- पहले मरीज को भर्ती किया, बिना जांच के ही कर दी छुट्टी

- लामा के तहत किया डिस्चार्ज

LUCKNOW: राजधानी लखनऊ में इबोला वायरस के संदिग्ध मरीज के मंगलवार रात बलरामपुर हॉस्पिटल में पहुंचने पर हड़कम्प मच गया। बुधवार दिन भर अधिकारी और डॉक्टर बलरामपुर हॉस्पिटल में डेरा डाले रहे लेकिन दोपहर में मरीज को लामा (लीव अगेन्स्ट विदआउट मेडिकल एडवाइस) के तहत डिस्चार्ज भी कर दिया। हॉस्पिटल प्रशासन इबोला के संदिग्ध मरीज के कारण भयभीत नजर आए।

सऊदी अरब से लौटे सुल्तानपुर निवासी अब्दुल हक को मंगलवार को एयरपोर्ट से लोकबंधु चिकित्सालय भेज दिया गया। इमरजेंसी की ओपीडी में मरीज को बुखार, सीने में जकड़न, नाक और मुंह से ब्लीडिंग की बात कही गई। जिसके बाद आनन फानन में मरीज को क्08 एम्बुलेंस से बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया। हॉस्पिटल की इबोला टीम को सूचना मिली तो उसे सीधे डीलक्स वार्ड में क्ख्क् नम्बर पर उसे आईसोलेट कर दिया गया। रात भर हॉस्पिटल में हड़कम्प मचा रहा।

बुधवार दोपहर मरीज को लामा के तहत डिस्चार्ज किया गया। अगर मरीज को कुछ होता है तो डॉक्टर मरीज से पल्ला झाड़ लेंगे और कहेंगे कि वह अपनी मर्जी से गया है।

जांच भी नहीं कराई

लखनऊ में इबोला के लिए एसीएमओ डॉ। राजेन्द्र राजेन्द्र को नोडल आफिसर बनाया गया है। उनके साथ ही एयरपोर्ट पर डॉ। अरुन कुमार, डॉ। राधा दीक्षित, डॉ। एम कुमार की टीम लगी हुई है। केस की निगरानी के लिए केन्द्रीय टीम के सदस्य डॉ। वीके चौधरी भी हैं। वहीं बलरामपुर अस्पताल में भी डॉ। मनोज अग्रवाल, डॉ। राम नारायन, डॉ। वीके यादव की टीम हॉस्पिटल में मरीजों को इलाज के लिए तैनात है। फिर किसी के पास इस बात का जवाब नहीं था कि अगर उसके कोई बीमारी नहीं थी तो उसे रात क्0 बजे से अगले दिन दोपहर क् बजे तक बंधक बनाकर क्यों रखा गया। उसके लक्षण संदिग्ध लग रहे थे तो उसकी जांच क्यों नहीं कराई। जबकि दिल्ली या पुणे स्थित लैब में उसका सैम्पल जांच के लिए भेजा जा सकता था जिसकी रिपोर्ट ख्ब् घंटे के अंदर मिल जाती।

न तो वह इबोला प्रभावित देश से आया था न ही उसके ऐसे कोई लक्षण मिले। मरीज को कोई दिक्कत नहीं थी। प्राथमिक उपचार के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।

डॉ। राजेन्द्र चौधरी, नोडल आफिसर इबोला

Posted By: Inextlive