- अफसर-कांट्रेक्टर डकार रहे संविदा कर्मियों के फंड का पैसा

- संविदा कर्मचारियों को भुगतान नहीं की जाती ईपीएफ की राशि

- ईपीएफ धन राशि को अफसर और कांट्रेक्टर मिलकर कर रहे चट

- संविदा कर्मियों के कुल वेतन का 13.61 फीसदी है प्रावधान

- विभाग की ओर से हर माह कांट्रेक्टर को भुगतान किया जाता है पैसा

- आरटीआई ने खोली विद्युत विभाग के काले कारनामे की पोल

- संविदा कर्मचारी मेरठ से लखनऊ तक तीस बार कर चुके हैं धरना प्रदर्शन

Meerut : पूरे शहर को बिजली चोरी न करने का पाठ पढ़ाने वाले बिजली विभाग में ईपीएफ घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। विभाग में संविदा कर्मचारियों को दी जानी वाली ईपीएफ राशि को विभाग के कुछ घाघ अधिकारी कांट्रेक्टर से मिलकर न केवल चट कर रहे हैं, बल्कि हजारों करोड़ के माल को साफ कर डकार तक नहीं ले रहे।

क्या है मामला

बिजली विभाग की ओर से होने वाले अनुबंध में एक संविदा कर्मचारी के ईपीएफ के रूप में क्म् हजार रुपए की धनराशि कांट्रेक्टर को दी जाती है। जबकि कांट्रेक्टर की ओर से ईपीएफ के नाम पर कर्मचारी को एक फूटी कोड़ी भी नहीं दी जाती। आंकड़ों पर गौर करें तो मेरठ समेत पूरे पश्चिमांचल में काम रहे लगभग ख्भ् हजार संविदा कर्मचारियों का यह ईपीएफ घोटाला चार सौ करोड़ से भी ऊपर जाता है।

कर्मचारी नेता

संविदा कर्मचारियों के ईपीएफ को लेकर ऊर्जा भवन से लेकर शक्ति भवन तक कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन विभाग की ओर से इन कर्मचारियों की आवाज हर बार दबा दी गई है। संविदा कर्मचारियों के शोषण के मामले में विभागीय अधिकारियों की चुप्पी कहीं न कहीं उनकी कांट्रेक्टर के साथ मिली भगत की ओर इशारा करती है।

- दिलमणी प्रसाद थपलियाल, कर्मचारी नेता

संविदा कर्मियों की ईपीएफ धनराशि का यह घोटाला विभाग के अफसरों की मिली भगत से हो रहा है। ईपीएफ के रुपए की बंदरबाट अफसरों व कांट्रेक्टर के बीच में आधी-आधी होती है। यदि कर्मचारियों को उनका हक नहीं दिया जाता है तो बेमियादी हड़ताल की जाएगी।

- महावीर प्रसाद, कोषाध्यक्ष विद्युत मजदूर पंचायत

संविदा कर्मचारियों का दर्द

कांट्रेक्टर से लेकर अधिशासी अभियंता तक के सामने ईपीएफ की मांग उठा चुके हैं, लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिलता। पिछले चार सालों से ईपीएफ के नाम पर कांट्रेक्टर ने एक भी धेला नहीं दिया।

- मुकेश कुमार, संविदा कर्मी

पिछले तीन सालों में कांट्रेक्टर ने केवल एक बार बारह हजार रुपए का चेक दिया था। उस दिन के बाद में कहीं कोई पेमेंट नहीं किया गया।

- सरताज, संविदा कर्मी

कांट्रेक्टर हर बार आज कल कह-कह कर टालता आ रहा है। अपने अफसरों से भी कई बार शिकायत की लेकिन फंड का पैसा नहीं मिल पाया। कांट्रेक्टर बड़े अधिकारियों से मिला हुआ है, कहीं कुछ नहीं हो सकता।

