ईको फ्रेंडली दिवाली को रहिए तैयार, हफ्ते बाद सजेगा बाजार
- बड़े आतिशबाजी कारोबारियों ने दिल्ली से मंगाए पटाखे
- स्कूलों में अवेयरनेस प्रोग्राम के चलते बढ़ी ईको फ्रेंडली पटाखों की डिमांड -50 लाख रुपए की आतिशबाजी का कारोबार दिवाली पर होता है -20 परसेंट तक पिछले दो साल में कारोबार में आई गिरावट -220 तक दीवाली पर पहुंच जाता है एक्यूआई -55 डेसीबल से ज्यादा आवाज से कानों के लिए खतरनाकबरेली : अगर आप पर्यावरण प्रेमी है और आतिशबाजी के शौकीन हैं तो यह खबर आपके काम की है। जल्द ही बरेलियंस को इको फ्रेंडली पटाखे आतिशबाजी दुकानों पर मिल सकेंगे। दिल्ली से इन पटाखों की खेप एक सप्ताह बाद शहर पहुंच जाएगी। हालांकि प्रशासन की ओर से तेज आवाज पटाखों पर रोक को लेकर स्कूलों में चलाए गए तमाम अवेयरनेस प्रोग्राम का असर भी बाजार पर नजर आ रहा है। आतिशबाजी कारोबारियों की मानें तो पिछले दो सालों की तुलना में करीब बीस फीसदी कारोबार में गिरावट हुई है।
ईको फ्रेंडली पटाखों का फायदाईको फ्रेंडली पटाखे अन्य पटाखों की तुलना में 50 परसेंट पॉल्यूशन कम होता है। साथ ही दूसरे पटाखों से आवाज भी कम करते हैं। साथ ही इनकी कीमत भी कम होती है। यह पटाखे दिल्ली में साइंटिस्ट ने रिचर्स कर तैयार किए हैं जो जल्द ही अपने शहर में भी आ जाएंगे।
पिछले साल थी डिमांड कारोबारियों की माने तो दिल्ली में ईको फ्रेंडली पटाखों छोड़ने के आदेश के बाद यहां भी इन पटाखों की डिमांड पिछले साल काफी की जा रही थी, जिस कारण दिवाली के तीन दिन पहले माल मंगाना पड़ा था, ईको फ्रेंडली पटाखों की सेल के कारण सामान्य पटाखों की सेल करीब दस फीसदी तक घट गई थी। इतना बढ़ जाता है एक्यूआई पर्यावरणविद् डॉ। आलोक खरे के अनुसार सामान्य दिनों की तुलना में दीवाली से एक सप्ताह पूर्व से एक्यूआई यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स का लेबल बढ़ने लगता है। सामान्य दिनो में यह भले ही 100 से 150 रहता है लेकिन दिवाली से पूर्व यह 150 से 220 प्रति क्यूबिक मीटर तक बढ़ जाता है। जो कि स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालता है। पॉल्युशन डिपार्टमेंट भी अलर्ट दिवाली पर तेज आवाज के पटाखो न छोड़े जाएं इसके लिए पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने भी कमर कस ली है। प्रशासन के साथ मिलकर दीवाली से एक सप्ताह पूर्व ही विशेष अभियान चलाया जाएगा जिसमें जांच की जाएगी। जिन दुकानों पर 55 डेसीबल से ज्यादा आवाज के पटाखे पाए जाएंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी। ईको फ्रेंडली का बढ़ा क्रेजकारोबारियों के अनुसार स्कूलों में पर्यावरण सरंक्षण प्रोग्राम के तहत स्टूडेंट्स को ईको फ्रेंडली आतिशबाजी के प्रति अवेयर किया जा रहा है। जिसका असर भी दिख रहा है। दुकानों पर पहुंचने वाले बच्चे सामान्य पटाखों की तुलना में इको फ्रेंडली पटाखों की डिमांड ज्यादा कर रहे हैं।
यूथ की बात 1. हमारे स्कूलों में पर्यावरण सरंक्षण को लेकर कई प्रोग्राम आयोजित हुए जिसमें बताया गया कि ईको फ्रेंडली पटाखे फोड़ने से एयर पॉल्युशन कम होता है इसलिए इस दिवाली पर ईको फ्रेंडली पटाखे की चलाएंगे। कुनाल 2. पिछले साल भी ईको फ्रेंडली पटाखे ही खरीदे थे, इस बार भी ऐसा ही करेंगे। इससे पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा और दिवाली भी धूमधाम से मनाएंगे। वानी आतिशबाजी कारोबारियों से बात 1. पिछले साल से ही ईको फ्रेंडली पटाखों की डिमांड बढ़ी है। इस बार भारी मात्रा में दिल्ली से पटाखे की खैप मंगाई है जो कि एक सप्ताह तक पहुंचने की संभावना है। विक्की, श्री हरदेव ट्रेडर्स। 2. लगातार पटाखों से प्रदूषण अधिक होने को लेकर स्कूलों में अवेयरनेस प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं जिसका असर कारोबार पर पड़ रहा है। पिछले कई सालों से लगातार कारोबार में गिरावट हो रही है।दुजेंद्र कुमार गुप्ता, गुप्ता ट्रेडर्स