- 18 जनवरी से अब तक करीब साठ हजार

ई चालान हो चुके

- 8,144 ने ई चालान पर जमा किया

शमन शुल्क

- 27 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया

- 6500 ई चालान नाम व पत्ते गलत होने के चलते वापस आए

- 20 रुपये खर्च आता है एक ई चालान डाक से भेजने पर

- एनआईसी से इंट्रीग्रेड होते ही कोर्ट में पहुंच जाएंगे यह चालान

- कोर्ट में दाखिल चालान को न छुड़वाने पर जारी होगा वारंट

mayank.srivastava@inext.co.in

LUCKNOW: जाने अंजाने सही, लेकिन साढ़े 6 हजार लोग जल्द ही अपराधी सूची में शामिल हो जाएंगे. उनके खिलाफ कोर्ट वारंट भी जारी करेगा. यह वह लोग हैं जिन्होंने ट्रैफिक रूल्स को तोड़ा और वह नेशनल इंफार्मेशन सेंटर (आईटीएमएस) के कैमरे में कैद हो गए. 18 जनवरी से अब तक लखनऊ में करीब 65 हजार लोगों ने ट्रैफिक रूल्स को तोड़ा और उनका ई चालान किया गया. इसमें साढ़े छ हजार लोग के घरों पर ई चालान भेजे गए, लेकिन नाम व पत्ते गलत होने के चलते वापस आ गए. वापस आए ई चालान की संख्या बढ़ती जा रही है जबकि चालान के आगे की प्रक्रिया भी उसी तेजी से हो रही है. चालान न छुड़ाने पर यह कोर्ट चले जाएंगे और वहां से भी न छुड़ाने पर वाहन स्वामी के खिलाफ वारंट जारी किया जाएगा.

65 सौ ई चालान हुए वापस

राजधानी में ट्रैफिक सुधारने के लिए नेशनल इंफार्मेशन सेंटर (आईटीएमएस) के तहत चौराहों पर लगे कैमरे के माध्यम से ट्रैफिक नियम तोड़ने पर ई चालान किया जा रहा है. इसकी शुरुआत 18 जनवरी 2019 से हुई. अब तक करीब 65 हजार वाहन स्वामियों का ई चालान कर उन्हें डाक से घर भेजा गया है. जिसमें से 65 सौ से ज्यादा ई चालान गलत नाम पत्ते के चलते वापस आ गए है. ई चालान गाडि़यों में लगे नंबर प्लेट को रीड करने के बाद गाड़ी की आरसी में दर्ज पते पर भेजा जाता है. आरसी में दर्ज पता गलत होने पर ई चालान वापस हो रहे हैं.

पता बदला आरसी में किया बदलाव

एसपी ट्रैफिक पुर्णेन्दु सिंह का कहना है कि राजधानी में 60 प्रतिशत लोग किराएदार हैं, जिसमें से 35 प्रतिशत से ज्यादा लोग हर वर्ष मकान बदल देते हैं, जिस पते पर उन्होंने अपना व्हीकल खरीदा वह आरसी में दर्ज हो गया, लेकिन मकान बदलने के बाद उन्होंने ना तो आरसी के पते में परिवर्तन किया और ना ही आरटीओ में कोई नोटिफिकेशन दिया. ज्यादातर वापस हुए ई चालान इसी दायरे में आते हैं.

इंट्रीग्रेट होते ही जारी हो जाएगा वारंट

एसपी ट्रैफिक पुर्णेन्दु सिंह ने बताया कि जल्द ही आईटीएमएस एनआईसी से इंट्रीगेट होते ही सभी ई चालान को कोर्ट भेज दिया जाएगा. कोर्ट में ई चालान का शुल्क ना जमा होने पर वारंट हो जाएगा. वारंट तामिल न होने पर व्हीकल ऑनर के खिलाफ एनबीडब्लू भी जारी किया जा सकता है.

मोबाइल पर भेजा जा रहा मैसेज

ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले व्हीकल ऑनर को ई चालान डाक से भेजने के साथ उनकी आरसी और डॉक्यूमेंट्स में अगर मोबाइल नंबर दर्ज होता है तो उन्हें ई चालान का मैसेज भी भेजा जा रहा है ताकि लोगों को ई चालान न मिले तो भी मैसेज के जरिए वह कार्रवाई कर सकते हैं.

बीमा में लेना होगा नो ड्यूज

एसपी ट्रैफिक ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में ई चालान के वापसी को लेकर विभाग गंभीर है. उन्होंने आरटीओ विभाग के साथ-साथ सभी प्राइवेट और सरकारी बीमा कंपनी को भी पत्र लिखा है कि गाडि़यों का बीमा करने से पहले व्हीकल ऑनर को अब आरटीओ से नो ड्यूज लेना होगा. अगर उनके व्हीकल पर ई चालान हुआ है तो बीमा से पहले ई चालान का जुर्माना भरना होगा नहीं तो गाड़ी का बीमा नहीं हो सकेगा.

एक चालान 20 रुपये खर्च

एक ई चालान डाक से भेजने पर 20 रुपये का खर्च आता है. ट्रैफिक पुलिस इस खर्च को कम करने के लिए राजधानी के शहरी इलाके में ई चालान को थाने के माध्यम से भेज रही है जबकि रूरल और बाहरी इलाके में डाक से ई चालान भेजा जा रहा है. पुलिस विभाग ने ई चालान को डाक से भेजने के लिए पहले से ही डाक विभाग को 80 लाख रुपये का भुगतान कर दिया है. तीन महीने में ई चालान के शमन शुल्क से पुलिस को मात्र 27 लाख रुपये का जुर्माना प्राप्त हुआ है.

कोट-

18 जनवरी से अब तक 65 हजार लोगों को ई चालान भेजा गया है, जिसमें से नाम पत्ते गलत होने से करीब 65 सौ ई चालान वापस आए हैं. वापस आने वाले ई चालान को लेकर कार्रवाई की प्रक्रिया चालू हो गई है. जल्द उन्हें कोर्ट में भेज दिया जाएगा. लोगों को ई चालान मिलने और उसकी कार्रवाई के लिए बीमा कंपनी और आरटीओ को पत्र लिखा गया है.

पुर्णेन्द्रु सिंह, एसपी ट्रैफिक

Posted By: Kushal Mishra