RANCHI: एक अप्रैल से राजधानी रांची समेत राज्य भर के लोगों को फिर से बिजली का झटका लगने वाला है। जी हां, लोगों की जेब पर बिजली गिराने वाले झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड(जेबीवीएनएल) की नई दर के प्रस्ताव को लागू करने की इजाजत झारखंड विद्युत नियामक आयोग ने दे दी है। इसके तहत शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 6.25 रुपए अदा करने होंगे, जबकि पहले यह दर 5.50 रुपए थी। यह नई दर एक अप्रैल से लागू होगी। इस संबंध में नियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ अरविंद प्रसाद ने बताया कि इंडस्ट्रीज को छोड़ बाकी सभी श्रेणियों की बिजली दरों में औसतन 11 परसेंट का इजाफा हुआ है। जबकि जेबीवीएनएल ने 15 परसेंट वृद्धि का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने बताया कि फिक्स चार्ज में कोई वृद्धि नहीं की गई है। वहीं, कृषि क्षेत्र को भी इस वृद्धि से दूर रखा गया है। मौके पर आयोग के सदस्य आरएन सिंह भी मौजूद थे।

क्वालिटी बिजली में बढ़ेगा खर्च

झारखंड विद्युत नियामक आयोग ने जेबीवीएनएल के प्रति अपनी पूर्व की उदारता जारी रखी है। आयोग ने कहा कि क्वालिटी बिजली के लिए वितरण निगम की शिकायतों को समझना जरूरी है। खुद का उत्पादन नहीं रहने के चलते निगम का 80 परसेंट राजस्व बिजली खरीदने में ही खर्च हो जाता है। इस बार निगम ने प्रति यूनिट 6.32 रुपए खर्च की बात कही थी, जिसके बाद बढ़ोतरी को उसके पास रखा गया है। आयोग के अध्यक्ष डॉ अरविंद प्रसाद ने कहा कि कंपनियां अब और घाटा नहीं सह सकतीं। क्वालिटी बिजली पाने के लिए उपभोक्ताओं को खपत का खर्च हर हाल में चुकाना होगा।

निगम का खर्च 17 परसेंट ज्यादा

झारखंड बिजली वितरण निगम ने इस बार अपने खर्च का आकलन करते हुए वित्तीय वर्ष 2019-20 में 8375,24 करोड़ राजस्व की जरूरत एआरआर रिपोर्ट में बताई थी। स्क्रूटनी के बाद आयोग ने 7164.22 करोड़ की स्वीकृति दी। यह पिछली बार 5973.46 की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

नेशनल टैरिफ पॉलिसी का हवाला

बताया गया कि नई दरों को नेशनल टैरिफ पॉलिसी के आसपास ही रखा गया है। यानी बिजली इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को राहत में कटौती करने की नीति को आगे बढ़ाया जा रहा है। केंद्र की ऊर्जा नीति में पहले की तुलना में राहत समाप्त करते हुए सभी श्रेणी की दरों को 20 प्रतिशत ही ऊपर-नीचे रखने का निर्देश था। लिहाजा नई दरों के बाद यह गैप काफ हद तक भर गया है।

घर से बिजनेस में अलग मीटर नहीं

घरों में चलने वाले कुटीर उद्योगों के लिए दो मीटर की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। आयोग ने ग्रामीण उपभोक्ताओं को अपने घरों में लघु-कुटीर उद्योग चलाने के लिए इस बार विशेष रियायत दी है। ऐसे उपभोक्ताओं को अब दो मीटर लगाने की जरूरत नहीं होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में 5 केवीए तक के उपभोक्ता अब घरेलू श्रेणी में ही शामिल रहेंगे।

आज हो सकती है सब्सिडी की घोषणा

सरकार इन कीमतों पर सब्सिडी का ऐलान शुक्रवार की कैबिनेट बैठक में कर सकती है। बिजली की ये दरें सरकार द्वारा दी जानेवाली सब्सिडी के बाद अंतिम रूप से निर्धारित की जाएंगी। दरों की घोषणा के बाद अब राज्य सरकार अनुदान की राशि सीधे उपभोक्ताओं को दे सकती है। सब्सिडी जारी रहने पर उपभोक्ताओं पर बिजली की दरों में औसतन कुछ ही प्रतिशत का भार पड़ेगा। साल 2018-19 के पूर्व सरकार प्रत्येक वर्ष बिजली कंपनी को 2400 करोड़ अनुदान के तौर पर देती थी। गत वर्ष 2 हजार करोड़ सब्सिडी की घोषणा सरकार द्वारा की गई थी। हालांकि मीटरिंग व अन्य कायरें में देरी के चलते इसमें अब तक 692.70 करोड़ ही सरकार खर्च कर सकी है। सरकार मौजूदा वक्त में 750 करोड़ रुपए का प्रावधान सब्सिडी मद में की है।

Posted By: Inextlive