शासन ने सूबे में सभी सीएमओ को सतर्कता बरतने के आदेश दिए

संदिग्ध मरीजों की जांच, उपचार और आइसोलेशन में रखने के निर्देश

BAREILLY: दुनिया में आतंक बन रही इबोला बीमारी से बचाव व रोकथाम के लिए शासन की ओर से भी 'प्रीकॉशनरी अलर्ट' जारी कर दिया गया है। शासन ने सूबे के सभी सीएमओ व सीएमएस को इस बाबत अलर्ट लेटर जारी कर सावधानी व सुरक्षा के पर्याप्त उपाय बरतने के आदेश दिए हैं। महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा यूपी ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र भारत सरकार की गाइडलाइंस के तहत इबोला के संदिग्ध मरीजों की पहचान होते ही उनकी जांच व उपचार की सावधानी पूर्वक व्यवस्था करने को कहा गया है। इबोला वायरस से होने वाली एक संक्रामक बीमारी है जिसने पिछले कुछ महीनों में अफ्रीकी देशों में महामारी का रूप ले लिया है। ऐसे में दुनिया के बाकी देशों में भी इस बीमारी के फैलने का गंभीर खतरा उठ खड़ा हुआ है।

90 फीसदी है मृत्यु दर

पश्चिमी अफ्रीका, गिनी, लाइबेरिया, सिएरा लियोन और नाइजीरिया में इबोला वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा मरीज आए हैं। इबोला बीमारी की चपेट में आए मामलों में 90 फीसदी मृत्यु दर दर्ज की गई है। सितंबर ख्0क्ब् तक इससे ब्ख्9फ् संदिग्ध मरीजों की रिपोर्ट दर्ज की गई। वहीं ख्ख्ब्म् की मौत इबोला के चलते रिपोर्ट की गई। सबसे पहले क्97म् में इबोला वायरस का मामला सामने आया था। लेकिन ख्0क्ब् में इस बीमारी ने अचानक ही एक तरह से महामारी का रूप ले लिया। जिसके चलते 8 अगस्त ख्0क्ब् को व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन को इस बीमारी से बचाव के लिए पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनल कंसर्न घोषित करना पड़ा।

एयरपोर्ट पर बढ़ी निगरानी

नेशनल-इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अफ्रीका से आने वाले पर्यटकों, एनआरआई व अन्य लोगों के आने पर अलर्ट जारी किया गया है। इसी कड़ी में यूपी के लखनऊ व बनारस एयरपोर्ट पर भी इबोला वायरस से पीडि़त मरीज की संभावना पर अलर्ट जारी है। एयरपोर्ट पर इस वायरस की सर्विलांस किए जाने, संदिग्ध मरीज को आइसोलेशन में रखने, उसकी सावधानी पूर्वक जांच व उपचार करने की जरूरत बताई गई है। अफ्रीकी देशाें से आए ऐसे लोग जो संदिग्ध इबोला मरीज हैं, उन्हें फ्0 दिन तक आइसोलेशन में निगरानी के लिए रखा जाना है।

शहर सेफ पर अलर्ट जरूरी

हालांकि इंडिया में अभी इबोला वायरस का खतरा दूर है और बरेली में भी इस वायरस का फिलहाल कोई संदिग्ध केस सामने नहीं आया। लेकिन सरकार ने एहतियातन यह अलर्ट जारी किया है। इबोला के मरीज के इलाज के दौरान कई डॉक्टर्स व मेडिकल स्टाफ भी इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में सरकार ने डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल्स को ऐसे संदिग्ध मरीजों की जांच में पूरी सावधानी बरतने व आइसोलेशन रूम की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही मरीज की देखरेख में भी विशेष सर्तकता बरतने को कहा गया है। इस बीमारी के संदिग्ध मरीज की तुरंत एपिडिमियोलॉजी जांच कराने के निर्देश भी मिले हैं।

ख्क् दिन में हावी वायरस

जानवरों के जरिए इबोला वायरस ने इंसानों में अपना संक्रमण फैलाया है। अफ्रीकी देशों में यह बीमारी बंदर, गोरिल्ला, चिम्पैंजी, चमगादड़ और गिद्ध से संक्रमण से फैली। इंसान के शरीर में इस वायरस का इन्यूबेशन पीरियड ख् से ख्क् दिन का है। इस दौरान संक्रमित मरीज दूसरों में यह वायरस नहीं ट्रंासफर कर सकता। लेकिन एक बार वायरस के लक्षण कंफर्म होने के बाद इबोला बीमारी से पीडि़त मरीज दूसरे स्वस्थ इंसानों में संक्रमण की वजह बनती है। इबोला की बीमारी पीडि़त मरीज अथवा इससे मृत व्यक्ति के मल, मूत्र, लार, पसीना, उल्टी और शरीर के अन्य फ्ल्यूड के संपर्क में आने से फैलती है। लेकिन इस बीमारी का वायरस हवा से एक इंसान से दूसरे में ट्रंासफर नहीं होता।

इबोला के लक्षण

म्- रोगी के इलाज में इस्तेमाल मेडिकल उपकरण 0.भ् फीसद सोडियम हाइड्रोक्लोराइड सॉल्युशन से डिइंफेक्ट किए जाएं।

7- रोगी को दूसरे मरीजों व स्वस्थ लोगों के संपर्क में न आने की व्यवस्था करें।

8- इबोला वायरस की पुष्टि के लिए रोगी का सीरम सैंपल 0.ख् से 0.8 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर पर स्टोर कर ख्ब् घंटे में जांच के लिए भेजे।

9- संदिग्ध मरीज के सैंपल की जांच के लिए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, एनसीडीसी नई दिल्ली या नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वीरोलोजी, एनआाईवी पुणे में भेजें।

शासन ने इबोला बीमारी से बचाव के लिए अलर्ट जारी किया है। इसकी निर्देश सभी जगह दे दिए गए हैं। संदिग्ध मरीजों पर खास नजर रहेगी।

- डॉ। विजय यादव, सीएमओ

इबोला के यूं तो कोई खास लक्षण नहीं हैं। लेकिन अफ्रीकी देशों में इबोला के मरीजों में दिखे लक्षणों पर सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया है।

क्- अत्यधिक कमजोरी

ख्- मंासपेशियों में दर्द

फ्- सिर दर्द

ब्- गले में खराश

भ्- उल्टी

म्- डायरिया

7- शरीर में फफोले

8- किडनी व लीवर प्रभावित

बचाव व रोकथाम

इबोला वायरस को खत्म करने के लिए फिलहाल कोई तरीका नहीं है। इस बीमारी से निजात पाने के लिए कोई या इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए कोई वैक्सीन भी इजाद नहीं की जा सकी है। बावजूद इसके सरकार की ओर से स्वास्थ्य विभाग को कुछ बातों पर गौर करने के निर्देश दिए गए हैं।

क्- रोगी को डिहाइड्रेशन, सदमा या इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस न हो इसका खास ध्यान रखें। इसके लिए रोगी को आईवी फ्ल्यूड चढ़ाए।

ख्- बुखार के इलाज के लिए पैरासिटामोल दवा का इस्तेमाल करें।

फ्- स्टेयरायड का यूज फायदेमंद नहीं पाया गया, इसका इस्तेमाल सही नहीं।

ब्- एंटी बायोटिक्स का यूज केवल सेकेन्ड्री बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर ही करें।

भ्- रोगी के मल-मूत्र व उल्टी का डिस्पोजल बेहद सुरक्षित तरीके से किया जाए।

Posted By: Inextlive