Electoral bonds scheme जो कि केंद्र सरकार द्वारा चुनाव में चंदा पाने के के लिए लॉन्‍च की गई् थी उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है।

कानपुर (इंटरनेट डेस्‍क)। Electoral bonds scheme: साल 2017 में केंद्र सरकार ने संसद में फाइनेंस बिल के जरिए इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड स्‍कीम को पेश किया था। बता दें कि इस बॉन्‍ड की समयावधि सिर्फ 15 दिन की होती थी, जिस दौरान जन प्रतिनिधित्‍च बिल के दायरे में रहते हुए रजिस्‍टर्ड राजनैतिक दलों को चंदा या दान देने के लिए इस्‍तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसकी खास बात यह है कि इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड द्वारा सिर्फ वही पॉलिटिकल पार्टीज चंदा ले सकती हैं, जिन्‍हें पिछले लोकसभा या राज्य में विधानसभा चुनाव में डाले गए कुल वोटों का कम से कम 1 परसेंट वोट मिले हों। फिलहाल भारत के सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्‍ड को रोकने का आदेश दे दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्‍यों दिया ये फैसला
शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्‍ड योजना की वैधता को खिलाफ दाखिल की गई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड दरअसल सूचना के अधिकार और अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता का उल्‍लंघन ही है। इसके इस्‍तेमाल से राजनैतिक दल अपने फंड्स की जानकारी देने से बच सकते हैं, जो कि सही नहीं है।

एसबीआई और चुनाव आयोग को दिया ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड को तत्‍काल रोकने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड के जरिए अब तक प्राप्‍त किए गए सभी कलेक्‍शन की पूरी डीटेल 31 मार्च तक चुनाव आयोग को उपलब्‍ध कराए। इसके साथ कोर्ट ने इलेक्‍शन कमीशन को कहा है कि वह 13 अप्रैल तक इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड से जुड़े पूरे डाटा की जानकारी अपनी वेबसाइट पर शेयर करे।

Posted By: Chandramohan Mishra