प्रदेश में बिजली कंपनी की कमाई और नुकसान का लेखा जोखा

6000 करोड़ का सालाना टर्नओवर

960 करोड़ का टोटल लॉस

560 करोड़ टेक्नीकल लॉस

400 करोड़ की बिजली चोरी

16 प्रतिशत टोटल लॉस

9 प्रतिशत टेक्नीकल लॉस

7 प्रतिशत कॉमर्शियल लॉस

देहरादून

यूपीसीएल प्रदेश में बिजली चोरी रोकने में नाकाम है। सालाना करीब 400 करोड़ रुपए से अधिक की बिजली चोरी से कंपनी को पसीना आ गया। प्रदेश में बिजली के कुल टर्न ओवर का 16 प्रतिशत लाइन लॉस है। इसमें बिजली की लाइनों के रेजिस्टेंस, स्पार्किंग और करंट लीकेज जैसे टेक्नीकल लॉस को दुनिया के सबसे अधिक औसत 9 प्रतिशत भी मानकर कम करें तो भी 7 प्रतिशत बिजली चोरी हो रही है। लाइन लॉस के लगातार बढ़ते प्रतिशत ने बिजली कंपनी की नींद उड़ा दी है, हालांकि बिजली कंपनी इसे लेकर लगातार कंट्रोल करने का दावे करती रहती है, लेकिन लगाम लगाने में नाकाम है।

नुकसान को ऐसे समझें

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन का लास्ट इयर टर्नओवर के आधार पर इस वर्ष का सालाना टनओवर 6000 करोड़ रुपए तय किया गया है। इसमें 16 प्रतिशत लाइन लॉस है। बिजली कंपनी का अनुमान है कि बिजली की लाइनों के रेजिस्टेंस, स्पार्किंग, करंट लीकेज के अलावा इंसीडेंट्स की वजह से करीब 6 से 9 प्रतिशत लॉस हो जाता है। यह हर जगह संभव माना जाता है। प्रदेश में पहाड़ी एरिया अधिक होने की वजह से डिस्ट्रीब्यूशन लाइंस काफी लंबी होती हैं, ऐसे में यहां रेजिस्टेंस का प्रतिशत थोडा अधिक हो जाता है। 7 प्रतिशत बिजली चोरी और 2 प्रतिशन कॉमर्शियल लॉस बिजली बिल जमा नहीं कराने वालों की वजह से होता है। ऐसे में छह हजार करोड़ टर्न ओवर में बिजली चोरी और बिल जमा नहीं कराने वालों की वजह से 7 प्रतिशत लॉस हो रहा है, जिससे नुकसान का आंकड़ा 400 करोड़ तक पहुंच रहा है।

अब तक 1300 एफआईआर

प्रदेश में सबसे अधिक लॉस की वजह बिजली चोरी है। ऐसा नहीं है कि बिजली कंपनी की विजिलेंस शाखा कोई प्रयास नहीं कर रही है। प्रदेश में इस वर्ष अगस्त माह तक ही बिजली चोरी रोकने के लिए करीब 1800 जगह छापेमारी कर 1300 से अधिक एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी हैं। पिछले वर्ष भी एफआईआर का आंकड़ा 3000 से अधिक था, लेकिन फिर भी बिजली चोरी पर लगाम नहीं लग पा रही। दूसरा सबसे बड़ा लॉस है बिल जमा नहीं कराने वालों की वजह से होने वाला नुकसान। यह लगातार बढ़ रहा है। बिजली कंपनी इसे टोटल का 1 प्रतिशत नुकसान मानती रही है, लेकिन इस बार यह बढ़ गया। बिल जमा नहीं कराने से होने वाला लॉस 2 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

एटीएंडसी लॉस को समझें

बिजली कंपनी की भाषा में एग्रीगेट टेक्नीकल एंड कॉमर्शियल लॉसेज को एटीएंडसी कहा जाता है। प्रदेश में यह 16 प्रतिशत तक है। हालांकि देश के कई राज्यों में यह 20 प्रतिशत तक भी है, लेकिन उत्तराखंड की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। इसमें 6 से 9 प्रतिशत टेक्नीकल लॉस हैं। कॉमर्शियल लॉस जिसमें चोरी और बिल जमा नहीं कराना आता है, वह क्रमश: 5 और 2 प्रतिशत मिलाकर 7 प्रतिशत है। ऐसे में प्रदेश में बिजली का सालाना जितना टर्नओवर है, उसमें से 16 प्रतिशत लॉसेज में डूब रहा है।

मैदानी इलाकों में सबसे अधिक चोरी:

बिजली चोरी में उद्यम सिंह नगर जिला टॉपर है। इसके बाद हरिद्वार और देहरादून तीसरे नंबर पर है। ऐसा नहीं है, कि पहाड़ी जिलों में चोरी नहीं हो रही, लेकिन वहां आंकड़ा कम है। प्रदेश में बिजली कंपनी की विजिलेंस शाखा ने तो चोरी होने वाले पॉकेट भी आईडेंटिफाई कर रखे हैं, रूद्रपुर,गदरपुर,हरिद्वार में रूड़की सबसे अधिक बिजली चोरी वाले पॉकेट हैं। बिजली कंपनी इसकी वजह बताती है बिजली चोरों पर कार्रवाई करने में पॉलिटिकल इंटरवेंशन को सबसे बड़ी बाधा मानती है।

सरकार गंभीर, ऑफिसर चुप

प्रदेश में बिजली चोरी रोकने के लिए सरकार गंभीर है। इसके लिए हाल ही में सरकार ने बिजली चोरी रोकने वाली विजिलेंस शाखा की मुखिया के रूप में एसएसपी स्तर की आईपीएस ऑफिसर निवेदिता कुकरेती को जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि अभी इस नए प्रयोग का बिजली चोरों पर कोई एक्शन नजर नहीं आ रहा है।

Posted By: Inextlive