-प्रोजेक्ट से केंद्र सरकार ने खींचे हाथ

-भूकंप के पूर्वानुमान के लिए बनाया गया था प्रोजेक्ट

-अब आईआईटी रुड़की ने राज्य सरकार से मांगी वित्तीय मदद

देहरादून: भूकंप के पूर्वानुमान की टेक्नीक विकसित करने के लिए आईआईटी रुड़की के प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने अधर में लटका दिया है। केंद्र ने इससे अपने हाथ खींच लिए हैं और अब आईआईटी इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार से मदद मांग रहा है। आपको बता दें कि आईआईटी रुड़की ने इस प्रोजेक्ट के तहत गढ़वाल मंडल के 26 स्थानों पर सेंसर लगाए हैं। लेकिन अब केंद्र इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है।

बेहद संवेदनशील है उत्तराखंड

भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। देहरादून समेत पूरा उत्तराखंड जोन 4-5 में आता है। चमोली और उत्तरकाशी में आए भूकंप में भी प्रदेश को जानमाल का भारी नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में आईआईटी के इस प्रोजेक्ट को राज्य के लिए सबसे लाभदायक माना जा रहा था। इस प्रोजेक्ट से आईआईटी भूकंप के अर्ली वार्निग सिस्टम को डेवलप कर रहा था।

गढ़वाल में लग चुके हैं सेंसर

दरअसल, केंद्रीय वित्त पोषित प्रोजेक्ट पर आईआईटी रुड़की गत कुछ वर्ष से काम कर रहा है। इसके तहत गढ़वाल मंडल के 26 स्थानों पर भूगर्भीय हलचल महसूस करने वाले सेंसर स्थापित किए गए हैं। इन सेंसर से मिलने वाले संकेत रुड़की स्थित केंद्र में पहुंचते हैं, जहां भूवैज्ञानिक ऐसे संकेतों का अध्ययन कर पूर्व चेतावनी की प्रणाली विकसित करने में जुटे हैं। प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में कुमाऊं मंडल में भी कई स्थानों पर सेंसर स्थापित किए जाने हैं। इस पर हर साल करीब 80 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। चूंकि, केंद्र सरकार अब इस प्रोजेक्ट को बंद करने जा रही है। लिहाजा, प्रोजेक्ट के दूसरे चरण पर असमंजस के बादल मंडरा रहे हैं।

वर्जन

आईआईटी रुड़की ने राज्य सरकार से इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद मांगी है। हालांकि, राज्य सरकार के पास भी सीमित वित्तीय संसाधन हैं, मगर इसकी उपयोगिता के मद्देनजर सरकार प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है।

सी। रविशंकर, अपर सचिव, आपदा प्रबंधन

Posted By: Inextlive