आशा ज्योति केंद्र से नहीं मिल पा रही घरेलू हिंसा समेत अन्य मामलों की पीडि़त महिलाओं को मदद

-प्रतिदिन आ रही चार से पांच पीडि़त महिलाओं की काल

vinod.sharma@inext.co.in

VARANASI

केस-1

चोलापुर की रहने वाली नवविवाहिता ने आशा ज्योति केंद्र की हेल्पलाइन नम्बर 181 पर कॉल कर पति पर जबरदस्ती करने का आरोप लगाया. पति की ज्यादतियों की दास्तां सुनाकर फुट-फुटकर रोने लगी. कॉल अटेंड करने वाले से बोली, मैडम बचा लो इस जानवर से. मेरा जीवन नरक बन चुका है. नवविवाहिता को चुनाव बाद मदद करने का आश्वासन देकर फोन काट दिया गया.

केस-2

जंसा की रहने वाली पीडि़ता ने आशा ज्योति केंद्र की हेल्प लाइन नम्बर 181 पर कॉल कर बताया कि उनकी जिंदगी बदतर हो गयी है. दो साल पहले ऊंची जाति के युवक से प्रेम विवाह किया था. परिवार के दबाव में उसने दर-दर भटकने के लिए मुझे छोड़ दिया है. केन्द्र से उसकी बात तो सुनी गयी लेकिन चुनाव बाद शिकायत करने के लिए कहा गया.

ऐसी ही घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं पांडेयपुर स्थित आशा ज्योति केंद्र पर मदद की गुहार लगा रही हैं. उनकी फरियाद तो सुनी जा रही है लेकिन फोर्स के चुनाव में तैनात होने का हवाला देकर मदद की बात को टाल दिया जा रहा है. महिला रेस्क्यू टीम पीडि़ता की कोई मदद नहीं कर रही है. यह हालात एक मई से लगातार हैं. प्रतिदिन करीब चार से पांच घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं मदद के लिए फोन कर रही हैं, लेकिन केंद्र द्वारा उनकी मदद नहीं की जा रही है.

ये है आशा ज्योति केन्द्र का स्टाफ

30

स्टाफ हैं आशा ज्योति केन्द्र में

11

पुलिसकर्मी हैं केन्द्र का हिस्सा

1

एसआई की रहती है तैनाती

6

हेडकांस्टेबल करती हैं पीडि़ता की मदद

4

महिला कांस्टेबल भी रहती हैं आशा ज्योति केन्द्र में

3

नर्सेज

4

पायलट

1

कम्प्यूटर ऑपरेटर

4

केस वर्कर

3

काउंसलर

1

प्रबंधक

1

प्रोबेशन अधिकारी

2

हेल्पर

केंद्र से मदद पाने वाली पीडि़त महिलाओं की स्थिति

जनवरी-47

फरवरी-39

मार्च-44

अप्रैल-61

फोर्स नहीं मौजूद

-आशा ज्योति केन्द्र पर वर्तमान में कोई पुलिसफोर्स मौजूद नहीं है.

-यहां पर तैनात एसआई, हेटकांस्टेबल और महिला पुलिसकर्मियों की ड्यूटी चुनाव में लगा दी है.

-सिर्फ पायलट, केस वर्कर और नर्सेज ही मौजूद हैं. बिना फोर्स के रेस्क्यू करना संभव नहीं है.

-जरूरत होने पर संबंधित थाना से मदद मांगी जाती है तो वहां भी फोर्स की कमी का हवाला देकर मदद से इनकार कर दिया जाता है.

-केन्द्र प्रबंधक के मुताबिक मदद मांगने वाली पीडि़ता को केंद्र पर बुलाया जा रहा है. टीम काउंसिलिंग कर पीडि़ता की मदद कर रही है.

वर्जन...

पुलिस फोर्स नहीं होने के कारण हम लोग घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की मदद करने में असमर्थ हैं. 19 मई को मतदान सम्पन्न होने के बाद ही पीडि़त महिलाओं की मदद के लिए केंद्र की रेस्क्यू टीम मौके पर जाएगी.

-रश्मि दूबे, प्रबंधक आशा ज्योति केंद्र

Posted By: Vivek Srivastava