारा ई-वे बिल जेनरेट कराया जाए। इससे ई-वे बिल की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी और व्यापारी का उत्पीड़न नहीं होगा।

महेंद्र गोयल

प्रदेश अध्यक्ष

कैट

Posted By: Inextlive