'आयोग करेगा नए सेनाध्यक्ष पर फ़ैसला'
भारतीय जनता पार्टी द्वारा कड़े विरोध के बीच शुक्रवार को केंद्र सरकार ने कहा कि इस मामले में कोई भी निर्णय आयोग की सहमति से ही लिया जाएगा.समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, एक सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा, ''यह मामला चुनाव आयोग के समक्ष है और कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले हम सभी प्रक्रियाओं का पालन करना चाहते हैं.''रक्षा मंत्रालय ने सर्वोच्च सैन्य पद पर नियुक्ति के मामले को इसी हफ़्ते चुनाव आयोग के पास भेजा है.हालांकि आयोग ने पहले ही कह दिया है कि इस चुनाव और भविष्य में होने वाले चुनावों में भी नियुक्ति, प्रोन्नति, निविदाएं और खरीद की प्रक्रिया आदर्श आचार संहिता के अंतर्गत नहीं होंगी.लेकिन, 27 मार्च को जारी इस आदेश के बावज़ूद मंत्रालय ने सैन्य नियुक्ति के मामले को चुनाव आयोग के पास क्यों भेजा गया?विरोध
जल्द ही अपना कार्यकाल समाप्त करने वाली वर्तमान संप्रग सरकार द्वारा अगले सेनाध्यक्ष की नियुक्ति का भाजपा विरोध करती रही है.पार्टी का कहना है कि नियुक्ति में जल्दबाजी करने की कोई ज़रूरत नहीं है और इस मामले को अगली सरकार पर छोड़ देना चाहिए.तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह के 31 जुलाई को सेवानिवृत हो जाने के बाद खाली हुए इस सर्वोच्च पद की दौड़ में सेना उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग का नाम सबसे आगे है.परम्परागत रूप से, तत्कालीन सेनाध्यक्ष की सेवानिवृत के दो महीने पहले ही नए सेनाध्यक्ष की नियुक्ति की जाती रही है.हालांकि, जनरल बिक्रम सिंह के मामले में जनरल वीके सिंह की सेवानिवृत के तीन महीने पहले ही नियुक्ति हो गई थी.गौरतलब है कि उम्र के मसले पर जनरल वीके सिंह का सरकार के साथ लंबा विवाद चला था.