- केजीएमयू में कोरोना के मरीज को पहली बार दी गई प्लाज्मा थेरेपी

LUCKNOW

प्लाज्मा थेरेपी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। संडे देररात केजीएमयू में पहली बार कोरोना पॉजिटिव को दी गई प्लाज्मा थेरेपी के बाद उसकी हालत में सुधार देखने को मिल रहा है। वेंटीलेटर पर भर्ती मरीज के शरीद में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी सक्रिय हो गई है। जांच में इसकी पुष्टि भी हुई है।

बनने लगी एंटीबॉडी

केजीएमयू में शुक्रवार को उरई के कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर को भर्ती कराया गया था। डायबिटीज से पीडि़त डॉक्टर में वायरस ने अटैक तेज कर दिया। जिसके चलते वह वेंटीलेटर पर चले गए। लिहाजा, कोरोना को शिकस्त दे चुकी कडाना से आई महिला ने अपना प्लाज्मा डोनेट किया। जिसके बाद संडे रात मरीज में 200 एमएल प्लाज्मा चढ़ाया गया। ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ। तूलिका चंद्रा के मुताबिक रविवार को मरीज का एंटीबॉडी टेस्ट किया गया। मरीज के शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी मिली हैं।

आईजीजी एंटीबॉडी काफी अहम

केजीएमयू के कुलपति प्रो। एमएलबी भट्ट ने ऑनलाइन एप के जरिए इस उपलब्धि के बारे में मंडे को एक प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने बताया कि व्यक्ति में आईजीएम व आईजीजी एंटीबॉडी का निर्माण होता है। आईजीएम तुरंत बनने लगती है, वहीं आईजीजी तीन हफ्ते बाद बनती है। इसमें कोरोना से उबर चुके मरीजों में आईजीजी एंटीबॉडी देखी जाती है। इसके आधार पर मरीज में प्लाजमा चढ़ाया जाता है। यही बीमारी से उबरने में मददगार होता है। केजीएमयू कोरोना का नोडल सेंटर है। ऐसे में इस सफलता के बाद अब इस थेरेपी का विस्तार किया जाएगा।

गंभीर मरीजों को होगा लाभ

इस मौके पर डॉ। डी। हिमांशु ने कहा कि 200 एमएल प्लाज्मा चढ़ाने से मरीज में काफी सुधार हुआ है। यह गंभीर मरीजों के लिए ट्रीटमेंट है। इस दौरान डॉ। अमिता जैन, डॉ। सुरुचि, डॉ। एसपी वर्मा, डॉ। सूर्यकांत, डॉ। वीरेंद्र आतम, डॉ। केके सावलानी, डॉ। वाहिद अली और डॉ। सुधीर सिंह मौजूद रहे।

दी गई एक और डोज

डॉ। डी हिमांशु ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी देने के बाद 24 घंटे का इंताजर किया जाता है। जिसके बाद ही दूसरी डोज जरूरत पड़ने पर दी जाती है। उरई के डॉक्टर को संडे को एक 200 एमएल प्लाज्मा की एक डोज दी गई वहीं दूसरी मंडे को देर रात दी गई है।

ऐसे काम करती है एंटीबॉडी

एंटीबॉडी एक तरह की प्रोटिन होती है। जो बॉडी में किसी एंटीजेन जैसे बैक्टिरिया, वायरस फंगस या कोई बीमारी के खिलाफ बनती है। बॉडी का इंम्यून सिस्टम उससे लड़ने के लिए जो प्रोटीन बनाता हैं। उसे ही एंटीबॉडी कहते हैं.एंटीबॉडी जी, एम, ए, बी और ई यानि पांच तरह की होती है। कोरोना में जीएनएम का सिग्नीफिकेंस देखने को मिला है। जो शरीर में एंटीबॉडी बन रही है। एंटीबॉडी एक वाई शेप स्ट्रक्चर होता है। जिसके कोने से वो एंटीजेन से जाकर जुड़ जाती है। जो एंटीजन के सुरक्षाकवच को तोड़कर उसको खत्म करने का काम करती है। यहीं एंटीबॉडी हमे उस इंफेक्शन से बचा लेती है।

Posted By: Inextlive