बरेली। कई सालों से सो रहे परिवहन निगम की नींद अब खुल गई है। कन्नौज के छिबरामऊ में हुए बस हादसे के बाद परिवहन विभाग ने मानकों में बदलाव और शत-प्रतिशत अमल का फैसला किया है। इसके तहत हर टूरिस्ट बस की आपात खिड़की में टफेंड ग्लास 'शीशा' लगाना अनिवार्य होगा। यह ग्लास विषम स्थितियों में हाथ या मुक्का मारने से टूट जाएगा और फंसे लोग खिड़की से नीचे कूदकर जान बचा सकेंगे।

एक माह का समय

उप परिवहन आयुक्त बरेली परिक्षेत्र वीके सोनकिया ने बताया कि वाहनों का अगला और अन्य शीशे लैमिनेटेड होते हैं। यह पत्थर मारने या तोड़ने से टूटते नहीं बल्कि चटक जाते हैं। टफेंड ग्लास पर अगर जोरदार तरीके से हाथों से प्रहार किया जाए तो यह टूटकर गिर जाता है। इस काराण आपात खिड़की में इसे लगाने का फैसला किया गया है। इसके निर्देश सभी पंजीकृत टूरिस्ट और निजी बस संचालकों को जारी कर दिऐ गए हैं। इसे लगाने के लिए एक माह का समय भी दिया गया है। इसके बाद लापरवाही करने वालों पर सख्ती के साथ कार्रवाई की जाएगी।

आठ फुट ऊंचाई पर होगी खिड़की

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश स्लीपर टूरिस्ट बस संचालक मानकों की अनदेखी कर देते हैं। जो कि अब नहीं चल सकेगी। अब किसी भी बस में आपात कालीन खिड़की को आठ फट से अधिक ऊंचाई पर नहीं लगाया जा सकेगा। अभी बस चालक ऊपर के स्लीपर के बराबर इमरजेंसी खिड़की लगाते थे। इसकी ऊंचाई 12.13 फुट ऊंची होती थी, जहां से आम आदमी का कूदना संभव नहीं होता था।

नहीं जारी होंगे फिटनेस

उप परिवहन आयुक्त बरेली परिक्षेत्र वीके सोनकिया ने सभी आरआई को निर्देश दिए हैं कि चेकिंग में जरूर देखें कि आपात खिड़की में टफेंड ग्लास शीशा लगा है या नही। अगर शीशा नहीं लगा है तो फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं दिया जाए। 26 के बाद कोई बस बिना टफेंड ग्लास के मिली तो सीधे तौर पर आरआई जिम्मेदार होंगे।

सुरक्षा के साथ खिलवाड़ सहन नहीं किया जा सकता है। चेकिंग में किसी टूरिस्ट स्लीपर या एसी बस में पीछे शीशे की जगह लोहे की चादर लगी मिली तो उन वाहनों का पंजीयन और फिटनेस दोनों ही निलंबित होंगी। उन वाहनों के मालिकों के खिलाफ असुरक्षित चालन की भी वैधानिक कार्रवाई कराई जाएगी।

-वीके सोनकिया, उप परिवहन आयुक्त

Posted By: Inextlive