- फ्रेंचाइजी पॉलिसी फिर से लागू करने की तैयारी में सरकार

- नई व्यवस्था में प्राइवेट कंपनी तय करेगी बिजली की दरें

PATNA : बिजली के बिल का करंट झेलने के लिए आप तैयार रहें। जल्दी ही बिजली महंगी होने वाली है। बिजली की दर बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार तैयारी कर रही है। बिहार में पांच साल पहले फ्रेंचाइजी पॉलिसी लागू की गई थी। इसमें कहा गया था कि कंज्यूमर को क्वालिटी बिजली मिलेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और उलटे गलत बिल की शिकायतों का अंबार लग गया। यह समस्या एक बार फिर से सामने आने वाली है। खास बात यह है कि यह काम अघोषित तरीके से किया जा रहा है जिसे लेकर बिजली कंपनियों के कर्मी जहां अपने जॉब को लेकर अनसेफ फील कर रहे हैं तो दूसरी ओर कंज्यूमर मनमाफिक बिजली दर देने के डर से तनाव में हैं। फ्रेंचाइजी पॉलिसी के लागू होने से बिजली कंपनियों का रेट तय करने का अधिकार छीन जाएगा और इसके लिए संबंधित फ्रेंचाइजी कंपनी रेट तय करेगी। एक से डेढ माह के बाद बिजली की बढ़ी दरें बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

घाटे के बहाने बोझ देने की तैयारी

बिजली कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि फ्रेंचाइजी की नई व्यवस्था लागू होने के बाद घाटे की हद तक भरपाई हो सकती है। जबकि इस बात का विरोध कर रहे इस्टर्न इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी सुरेंद्र कुमार का कहना है कि बिहार में बीते पांच साल में 90 हजार करोड रुपए खर्च कर विद्युत संरचना का दुरुस्त किया गया है। जब घाटा कम नहीं हो रहा है तो इसका बोझ कंज्यूमर पर डालने की तैयारी हो रही है।

संसद में लाया जाएगा प्रस्ताव

जानकारी हो कि वर्तमान में बिजली की खरीद-बिक्री और इसके स्वामित्व का पूरा अधिकार कानूनन राज्य के बिजली बोर्ड या सरकार के अधीन होता है। इसमें किसी निजी कंपनी को इसके वितरण का अधिकार बिल्कुल भी नहीं है। इसलिए संसद में इसके लिए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में संशोधन कर और नेशनल टैरिफ पॉलिसी लागू कर प्राइवेट कंपनियों को सभी अधिकार दे देने की तैयारी हो रही है। यह प्रस्ताव संसद में एक फरवरी को लाया जाएगा।

12-18 रुपए प्रति यूनिट मिलेगी बिजली

केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार 'आदित्य' योजना के तहत डीपीआर तैयार कर रही है। इसके तहत बिजली के वितरण और उसके बिल की वसूली का काम प्राइवेट कंपनी को देने की तैयारी है। 'आदित्य' योजना के लागू होने से बिहार में बिजली की दर 12 से 18 रुपए प्रति यूनिट हो जाएगी। इससे कंज्यूमर के कंधों पर बिजली दर का भारी बोझ पडे़गा। साथ ही जिन कर्मचारियों ने राज्य में विद्युत संरचना को दुरुस्त करने में सालों लगा दिए वे सभी प्राइवेट कंपनियों के अधीन होंगे।

ऊर्जा विभाग चुप

इस पूरे मामले को लेकर बिहार सरकार के ऊर्जा विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने संपर्क किया। लेकिन इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। जबकि अंदरखाने इस संशोधन को लेकर सभी वरीय अधिकारी भी डरे हुए हैं और सरकार के दबाव के कारण कोई कुछ भी जानकारी देने से बच रहे हैं।

तो समाप्त हो जाएगी कैटेगरी

प्रस्तावित नई व्यवस्था के अनुसार प्राइवेट बिजली कंपनियां बिजली डिस्ट्रीब्यूशन का काम करेगी। इसके लिए एरिया वाइज टेंडरिंग की जाएगी और इसमें वे अपने तय रेट के हिसाब से बिजली देगी। वर्तमान में घरेलू, कमर्शियल, ग्रामीण कुटीर ज्योति और अन्य कैटेगरी हैं बिजली के रेट के लिए, लेकिन जब प्राइवेट कंपनियां बिजली डिस्ट्रीब्यूशन का काम करेंगी तो कैटेगरी समाप्त हो जाएगी।

प्राइवेट कंपनियां खरीदेंगी बिजली

नई व्यवस्था के अनुसार राज्य की सरकारी बिजली कंपनियां अपने नेटवर्क के लिए निजी कंपनियों से किराया वसूल करेगी। बिजली उत्पादन केन्द्रों से प्राइवेट कंपनियां बिजली खरीदेगी। इसका वितरण राज्य की सरकारी कंपनी नेटवर्क के माध्यम से करेगी। यानि सरकारी बिजली नेटवर्क का इस्तेमाल प्राइवेट कंपनियां करेगी। कंज्यूमर जो बिजली खर्च करेंगे उसका बिल प्राइवेट कंपनी ही वसूल करेगी।

बिजली दर रुपए प्रति यूनिट

शहरी घरेलू उपभोक्ता

यूनिट - रेट

1-100 - 6.15

101-200 - 6.95

201-300 - 7.80

300 से ऊपर- 8.60

नई व्यवस्था कंज्यूमर के खिलाफ है। इससे बिजली दर का बोझ बढे़गा। इससे पहले भी इस सेक्टर में प्राइवेटाइजेशन आम कंज्यूमर को नुकसान हुआ है। कंज्यूमर उपभोक्ता महंगी दर पर बिजली बिल देने के लिए बाध्य होंगे।

- सुरेंद्र कुमार, सेक्रेटरी जनरल इस्टर्न इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन

Posted By: Inextlive