- अमित, संविदा कर्मचारी

पिछला कांट्रेक्टर पूरा तीन साल का ईपीएफ लेकर भाग गया। तीन सालों में एक बार भी ईपीएफ की धनराशि का भुगतान नहीं किया। विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती।

- कमल, संविदा कर्मी

काम सोलह घंटे कराया जाता है। वेतन भी कई माह बाद मिलता है। ईपीएफ तो हमने अब मांगना ही छोड़ दिया है। विभागीय अधिकारी हमारी एक नहीं सुनते।

- बाबू, संविदा कर्मी

पिछले दो सालों से बिजली घर में काम कर रहा हूं, आज तक फंड का कोई पैसा नहीं मिला। कांट्रेक्टर माह में एक बार आता है वेतन देकर भाग जाता है।

- धर्मराज, संविदा कर्मी

कई बार कामकाज छोड़कर हड़ताल कर चुके हैं। हड़ताल तुड़वाने को विभाग भी झूठे सच्चे वादे कर देता है। समस्या जस की तस बनी रहती है। ईपीएफ मिलने अब कहीं कोई उम्मीद नहीं है।

- रोहताश, संविदा कर्मी

जेई से लेकर एक्सीएन तक से ईपीएफ न मिलने की समस्या उठा चुका हूं, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिलता है। आश्वासन के सहारे ही नौकरी चल रही है।

- ललित, संविदा कर्मी

नेताओं को साथ लेकर ईपीएफ समस्या पर अधिकारियों से कई बार बात कर चुके हैं। अफसर हर बार कांट्रेक्टर पर कार्रवाई का आश्वासन देते हैं। न तो पैसा मिल पाता है और न कांट्रेक्टर पर कार्रवाई हो पाती है।

- ललित, संविदा कर्मी

ईपीएफ का पैसा मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। अफसरों से शिकायत करते हैं तो कार्रवाई नहीं होती। धरना प्रदर्शन करते हैं तो नौकरी चली जाती है।

- सरफराज, संविदा कर्मी

मजबूरी का फायदा उठाकर विभाग के अफसर व कांट्रेक्टर हमार शोषण कर रहे हैं। नौकरी छोड़ते हैं तो बच्चे भूखे मरते हैं। इसलिए चुपचाप जुल्म सह रहे हैं।

- बृजमोहन, संविदा कर्मचारी

मेरठ समेत पश्चिमांचल के क्ब् जिलों में ख्00क् के बाद संविदा पर काम करने की प्रथा शुरू हुई थी, जिसको लेकर विभाग में बिजलीघरों से लेकर दफ्तरों में बैठे कंप्यूटर आपरेटरों के लिए टेंडर आदि के माध्यम से विभाग में संविदा कर्मचारियों के तौर पर रखा गया। विभाग की ओर से इन संविदा कर्मचारियों के वेतन व ईपीएफ आदि के लिए पूरी व्यवस्था की गई थी, लेकिन विभाग में कांट्रेक्ट लेने वाला कांट्रेक्टर न केवल इन कर्मचारियों से अधिक काम कराता है, बल्कि की इनके ईपीएफ की हजारों करोड़ की धनराशि को भी डकार रहा है।

अनुबंध में होता प्रावधान

विभाग में संविदा के लिए कांट्रेक्ट होते समय विभाग और संबंधित फर्म के बीच एक लिखित अनुबंध होता है। अनुबंध में संविदा कर्मचारी के वेतन का प्रारूप, वेतन की धनराशि से लेकर उसके महंगाई भत्ता व ईपीएफ तक की सारी शर्ते लिखी होती हैं। इस दौरान विभाग की ओर से कांट्रेक्टर को अनुबंध में शामिल सभी शर्तो का सख्ती से पालन करने की निर्देश भी दिए जाते हैं।

