- जो कभी आपस में बात-बात पर लड़ते थे, आज मांग रहे हैं अमन-चैन की दुआएं

- अनहोनी के डर से मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों और चर्च में चला प्रार्थनाओं का दौर

ALLAHABAD: ऐसा मंजर न पहले कभी देखा था और शायद इसकी उम्मीद भी लोगों को नहंीं थी। जैसा पिछले दो दिनों से लगातार चला आ रहा है। हर पल दिन में किसी अनहोनी का डर दस्तक दे रहा है। बाहर तो क्या, घरों में भी लोग दहशत के आलम में जिंदगी बिताने पर मजबूर हैं। पता नहीं कब धरती हिले और सबकुछ जमींदोज हो जाए। इसी डर ने हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख और इसाई सभी को कुछ घंटों में महज इंसान बना दिया है। सभी ऊपरवाले से सलामती की दुआएं मांगते नजर आ रहे हैं।

बरबस ऊपर वाले को याद करता है दिल

पहले शनिवार को दो और शनिवार को भूकंप का एक झटका। इसने शहर के लोगों को उनकी हैसियत का अंदाजा करा दिया है। प्रकृति के आगे किसी का बस नहीं चल सकता। कई मंजिला मकान और आलीशान इमारतें पलक झपकते ही धूल में मिल सकती हैं। यही कारण है कि शहर के मंदिरों, मस्जिदों, चर्च और गुरुद्वारों में प्रार्थनाओं का दौरान दो दिनों से जारी है। बंधवा के लेटे हनुमान, सिविल लाइंस हनुमान मंदिर, शिवालयों, देवी मंदिरों आदि में लगातार कीर्तन और भजन चल रहा है। सभी अमन-चैन की दुआएं मांगते नजर आ रहे हैं।

सोशल मीडिया ने दिया एकता का संदेश

उधर, सोशल मीडिया ने भी हालात की नब्ज को पकड़कर अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। जारी की जा रही पोस्ट में धर्म-कर्म को किनारे रखकर केवल मानवतावाद की बातें की जा रही हैं। जिसमें कहा जा रहा है कि कुदरत ने कहर ने सभी के मन के घमंड को भुलाने का काम किया है। जब झटके महसूस किए गए तब जान बचाने वालों में हिंदू-मुस्लिम नहीं केवल इंसान शामिल थे। मुसीबत के क्षणों में जिसको जहां जगह मिली, अपना ठिकाना बना लिया।

बॉक्स

दिखी आपसी भाईचारे की मिसाल

वाकया रविवार दोपहर उस समय का है जब भूकंप के झटकों से पूरा शहर खुद को थर्राया हुआ महसूस कर रहा था। इसी बीच कटरा के रहने वाले बिजनेसमैन दीपक अग्रवाल अपने परिवार को लेकर घर से बाहर निकल आए। आनन-फानन में उन्होंने तीस से चालीस कदम दूर स्थित अशरफ मियां के घर में भी जोर से आवाज लगाई। उन्होंने कहा कि भाई साहब जल्दी बाहर निकल आइए, वरना दिक्कत हो जाएगी। क्योंकि, फिर से भूकंप आया है। इतना सुनते ही अशरफ के घर के लोग फटाफट बाहर आ गए। घर में मौजूद 7फ् साल की बुजर्ग महिला को भी मोहल्ले के लोगों ने सहारा देकर बाहर निकाला।

व्हाट्स पर पोस्ट्स

- नाजां बहुत थे अपनी तरक्की पर सभी लोग

कुदरत की एक झपकी ने औकात बता दी।

- पहले बारिश, फिर ओले, अब धरती डोले, क्या हो रहा भोले

- मैं ठहरा रहा जमीं हिलने लगी।

अरे भाई ये प्यार नहीं भूकंप था

- मशरूफ थे सब अपनी जिंदगी की उलझनों में दोस्तों

जरा सी जमीन क्या हिली सबको खुदा याद आने लगा।

- जो चेहरे कभी दिखते नहीं थे मोहल्लों में

भूकंप ने सबका दीदार करा दिया

न नमाज दिखी न अजान दिखी

न भजन दिखा न कीर्तन दिखा

न हिंदू दिखा न मुसलमान दिखा

घर से भागता हुआ बस इंसान दिखा

Posted By: Inextlive