राज्य के सभी कॉलेजेज में 9 सितंबर को होगी वोटिंग और काउंटिंग

डीएवी में चुनाव प्रकिया सम्पन्न कराना प्रशासन के लिए बड़ा चेलेंज देहरादून,

छात्र संघ चुनाव के लिए होने वाली वोटिंग और काउंटिंग का काउंटडाउन शुरू हो गया है। पूरे प्रदेश में 9 सितंबर मंडे को एक ही दिन में चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न होगी। छात्र संख्या के लिहाज से प्रदेश के सबसे बड़े डिग्री कॉलेज डीएवी में भी मंडे को वोटिंग और काउंटिंग होगी। डीएवी में एक ही दिन में चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न कराना कॉलेज प्रशासन के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है।

इंटर कॉलेज के 38 टीचर्स की ड्यूटी

डीएवी कॉलेज में इस बार 8 हजार 500 स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हैं। जबकि टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को मिलाकर 70 कर्मचारी हैं, जो कि वोटिंग और काउंटिंग में तैनात रहेंगे। इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा डीएवी इंटर कॉलेज के 38 टीचर्स की ड्यूटी भी लगाई गई है। इस तरह से डीएवी मैनेजमेंट के पास 108 स्टाफ है। वोटिंग के लिए 21 बूथ बनाए गए हैं। हर बूथ में एवरेज तीन टीचर्स की ड्यूटी लगाई है। इस तरह से कम से कम 70 स्टाफ वोटिंग के लिए चाहिए। लेकिन, सबसे बड़ी चुनौती काउंटिंग को लेकर आने वाली है। अभी डीएवी मैनेजमेंट ने काउंटिंग के लिए 7 सेट बनाए हैं। एक सेट में तीन टेबल लगेंगी। इस तरह से 21 टेबल लगाई जाएंगी। इन टेबल पर करीब 70 स्टाफ की आवश्यकता होगी।

जरूरत 150 स्टाफ की

डीएवी में वोटिंग और काउंटिंग के लिए करीब 150 स्टाफ की आवश्यकता है। जबकि कॉलेज प्रशासन के पास इंटर कॉलेज के स्टाफ मिलाकर 108 स्टाफ ही हो रहे हैं। ऐसे में डीएवी प्रशासन के सामने काउंटिंग को लेकर बड़ा चैलेंज खड़ा हो गया है। डीएवी कॉलेज के चीफ इलेक्शन ऑफिसर डॉ। गोपाल क्षेत्री ने बताया कि कॉलेज में स्टाफ की कमी है। ऐसे में एक ही दिन में मैनेज करना बड़ा चैलेंज है। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने अपने स्तर से चुनाव को लेकर तैयारियां पूरी कर ली हैं।

सैटरडे को भी डीएवी में तनाव

फ्राइडे को डीएवी में एबीवीपी और बागी गुट में हुए खूनी संघर्ष का असर सैटरडे को भी देखने को मिला। पूरे डीएवी कैंपस में दोनों गुटों ने जमकर एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की। एबीवीपी के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी सागर तोमर और बागी प्रत्याशी निखिल शर्मा दोनों सिर पर चोट होने के बाद पट्टी बांधकर प्रचार करते दिखे। दोनों गुटों में कई बार स्थिति तनावपूर्ण होती रही। एसपी सिटी श्वैता चौबे की मौजूदगी और भारी पुलिस बल तैनात होने की वजह से सैटरडे को स्थिति नियंत्रण में रही। संडे को कॉलेज बंद रहेगा। ऐसे में सभी संगठनों ने सैटरडे को पूरी ताकत झोंक दी।

कैंपस में डर्टी पॉलिटिक्स

डीएवी कॉलेज छात्र राजनीति का हमेशा से ही केन्द्र रहा है। लेकिन, इस बार एबीवीपी के दो गुटों में बंट जाने से चुनाव खूनी संघर्ष के रूप में सामने आया। इस तरह से चुनाव हंगामें, मारपीट, वर्चस्व और हो-हल्ला में ही निकल गया। किसी संगठन की ओर से स्टूडेंट्स की समस्या को लेकर कोई पैरवी तक नहीं की गई। ऐसे में स्टूडेंट्स की समस्याओं और मुद्दों पर बात करने के लिए आयोजित होने वाली आम सभा का कहीं कोई जिक्र तक नहीं हुआ। एनएसयूआई ने जरूर घोषणा पत्र जारी कर डीएवी में स्टूडेंट्स की समस्याओं को लेकर अपना विजन सामने रखा। लेकिन एबीवीपी की गुटबाजी और दोनों गुटों के संघर्ष के कारण एनएसयूआई की चुनाव में भागीदारी कहीं गायब सी नजर आई। पूरे डीएवी कैंपस में एबीवीपी और बागी गुट के ही चर्चा में रहे। ऐसे में एनएसयूआई के लिए खुद को चुनाव में प्रुफ करना बड़ा चैलेंज साबित होगा। इसके अलावा दूसरे संगठनों एसएफआई, आर्यन, सत्यम शिवम, सक्षम, निश्चय आदि कई संगठन चुनाव मैदान में तो हैं। लेकिन स्टूडेंट्स की समस्याओं को लेकर कोई भी पहल नजर नहीं आई।

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9 सितंबर को ही वोटिंग और काउंटिंग होगी। स्टाफ की कमी है, लेकिन कॉलेज प्रशासन की ओर से सारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली गई हैं।

डॉ। गोपाल क्षेत्री, चीफ इलेक्शन ऑफिसर, डीएवी कॉलेज

Posted By: Inextlive