कांट्रेक्टर को होता है भुगतान

विभाग की ओर से कांट्रेक्टर को हर माह होने वाले पेमेंट के माध्यम से उसके साथ काम करने वाले संविदा कर्मचारियों के वेतन का भुगतान किया जाता है। इसके बाद कांट्रेक्टर नकद या चेक द्वारा कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करता है। कर्मचारियों के कुल वेतन का क्फ्.म्क् फीसदी विभाग ईपीएफ की धनराशि के रूप में भी भुगतान करता है, जिसको कांट्रेक्टर साल के अंत में कर्मचारियों को भुगतान कर देता है।

ऐसे होता है खेल

कर्मचारियों के वेतन व ईपीएफ के भुगतान के लिए विभाग की ओर से खाते खुलवाने व कर्मचारियों के खाते में धनराशि जमा करने के लिखित आदेश हैं, लेकिन अफसरों से साठगांठ कर कांट्रेक्टर न तो कर्मचारियों के खाते खुलवाता है और न ही साल के अंत में उनके ईपीएफ की राशि का भुगतान करता है। इस बीच जब कर्मचारियों की ओर से ईपीएफ राशि की मांग की जाती है तो कांट्रेक्टर उनको टरकाता रहता है।

मेरठ से लखनऊ तक आंदोलन

कांट्रेक्टर द्वारा किए जा रहे शोषण व फंड मारने के विरोध में संविदा कर्मचारी फ्0 बार मेरठ से लेकर लखनऊ तक आंदोलन व धरना प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन कर्मचारियों की आवाज दबा दी जाती है। कर्मचारी नेताओं के अनुसार उन्होंने विभाग के हैड ऑफिस के सामने सात दिवसीय धरना प्रदर्शन से लेकर अनशन व हड़ताल तक की, लेकिन विभागीय अधिकारी हर बार चुप्पी ही साधे रहे।

आरटीआई से हुआ खुलासा

पिछले कई सालों से ईपीएफ भुगतान न होने के विरोध में हड़ताल व धरना प्रदर्शन तक कर चुके परेशान कर्मचारियों ने जब विभागीय आरटीआई डालकर पूरे मामले की जानकारी चाही तो जवाब चौंकाने वाला आए। आरटीआई में अधिकारियों ने बताया कि संविदा कर्मचारियों के ईपीएफ की धनराशि जो उनके मूल वेतन का क्फ्.म्क् प्रतिशत है उसका भुगतान कांट्रेक्टर को कर दिया जाता है, जिसको कांट्रेक्टर नियमानुसार कर्मचारियों की खातों में जमा करा देता है।

मेरठ में है ख्000 संविदा कर्मचारी

विभागीय आंकड़ों की मानें तो इस समय मेरठ शहर-देहात के बिजली घरों में ख्000 संविदा कर्मचारी काम रहे हैं। ये कर्मचारी जनपद के अलग-अलग बिजली घरों व कांट्रेक्टर की फर्म में कार्यरत हैं।

क्या है कहते हैं आंकड़े

शहर डिवीजन : ब्

देहात डिवीजन : ब्

शहर सब डिवीजन : क्ख्

देहात सब डिवीजन : क्ख्

शहर बिजली घर : ब्8

देहात बिजली घर : ब्8

शहर कर्मचारी : म्00

देहात कर्मचारी : म्00

दफ्तरों में संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर : 800

कुल संविदा कर्मचारी : ख्000

पश्चिमांचल में ख्भ्,000 कर्मचारी

मेरठ में जहां ख्000 कर्मचारी संविदा पर काम कर रहे हैं। वहीं पश्चिमांचल में यही आंकड़ा ख्भ्,000 है। पीवीवीएनएल के क्ब् जिलों में जहां कुल डिवीजन की संख्या भ्म् के आसपास है। वहीं सैकड़ों बिजलीघरों व विभागीय दफ्तरों में बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर काम कर रहे संविदा कर्मचारियों की संख्या ख्भ्,000 से ऊपर पहुंचती है।

ईपीएफ के क्म्,000 रुपए

Posted By: Inextlive