'पॉलीथिन पर बैन से नफा व नुकसान' विषय पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने व्यापारियों से की चर्चा

खुल कर व्यापारियों ने रखी अपनी बात, जांच के नाम पर लगाए उत्पीड़न के आरोप

ALLAHABAD: दोस्तों नमस्कार, आज की ताजा और विशेष खबर यह है कि पॉलीथिन पर लगाए गए बैन से इन दिनों जिले के व्यापारी हैरान व परेशान हैं। सरकार को जीएसटी देकर मंगाई गई पॉलीथिन पर उनके जरिए लगाए गए पैसे डूबने वाले हैं। यह सब देखते हुए 'पॉलीथिन पर बैन से नफा व नुकसान' विषय पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने व्यापारियों से चर्चा की। व्यापारियों को प्लेटफार्म मिला तो उन्होंने खुल कर अपने दिल की बात सामने रखी। आइए आप को बताते हैं कि इस चर्चा में व्यापारियों ने क्या कहा?

सरकार बताए विकल्प

व्यापारी कहते हैं कि एक दशक पूर्व जब कागज की थैली प्रचलन में थी, उस वक्त कहा गया कि कागज की खपत से पेड़ों की कटाई बढ़ गई है। सरकार ही कागज की थैली के विकल्प में पॉलीथिन लाई थी। आज उसी पॉलीथिन को पर्यावरण के लिए खतरा बताते हुए बैन कर दिया गया है। व्यापारी पर्यावरण के दुश्मन नहीं हैं, बेशक पॉलीथिन बंद की जानी चाहिए। मगर सरकार विकल्प बताए कि इसकी जगह किस चीज का प्रयोग किया जाय। व्यापारियों के सवाल हैं जब 50 माइक्रोन से नीचे के कैरीबैग पर प्रतिबंध है तो पैकिंग पॉलीथिन पर कार्रवाई क्यों की जा रही है? व्यापारियों का उत्पीड़न क्यों किया जा रहा है?

लागत निकालने का दें मौका

पॉलीथिन व डिस्पोजेबल सामानों के थोक व फुटकर विक्रेताओं ने कहा कि पॉलीथिन प्रतिबंध की वजह से लाखों करोड़ों रुपये का नुकसान व्यापारी सहें, यह उचित नहीं है। प्रतिबंध से पहले भरपूर समय दिया जाए ताकि वे अपनी लागत को निकाल सकें। जिस पॉलीथिन को अचानक प्रतिबंधित किया गया है, उसे व्यापारियों ने 18 परसेंट जीएसटी देकर लाखों रुपए में खरीदा है। तमाम व्यापारी बैंक से ऋण लेकर मंगाए हैं। ऐसे में व्यापारी इस पॉलीथिन को कैसे जमा कर सकते हैं? पॉलीथिन पर बैन की बात करें तो केवल कैरीबैग प्रतिबंधित है। लोगों को भरमाया जा रहा है कि ये भी बैन है, वो भी बैन है।

छोटे व्यापारियों पर कार्रवाई की जा रही है। हमारा कहना है कि केंद्र सरकार पूरे देश में पॉलीथिन पर पाबंदी लगाते हुए मैन्यूफैक्चरिंग ही बंद करा दे। पॉलीथिन पर बैन का हल्ला मचाया जा रहा है। मैन्यूफैक्चरर पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?

मो। कादिर, जिलाध्यक्ष

प्रयाग व्यापार मंडल

पॉलीथिन कैरी बैग पर बैन से पूर्व नोटिफिकेशन जारी कर व्यापारियों को समय दिया जाना चाहिए था। जिस माल को व्यापारी बैंक से लोन लेकर या किसी तरह पैसे की व्यवस्था कर 18 परसेंट जीएसटी देकर मंगाए हैं। उसे एक झटके में कैसे नष्ट कर दें।

सुहैल अहमद, मंत्री, प्रयाग व्यापार मंडल

जीओ में क्या है, ये अधिकारियों को ही पता नहीं है। सरकार ने 50 माइक्रोन से नीचे के कैरी बैग पर ही प्रतिबंध लगाया है, लेकिन अधिकारी पैकिंग पन्नी उठा ले जा रहे हैं। वह व्यापारियों के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव कर रहे हैं।

नीरज गुप्ता, प्लास्टिक विक्रेता

16 जुलाई को डीएम ने व्यापारियों के साथ मीटिंग की थी। वे स्पष्ट बोले थे कि पैकिंग पन्नी रखने पर कार्रवाई नहीं होगी। कार्रवाई के नाम पर व्यापारियों का उत्पीड़न नहीं होगा। लेकिन डीएम के आदेश का पालन नहीं हो रहा है।

