-साहब का आदेश ढेंगे पर, रिलीव होने के बजाय जुगाड़ की तलाश में जुटे पुलिस कर्मचारी

-42 दागदारों सहित 80 कांस्टेबल का पूर्व में भी हो चुका है ट्रांसफर

GORAKHPUR: गोरखपुर में सुरक्षा के चाक-चौबंद व्यवस्था का दावा करते हुए पुलिस विभाग में ट्रांसफर खूब हो रहा है, लेकिन नतीजा शून्य है. अधिकारी ट्रांसफर पर ट्रांसफर कर रहे हैं, लेकिन कर्मचारी मनमानी कर ज्वाइन ही नहीं कर रहे हैं. बाद में हार कर उन्हें फिर बहाल कर दिया जा रहा है. कमोबेश पिछले तीन ट्रांसफर के आंकड़े तो यह इशारा कर रहे हैं.

अभी पिछले ट्रांसफर हुए कर्मचारी ज्वाइन भी नहीं किए थे कि मंगलवार को फिर करीब 140 इंस्पेक्टर, दरोगा, हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल का तबादला हो गया. इसके पूर्व एसएसपी ने 42 चर्चित कारखासों के साथ कुल 80 सिपाहियों को जिले के भीतर इधर से उधर किया था. मंगलवार को हुए बदलाव में सभी को जिले से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. ट्रांसफर की लिस्ट निकलते ही प्रभावित पुलिस कर्मचारियों ने जुगाड़ तलाशना शुरू कर दिया. एसएसपी ने कहा कि इन सभी का पूर्व में ट्रांसफर हुआ था. इनको तत्काल प्रभाव से रिलीव किया गया.

गोरखपुर में है फैमिली, नहीं जाना चाहते गैर जनपद

जिले में तैनात ज्यादातर पुलिस कर्मचारी आसपास के जिलों के रहने वाले हैं. इनमें देवरिया, कुशीनगर, बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी सहित जिलों के पुलिस कर्मचारी शामिल हैं. इनमें कुछ ऐसे पुलिस कर्मचारी हैं जिन्होंने शहर में पत्नी, किसी परिजन या रिश्तेदार के नाम से मकान बनवा लिया. फैमिली शहर में शिफ्ट होने से ऐसे पुलिस कर्मचारी तबादले के बाद जिले से बाहर नहीं जाना चाहते हैं. यदि किन्हीं वजहों से उनका ट्रांसफर नहीं रुका तो वह आसपास जिले में रहना चाहते हैं. या फिर उनकी कोशिश होती है कि वह किसी दफ्तर में खुद को संबंद्ध कराकर कुछ दिन समय काट लें. फैमिली की देखभाल और बच्चों की पढ़ाई की वजह से भी पुलिस कर्मचारी कहीं दूर नहीं जाना चाहते.

चुनाव के पूर्व हुआ ट्रांसफर, घूम रहे सिपाही

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के पूर्व भी करीब 70 पुलिस कर्मचारियों का ट्रांसफर हुआ था. लेकिन चुनाव के दौरान किसी तरह से टालमटोल कर रिलीव नहीं हुए. इलेक्शन के बाद उनके बारे में किसी को कोई चिंता नहीं रही. उधर, सात जून को एसएसपी ने 80 पुलिस कर्मचारियों को जिले के भीतर इधर से उधर किया. इनमें 42 कारखास किस्म के लोग थे. इस आदेश के बाद भी अभी तक पुलिस कर्मचारी अपने पूर्व थानों पर मंडराते नजर आ रहे. मंगलवार को भी एसएसपी ने गैर जनपद, जोन के लिए करीब डेढ़ सौ पुलिस कर्मचारियों की तबादला लिस्ट जारी की.

क्यों नहीं जाना चाहते हैं पुलिस कर्मचारी

- शहर में मकान बनवाकर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में बिजी हैं.

- शहर में बुनियादी सुविधाओं का अभाव नहीं है. आराम से काम चलता है.

- परिवार की देखभाल और फैमिली की प्रॉब्लम सॉल्व करने में मदद मिलती.

- थानों पर कारखास, अफसरों के करीब होकर अत्यधिक लाभ लेने का लालच

- खर्च और अकेले रहने की प्रॉब्लम से बचने के लिए ट्रांसफर से बचना चाहते हैं.

क्या आती है प्रॉब्लम, क्यों होता तबादला

- अन्य विभागों की अपेक्षा पुलिस महकमे में ज्यादा ट्रांसफर होते हैं.

- एक जगह जमे होने से पुलिस कर्मचारियों की सांठगांठ हो जाती है.

- मनमानी और अनुशासनहीनता की शिकायत मिलने पर ट्रांसफर किए जाते हैं.

- पहले जिले में यहां से वहां, फिर तैनाती पूरी होने पर गैर जनपद रवाना किया जाता है.

- अचानक रिलीव करने से फोर्स की कमी होती है. धीरे-धीरे रिलीव किया जाता है.

- जिले से रिलीव पुलिस कर्मचारियों के तबादला स्थल पर आमद कराने के बाद गैर जिलों से पुलिस कर्मचारी आते हैं.

- अचानक फोर्स कम होने से थानों के रूटीन वर्क पर प्रभाव पड़ता है. पब्लिक के काम पेडिंग हो जाते हैं.

जिले में तैनाती का नियम

- एक जिले में इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर अधिकतम छह साल तक तैनात रह सकते हैं.

- एक जिले में कांस्टेबल 10 साल तक और रेंज में इसकी अवधि 16 साल की होती है.

- जिले में एक थाना पर तैनानी तीन साल तक हो सकती है. लेकिन बदलाव होता रहता है.

वर्जन

जिन पुलिस कर्मचारियों का तबादला पूर्व में हुआ था. उन सभी को रिलीव कर दिया गया है. एक साथ बड़ी संख्या में पुलिस कर्मचारियों की रवानगी से फोर्स की कमी हो जाएगी. इसलिए बारी-बारी से सबको छोड़ा जा रहा है. जितने लोगों का भी ट्रांसफर हुआ है. सभी को उनकी तैनाती स्थल पर भेजा जाएगा.

डॉ. सुनील गुप्ता, एसएसपी

Posted By: Syed Saim Rauf