-सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी पर लगाया मानदेय वितरण में अनियमितता का आरोप

जिला निर्वाचन अधिकारी को मिले 50 हजार, जबकि सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी को 52 हजार

DEHRADUN:

फरवरी-मार्च में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में चुनाव ड्यूटी करने वाले नोडल अधिकारियों, सहायक नोडल अधिकारियों एवं अन्य कर्मचारियों को दिये गये मानदेय में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। हालात ये है कि एक ही काम के लिए अलग-अलग कर्मचारियों और अधिकारियों को दिये गये मानदेय में हजारों रुपये का अंतर है। मानदेय वितरण में हुई इस अनियमितता से नाराज कर्मचारियों ने इसके लिए सहायक निर्वाचन अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया है। कर्मचारियों का कहना है निर्वाचन कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को अधिक मानदेय दिया गया है, जबकि उसी काम के लिए दूसरे कार्यालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों को बहुत कम मानदेय दिया गया है।

एडीईओ को डीईओ से अधिक मानदेय

मानदेय वितरण में किस तरह से मनमाना तरीका अपनाया गया, यह इसी से साबित हो जाता है कि जिले में चुनाव संबंधी सबसे महत्वपूर्ण काम करने वाले जिला निर्वाचन अधिकारी को मानदेय के रूप में भ्0 हजार रुपये दिये गये हैं, जबकि उनके मातहत काम करने वाले सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी को भ्7 हजार रुपये मानदेय दिया गया है।

सभी के पास थे एक जैसे काम

चुनाव के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा विभिन्न कार्यालयों के लिए अलग-अलग नोडल अधिकारी और सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त करके कामों को वितरण कर दिया गया था। इसके बाद जिला निर्वाचन कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के पास भी उतना ही काम रह गया था, जितना चुनाव ड्यूटी में लगे अन्य कार्यालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों के पास, इसके बावजूद निर्वाचन कार्यालय के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को ब्7 हजार रुपये दिये गये।

शासनादेश का भी उल्लंघन

शासन द्वारा सहायक रिटर्निग अधिकारी, तहसीलदार, जिला सूचना विज्ञान अधिकारी एवं सहायक जिला सूचना विज्ञान अधिकारी के लिए मानदेय के रूप में फ्0 हजार रुपये निश्चित किये गये थे, लेकिन यहां भी मनमाने तरीके से किसी को ख्भ् हजार रुपये तो किसी को ख्0 और किसी को क्8 हजार रुपये ही दिये गये। सहायक रिटर्निग अधिकारी को तो मात्र क्ख् हजार रुपये ही दिये गये।

प्रशिक्षण देने का मानदेय क्0 हजार

जिला पंचायती राज अधिकारी को पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान प्रशिक्षण देने जैसा महत्वपूर्ण काम सौंपा गया था। यह एक चुनौतीपूर्ण काम था और इसे संतोषजनक तरीके से पूरा किया गया, बावजूद इसके जिला पंचायती राज अधिकारी को मानदेय के रूप में सिर्फ क्0 हजार रुपये ही दिये गये।

अलग-अलग क्षेत्रों, अलग-अलग मानदेय

जिले के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में ड्यूटी देने वाले रिटर्निग अधिकारियों के स्टाफ को भी अलग अलग मानदेय दिया गया। इसके अलावा एक नोडल अधिकारी के पीए को क्भ् हजार रुपये दिये गये तो दूसरे नोडल अधिकारी के पीए को मात्र 8 हजार रुपये ही दिये गये। पीआरडी से नियुक्त संविदा कर्मचारियों को क्ख् हजार से ख्0 हजार रुपये दिये गये, जबकि तृतीय श्रेणी के स्थाई कर्मचारियों के हिस्से में 8 हजार रुपये ही आये।

किसको कितना मिला

सीडीओ के पीए को क्भ्000 रु।

आरओ के पीए को क्ख्000 रु।

एडीएम एफ एंड आर के पीए को 8000

सीडीओ के ड्राइवर को क्0000 रु।

एडीएम एफ एंड आर के ड्राइवर को म्000 रु।

रजिस्ट्रार के कानूनगो को ख्0000 रु।

नायब तहसीलदार को क्ख्000 रु।

शिकायत करेंगे कर्मचारी

मानदेय वितरण में इस तरह की अनियमितता को लेकर कर्मचारी नाराज हैं और जल्द ही इसकी शिकायत जिला अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी से करने का मन बना रहे हैं।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड की ओर से चुनाव ड्यूटी करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के मानदेय संबंधी दिशा-निर्देश मिले थे, लेकिन बजट कम प्राप्त हुआ, जिस कारण अधिकारियों और कर्मचारियों के मानदेय में कुछ कटौती करनी पड़ी।

पीएस रावत,

सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी

Posted By: Inextlive