विजय अरोरा, अध्यक्ष

प्रयाग व्यापार मंडल

पॉलीथिन पर बैन समस्या का हल नहीं है। पर्यावरण को बचाना है तो नाले व नालियां बंद कराई जायें। सफाई व्यवस्था दुरुस्त करें। क्योंकि कैरी बैग पर प्रतिबंध लगा है, पैक्ड सामानों का कचरा तो उड़कर नाले व नाली में जाएगा ही। पॉलीथिन पर बैन से जलभराव बंद नहीं होगा।

शिवशंकर सिंह, सिविल लाइंस व्यापार मंडल

हम व्यापारी हैं, अपराधी नहीं कि अधिकारी आकर हमें जलील करें। अधिकारियों को ही जानकारी नहीं है कि कौन सी पॉलीथिन बैन है। पैकिंग पन्नी पर कार्रवाई की जा रही है, जबकि यह गलत है। निगम के जोनल अधिकारी राजकुमार गुप्ता कार्रवाई के नाम पर व्यापारियों को परेशान कर रहे हैं।

गौरव जायसवाल

जिस दुकान में अधिकारी जांच कर रहे हैं, वहां जुर्माना लगाने के बाद व्यापारी को रशीद नहीं दे रहे हैं। जबकि डीएम ने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि अगर कोई अधिकारी रशीद न दे तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

अमित साहू

डिस्पोजेबल सामान 50 माइक्रोन से ऊपर प्रतिबंधित नहीं है। जबकि प्लास्टिक और थर्माकोल से बने गिलास, प्लेट आदि रिसाइकेबल हैं। इसके बाद भी बैन किया जा रहा है। जबकि हकीकत यह है नगर निगम वेस्ट मैनेजमेंट नहीं कर पा रहा है।

आशीष मित्तल

पॉलीथिन को पर्यावरण का खतरा बताया जाता है, यह खतरा व्यापारियों ने नहीं बल्कि सिस्टम ने पैदा किया है। क्योंकि आज तक ऐसी व्यवस्था नहीं बन सकी कि पॉलीथिन नाला व नाली में न जाए। वहीं कचरे से निकलने वाला पॉलीथिन गलाकर उसका दाना बनाया जाए।

शेखर कौशल

प्लास्टिक से केवल नुकसान नहीं बल्कि फायदे भी हैं। प्रतिबंध ही समस्या का समाधान नहीं है। पॉलीथिन पर बैन लगा दिया तो अब विकल्प भी बता दें। कागज या पत्तल का उपयोग बढ़ने पर भी बोझ पर्यावरण पर ही पड़ेगा।

सौरभ शर्मा

डिस्पोजेबल सामान जब 15 अगस्त से बैन हैं तो अभी से एनाउंसमेंट कर प्रतिबंधित क्यों किया जा रहा है। खरीदारी पर एक लाख जुर्माने की धमकी दी जा रही है। इसकी वजह से डिस्पोजेबल सामानों की बिक्री बंद हो गई है। फेरी वालों की रोजी-रोटी बंद होने की कगार पर पहुंच गई है।

रघुनाथ अग्रवाल

प्लास्टिक से आखिर दिक्कत क्या है? हम चैलेंज के साथ चर्चा को तैयार हैं। नाली में पॉलीथिन ही नहीं, कोई कचरा नहीं जाना चाहिए। नाली जब सीवर में मिले तो उस पर जाली लगा होना चाहिए।

मो। महमूद

हम व्यापारी भी यही चाहते हैं कि पर्यावरण को किसी तरह का कोई नुकसान न हो। इसीलिए 50 माइक्रोन से ऊपर की पॉलीथिन का प्रयोग शुरू हो गया है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर दुकानदारों को अब परेशान न किया जाए।

शिवबाबू, अमृत स्वीट हाउस

मीरापुर

व्यापारियों के दो-टूक जवाब

- नाला-नाली जाम होने का कारण पॉलीथिन नहीं बल्कि वहां की सफाई व्यवस्था फेल होना है।

- पॉलीथिन पर बैन की बजाय उसे नाले में जाने से रोकने का उपाय करें।

नालों पर लोहे की जाली लगाएं ताकि पॉलीथिन व कचरा छन जाए।

- दुकानदार पॉलीथिन जमा करने को तैयार, लेकिन सरकार दे लागत।

- चेकिंग टीम अंदाज के आधार पर कर रही कार्रवाई। नहीं है गेज मीटर

- जो 50 माइक्रोन से नीचे की पॉलीथिन बेच रहे हैं उनके खिलाफ ही कार्रवाई करें।

- कैरी बैग बंद नहीं है, लेकिन 50 माइक्रोन से ऊपर का पॉलीथिन होना चाहिए।

Posted By: Inextlive