नेपाल की माओवादी पार्टी के शीर्ष नेता ने आरोप लगाया है कि सरकारी टेलीविज़न पर उनकी हार की ख़बर चलाए जाने के बाद चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई.


पूर्व विद्रोही नेता पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने साज़िश का आरोप लगाते हुए मतगणना को तत्काल रोके जाने की मांग की.चुनाव अधिकारियों के अनुसार, "शुरुआती नतीजों से संकेत मिल रहे हैं कि माओवादी बुरी तरह हार रहे हैं और काठमांडू चुनाव क्षेत्र से प्रचंड तीसरे स्थान पर हैं."2006 में दस साल पुराने माओवादी विद्रोह के समाप्त होने के बाद नेपाल में संविधान सभा का यह दूसरा चुनाव है.पहली संविधान सभा एक नए संविधान का ड्राफ्ट बनाने में नाकाम रही थी.राजशाही के खत्म होने के बाद पहली संविधान सभा का चुनाव 2008 में कराया गया था, लेकिन इसमें पार्टियों के बीच अंत तक गंभीर मतभेद बने रहे.'साजिश'पिछले चुनाव में माओवादियों ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थीं, लेकिन पूर्ण बहुमत पाने में असफल रहे थे.


प्रचंड के चुनाव क्षेत्र को विद्रोहियों का मजबूत गढ़ माना जाता था, लेकिन चुनाव अधिकारियों के अनुसार, 'यहां नेपाली कांग्रेस से वह पीछे रह गए.'प्रचंड ने कहा, ''मतदान के दौरान बड़े पैमाने पर धांधली की खबरें मिली हैं. मतपत्रों के बॉक्स के साथ भी छेड़छाड़ हुई है.''एएफपी न्यूज एजेंसी ने प्रचंड के हवाले से कहा है, ''हम चुनाव आयोग से अपील करते हैं कि मतगणना तुरंत बंद कर दी जाए.''

''हम जनता के निर्णय को स्वीकार करते हैं, लेकिन साजिश और चुनाव में धांधली अस्वीकार्य है.''प्रचंड 2008 में देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन सेना से मतभेद के चलते नौ महीने बाद ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.एसोसिएट प्रेस के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त नील कंठ उप्रेती ने कहा है कि मतगणना को रोकने की कोई योजना नहीं है.स्पष्ट जनादेश मुश्किलअधिकारियों के अनुसार, मंगलवार को हुए चुनाव में 70 प्रतिशत मतदान हुआ था. कुछ-एक हिंसा की घटनाओं को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण रहा.पूर्ण नतीजा जल्द आने की संभावना नहीं है. किसी स्पष्ट विजेता के सामने आने की भी संभावना नहीं है.राजनीतिक स्थिरता की ओर बढ़ रहे नेपाल के लिए यह चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है.हिमालयी क्षेत्र में आने वाला यह देश 240 वर्षों की राजशाही के खात्मे के बाद 2008 में पहली बार गणराज्य घोषित हुआ था.तबसे लेकर अब तक पांच सरकारें बनीं और उनका अवसान हुआ. इनमें दो सरकारें माओवादियों ने बनाई थीं.

संविधान बनाने के लिए इस सभा को दो वर्ष का समय दिया गया था. हालांकि अंतिम समय-सीमा को लगातार बढ़ाने के बावजूद अपने लक्ष्य पाने में वो असफल रही और अंततः एक वर्ष पहले समाप्त कर दी गई.

Posted By: Subhesh Sharma